जय हिन्द और वंदे मातरम् जैसे नारे लगाने से देशभक्त नहीं हो जाते। असली देशभक्ति है समाज की कमियों के बारे बोलने के साथ साथ सही काम करने की। जोकि भाजपा, संघ, ए बी वी पी के बस से बाहर की चीज़ है। सच को जानते हुए भी, बेशर्मों की तरह हर रोज सुन रहे हैं बात कर रहे हैं हम लोग। भारतीय समाज की मानवीयता बस पैसे वालों या तथाकथित लोगों के लिए ही रह ञ है उन्हीं के लिए ही कैंडल मार्च या सड़कों पर उतरा जा सकता है या फिर राजनितिक अपराधियों की भीड़ में पैसे और शराब के लिए इक्कठा होने तक ही भारतीय समाज की एक जुटता है। या फिर कहें मूर्तियों को पूजने के लिए भी इक्कठे हो जाते हैं। लेकिन जहाँ पर जुल्म हो रहा है, उसके बारे आँख बन्द कर रखना ही इनका सच्चा धर्म है, सच्ची देश भक्ति है। जब ये तथाकथित देशभक्त झंडे जलाते हैं, लोगों को जलातें हैं, गलियां देते हैं तब कोई देशद्रोह नहीं दीखता। सिर्फ गरीब इंसानों और छात्रों को देशद्रोही समझा जाता है। इसे कहते हैं तन्त्र की नपुसंकता और यही रोहित और कन्हैया के केस में दिख रही है। भगवा आतंकवाद देश की नशों में फ़ैल रहा है और जनता सो रही है।