सामाजिक एकता, सामाजिक समानता और भ्रातृत्व के पक्षधर, ज्ञान के प्रतीक, भारतीय लोकतन्त्र के प्रणेता, दलितों के मसीहा, भारत में बुद्ध धर्म के पुनरुद्धार करने वाले प्रबुद्ध विचारक, शिक्षाशास्त्री और समकालीन दार्शनिक भारत रत्न डॉ भीमराव अम्बेडकर जी के जन्मदिवस पर आप सभी को हार्दिक बधाई। बाबा साहेब का जीवन हम सभी के लिए प्रेरणास्त्रोत है।
यह एक अच्छा संकेत है की दिन प्रति दिन डॉ भीमराव अम्बेडकर जी के चिन्तन का प्रसार हो रहा है और लोग ज्यादा से जायदा उनसे जुड़ने लगे है बेशक भारतीय सरकारें अब तक यही प्रयास में रही हैं की उनके चिन्तन को लोगो तक न पहुँचने दिया जाये . कभी उनको गाँधी में व्यस्त रखा तो कभी धर्म के बंटवारे में डाल दिया. बाबा साहेब का चिन्तन इन सब संकीर्णताओं से विमुक्त है और तभी यह हम सबको सही प्रेरणा देने में सक्षम भी है .
वर्तमान भारतीय समाज में साम्प्रदायिक ताकतें अपने चरम पर हैं वो अम्बेडकर चिन्तन को सिरे से नकारने और आलोचना में व्यस्त हैं.कुछ मुर्ख तो यह भी कहते हैं की आंबेडकर अनुयायी बाबा साहिब के दर्शन को नहीं समझ सके. उन मूर्खों को कौन समझाये की बाबा साहेब के चिन्तन में आपको वो कमियां नहीं मिलेगी जिससे आप उनको भी हिन्दू मानसिकता का पैरोकार बना सके. ज्यादतर समाज सुधारकों के साथ यही किया जाता है की उनके विचारों को तोड़ मरोड़ कर पेश करके उनको हिन्दू धर्म का नुमायन्दा बना देते हैं.
साथियों अगर हमे डॉ अम्बेडकर के चिन्तन को आगे बढ़ाना है तो इन मानसिक संकीर्णता से ग्रस्त लोगों की बातों, आलोचनाओं, अंधविश्वासों से अपने चिन्तन को मुक्त रखना है. भारतीय संविधान के मुख्य अंगों को ही ये संप्रदायिक लोग अपने ढंग से बदलने की कोशिश में लगे हैं लेकिन एक बात समझ लो की यह भारतीय संविधान की ही गरिमा है की आज हम लोग आजादी की साँस ले रहे है, बच्चों को पढ़ा रहे हैं और समाज के हर एक तबके चाहे वो दलित हों या महिलाएं , को समान अधिकार मिले हैं.
वर्तमान में सामाजिक बुराईयों के लिए हिंदूवादी मानसिकता, निक्कमे नेता और लचर न्याय पालिका जिम्मेवार है जिसको पैसे वाले लोग और तथाकथित उच्च वर्ग के लोग अपने फायदे के लिए ही इस्तेमाल करते हैं. भारतीय संविधान हमे हर अन्याय से मुक्ति दिलाने में सक्षम है बीएस कमी यही है की हम उसको सही ढंग से भारत में प्रयोग के लिए लगातार संघर्ष करे अन्यथा बाद में सिर्फ पछतावा हाथ लगेगा और भारतीय समाज दोबारा हजारों साल पहले की संकीर्ण सोच में बदल जायेगा और जिसका प्रचार आजकल बड़े स्तर पर सरकार और मीडिया द्वारा किया जा रहा है.
अगर सरकार वास्तव में देश का भला चाहती है तो हर अंधविश्वास को खत्म करने का बीड़ा उठाये न की उसे बढ़ाने का और साथ संविधान की गरिमा बढाये न की संविधान में दिए गये अधिकारों से दलितों, ओरतों, आदिवासियों को महरूम रख कर उसे असामनता और अन्याय का जीवन दे . बाबा साहेब का संघर्ष तभी सफल होगा जब हम सामाजिक लोकतंत्र को भारतीय समाज की हकीकत बना सके और इसके लिए लगातार संघर्ष को जमीनी हकीकत की आवश्यकता है.
जय भीम, जय भारत