मैं उस ईश्वर की भक्ति करता हूँ जो सर्व शक्तिमान है, उस ईश्वर की नहीं जिसे मेरी ज़रूरत पड़े अपना घर( मंदिर) बसाने की. क्या करूंगा मैं उसकी भक्ति कर जिसकी रक्षा मुझे करनी पड़े, मैं तो उस की भक्ति करता हूँ जो मेरी रक्षा करे.
!! भगवत्कृपा हि केवलम् !! पारब्रह्म परमेश्वर ने इस सुंदर सृष्टि की रचना की , मैथुनी सृष्टि करके मनुष्य को इस धराधाम पर उतारा | मनुष्य ईश्वर के प्रति कृतज्ञ होकर उसकी आराधना करने का वचन देता है | पुराण बताते है कि माँ के गर्भ में बालक की स्थिति उत्तानपाद होती है ! अर्थात सर नीचे तथा पैर ऊपर को ह
जब भी किसी महिला का उदाहरण दिया जाता है तो सबसे पहला नाम माता सीता का ही आता है। ऐसा माना जाता है कि जो लड़की अपने चरित्र में माँ सीता के गुण ले आती है उसका जीवन सफल हो जाता है। वैसे तो आपने माँ सीता के बारे में कई बातें सुनी और पढ़ीं होंगी लेकिन आज हम आपको सीता जी के बारे
सफलता या असफलता दोनों के लिए ही कोई कारण होता है , बिना किसी कारण के ना तो सफलता मिलती है ना ही कोई असफल होता है . यह कारण मनुष्य को स्वयं बनाना होता है अपने कर्म से . सफलता या असफलता दोनों से ही मत्त्वपूर्ण है कर्म . सफलता से सुख का अनुभव होता है तो असफलता से दुःख का , औ
जब मै छोटा सा था,तो मेरी यह अभिलाषा थी,हँसता हुआ देखूँ,भारत को मन मे छोटी सी एक आशा थी।मन की पावन आँखों ने,कुछ देखे ख्वाब सुनहरे थे;उन सारे ख्वाबों की अपनीपहचानी सी भाषा थी।अपने कोमल ख्वाबों मे,मै भारत को एक
एक ऐसा मंदिर है जहां भगवान हनुमान डॉक्टर के रूप में पूजे जाते हैं. मान्यता है कि इस मंदिर के हनुमान स्वयं अपने एक भक्त का इलाज करने डॉक्टर बनकर पहुंचे थे. इस मंदिर से लाखों लोगों की आस्था जुड़ी हुई है. श्रद्धालुओं का मानना है कि, डॉ. हनुमान के पास सभी प्रकार के रोगों का
बजरंगबली भला तेरी महिमा कहो किसने न जग गायी।शरण आया जो तेरी हर मुश्किलों से निजात पायी।।राम नाम महिमा अमित,अपार तूने ही फैलायी।शिव रूप छोड़,हनुमान बन भक्ति सबको सिखायी।।अष्ट-सिद्धि,नव-निधि प्राप्त कर जग हित लगायी।हर घडी राम-राम बस यही एक अलख जगायी।।समस्त कामना से दूर तूने बस राम उर लौ लगायी।याद दिला