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जब भी किसी महिला का उदाहरण दिया जाता है तो सबसे पहला नाम माता सीता का ही आता है। ऐसा माना जाता है कि जो लड़की अपने चरित्र में माँ सीता के गुण ले आती है उसका जीवन सफल हो जाता है। वैसे तो आपने माँ सीता के बारे में कई बातें सुनी और पढ़ीं होंगी लेकिन आज हम आपको सीता जी के बारे में कुछ ख़ास बातें बताने जा रहे हैं।सीता के गुणों के बारे में जितना लिखा जाए कम है। एक स्त्री का अपने पति के लिए समर्पण सीता जी से ही सीखने को मिलता है। इतने प्रेम और समर्पण के बाद भी उन्होंने अपने जीवन में कई दुःख झेले। आज हम आपको माता सीता से जुड़ी कुछ रोचक बातें बताने वाले हैं। आइये जानते हैं।
यह माना जाता है
माना जाता है कि माँ सीता, वेदवती का अवतार हैं। एक बार रावण पुष्पक विमान से जा रहा था। तभी उसकी नजर एक स्त्री पर पड़ी जो बहुत सुंदर थीं। उस स्त्री का नाम वेदवती था। वह भगवान विष्णु को पति रूप में पाने के लिए तपस्या कर रही थीं।
सीता को वेदवती का रूप माना जाता है
रावण, वेदवती की सुन्दरता देखकर उनकी तरफ आकर्षित हो गया। वेदवती उस समय तपस्या कर रही थीं और रावण ने उनके बाल पकड़कर उन्हें खींचा। तब वेदवती ने श्राप दिया था कि रावण का अंत कोई स्त्री के द्वारा ही किया जाएगा।
वेदवती ने दिया श्राप
रावण को श्राप देने के बाद वेदवती अग्नि में समा गई और ऐसा माना जाता है कि वेदवती ने ही सीता बनकर जन्म लिया था। इस बात का उल् लेख आपको वाल्मीकि द्वारा लिखी गई रामायण में मिल जाएगा।
इस वजह से नाम सीता रखा गया
एक बार राजा जनक यज्ञ के लिए भूमि तैयार कर रहे थे। जमीन को जोतते समय उन्हें एक कन्या मिली। जोती हुई भूमि को तथा हल की नोक को ही 'सीता' कहते हैं। यही कारण था कि कन्या का नाम 'सीता' रखा गया।
जन्म को लेकर कही जाती है ये बात
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सीता माता के जन्मस्थान को लेकर भी दो तर्क नजर आते हैं। रामायण के अनुसार सीता माता का जन्म मिथिला के जनकपुर में हुआ था जो कि अब नेपाल में है। ये नगर मिथिला नगरी के नाम से भी जाना जाता है। कुछ लोगों का मानना है कि माँ सीता का जन्म बिहार के सीतामढ़ी गाँव में हुआ था।
इस तरह मिले राजा जनक से
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एक बार भगवान राम, लक्ष्मण के साथ ऋषि विश्वामित्र से मिलने मिथिला पहुंचे। ऋषि विश्वामित्र उन्हें राजा जनक की सभा में ले गए। विश्वामित्र ने उन्हें शिवधनुष दिखाने के लिए कहा। भगवान राम ने जैसे ही धनुष उठाया, उनसे वह धनुष टूट गया।
जनक का था ये प्रण
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राजा जनक ने प्रण लिया था कि जो भी शिवधनुष को तोड़ देगा, वे उसी से अपनी बेटी का विवाह करेंगे। राजा जनक का यह प्रण पूरा हुआ। इसके बाद सीता का विवाह श्रीराम से करवाया गया।
विवाह के समय थी यह उम्र
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श्रीराम से विवाह के समय सीता की उम्र को लेकर काफी मतभेद देखने को मिलते हैं। वाल्मीकि के अनुसार श्रीराम से विवाह के समय सीता की उम्र 6 वर्ष थी।
हरण के बारे में है ये बात
वाल्मीकि जी की रामायण के अनुसार रावण ने सीता का हरण अपने रथ से किया था जो कि सोने का बना हुआ दिव्य रथ था। तुलसीदास जी के अनुसार रावण, सीता को पुष्पक विमान से लेकर लंका पहुंचे थे।
ऐसी थीं सीता
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तो ये थी माता सीता के बारे में कुछ बातें। यदि आप और भी ऐसी पौराणिक कथाएँ जानना चाहते हैं तो हमें जरूर बताएं।