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दलित और हरियाणा की राजनीति

29 जनवरी 2015

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हरियाणा सरकार लगातार हरियाणा को नंबर वन बताने का दावा करती है पर यह दावा तब फीका पड़ जाता है जब बात दलितों और महिलाओं की सुरक्षा की आती है। हरियाणा में हो रही दलितों पर ज्यादतियों से तो यही लगता है की आज भी हरियाणा उसी युग में जी रहा है जहाँ पर जनजातियाँ और कबीले होते थे। एक कबीला दुसरे कबीलों के लोगो को हमेशा मारने और सताने की कोशिश करता था। हरियाणा में कुछ जातियों का जंगलीपन अभी भी बरकरार है और समय के कुछ अन्तराल बाद दिखता रहता है . हरियाणा सरकार और यहां तक की भारत सरकार भी इनके आगे पंगु और लाचार दिखती है क्यूंकि हरियाणा की राजनीति में इन्ही जातियों के प्रतिनिधि विद्यमान हैं . पिछले कुछ सालों में हरियाणा में एक विशेष अनुसूचित जाती के लोगो के साथ आगजनी और बलात्कार के मामले हुए , उस जाती के लोगों ने जितना हो सका संघर्ष किया और लगातार कर रहे है , राजनितिक प्रतिनिधित्व की कमी के कारण न तो उन्हें सामाजिक न्याय मिला और उनसे शिक्षा और रोजगार के अवसरों से भी वंचित करने का प्रयाश किया गया, जैसे कैसे वो लोग संघर्ष कर रहे हैं। अनुसूचित जातियों में से एक जाती जो की राजनितिक तौर पे भी और आर्थिक तौर पे भी शासक्त है , ने उनके संघर्ष में नाममात्र का योगदान दिया जबकि बाबासाहेब के चितन और संघर्ष को वो आगे पहुँचाने का दावा करते है। पिछले दिनों उस जाती विशेष के लोगों के साथ भी हरियाणा में वही किया गया जो पहले दूसरी जाति विशेष से किया गया . देखते हैं वे राजनेता जो की इस वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं कितना इनके संघर्श में साथ देते हैं या वो सिर्फ वर्तमान सत्ता के तलवे चाटने में व्यस्त रहते हैं। हरियाणा की राजनीति में दलित प्रतिनिधित्व नाममात्र है , बाबा साहेब के आदर्शों से जो की बहुत दूर है। हरियाणा के दलित नेता अपना और अपने परिवार का पेट भरने में मशरूफ हैं जबकि मुर्ख दलित ये सोचते हैं की आगे जाकर ये इनके तारणहार बनेंगे . जब तक दलितों में इस तरह का भेद रहेगा उनके घर जलते रहेंगे , बहु बेटियों से बलात्कार होता रहेगा और ये नेता उस समय भी सरकार की के साथ दलितों का सौदा करके अपनी राजनितिक रोटियाँ सेकतें रहेंगे। जब तक दलित अपने सामाजिक अधिकारों के लिए एकजुट नही होंगे सामाजिक सुरक्षा के लिए संघर्ष नही करेंगे तब तक राजनितिक और आर्थिक सशिक्तिकरण नही हो सकता . दलित विमुक्तिकरण तभी संभव हैं जब हम सैधान्तिक रूप से व्यस्क होंगे और यह तभी संभव हैं जब हम अपने महापुरुषों की शिक्षा को समझेंगे और अपने संघर्ष को उनके अनुरूप दिशा देंगे . हमारे तथाकथित नेताओं की सोच से सिर्फ उनका और उनके परिवार का पेट भरेग न की हमे न्याय मिलेगा और साथ ही इन नेताओं के दोगलेपन के कारण ह़ी कबीलाई लोगों के होंसले बुलंद होते हैं .

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29 जनवरी 2015
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29 जनवरी 2015
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29 जनवरी 2015
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29 जनवरी 2015
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30 जनवरी 2015
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अब तक जितनी भी कवितायेँ और लेख यहाँ प्रकाशित हैं सभी हमारी पहले के अलग अलग पेजों से लिए गए हैं .यहां पर मैं अपने सभी लिंक्स दे रहा हूँ जो शायद आपके लिए भी उपयोगी रहें : Society for Positive Philosophy and Interdisciplinary Studies (SPPIS) Haryana http://sppish.blogspot.in Philosophy

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गांधी बनाम गोडसे बनाम लोकतंत्र

30 जनवरी 2015
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आज गांधी जी की पुण्य-तिथि है। अख़बार और नेट पर भी एक दो ही सन्देश देखने को मिले। शायद महापुरुषो की महानता भी हमारी राजनीति की मोहताज है। शायद इस सरकार में गांधी को गोडसे से रेप्लेस कर दिया जाये, क्योंकि हिंदुत्व, हिन्दूदेश का नारा तो यही दे सकते हैं। संविधान के महत्वपूर्ण शब्दों में बदलाव का प्रयास

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2 फरवरी 2015
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शायद आप सभी को "दलित संत" शब्द अजीब लगे लेकिन मुझे यह शब्द प्रयोग करने में कोई संकोच नहीं है. यहां पर यह शब्द उन संतों के लिए प्रयोग किया गया है जो की दलित समुदाय या दलित चिंतन के आदर्श है. कितनी बड़ी विडंबना है की हम उन्हें संत भी कहते हैं और भेदभाव भी करते हैं. मह्रिषी वाल्मीकि, संत रविदास और बहुत

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अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर हार्दिक बधाई

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बचपन से ही आदर्श अध्यापक के बारे यही सुनते आ रहे हैं कि उसके जीवन का उद्देश्य अपने विद्यार्थी को हर सम्भव सहायता और प्रेरणा देना होता है जिससे वह जीवन में सफलता प्राप्त करते है। लेकिन समय के साथ साथ या यूँ कहे की हमारी उम्र बढ़ने के साथ साथ यह बात मन में द्वन्द पैदा करती है की क्या वास्तव में ऐसा ही

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भारत में वैचारिक दरिद्रता

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एक बात तो स्पष्ट हो चुकी है की भारत में राजनीतिक पार्टियां अपना स्वरूप बिलकुल स्पष्ट कर चुकी हैं चाहे कोई गांधी के नाम पर राजनीति करे या हिन्दू धर्म के नाम पर। ...लोगों की मूर्खता की वजह से वो सत्ता में तो आ गए हैं लेकिन चरित्रहीन होकर। भाजपा की जनविरोधी नीतियां और आप का बचकानापन यह स्प्ष्ट कर चूका

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भारत रत्न डॉ भीमराव अम्बेडकर जी के जन्मदिवस पर विशेष-2015

14 अप्रैल 2015
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सामाजिक एकता, सामाजिक समानता और भ्रातृत्व के पक्षधर, ज्ञान के प्रतीक, भारतीय लोकतन्त्र के प्रणेता, दलितों के मसीहा, भारत में बुद्ध धर्म के पुनरुद्धार करने वाले प्रबुद्ध विचारक, शिक्षाशास्त्री और समकालीन दार्शनिक भारत रत्न डॉ भीमराव अम्बेडकर जी के जन्मदिवस पर आप सभी को हार्दिक बधाई। बाबा साहेब का जीव

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69वें भारतीय स्वतन्त्रता दिवस-2015 की हार्दिक शुभकामनायें

16 अगस्त 2015
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18 नवम्बर 2015
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सभी साथियों को विश्व दर्शन दिवस की हार्दिक बधाई। दर्शन सिर्फ अवधारणाओं पर चिंतन नहीं है बल्कि उनको फलीभूत करने से भी जुड़ा है। जिस दिन दार्शनिक और विचारक अपने इस दायित्व को समझ जायेंगे उस दिन समझ लेना भारत सचमुच में आजाद हो गया। वरना धर्म और निम्न मुद्दों को उठाकर जनता को आपस में भिड़ाने वाले नेता औ

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नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें

24 दिसम्बर 2015
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जय हिन्द और वंदे मातरम् जैसे नारे लगाने से देशभक्त नहीं हो जाते

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27 नवम्बर 2018
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सभी भारतवासियों को संविधान दिवस (26 नवम्बर) की हार्दिक बधाई । भारत गणराज्य का संविधान 26 नवम्बर 1949 को बनकर तैयार हुआ था। संविधान सभा के निर्मात्री समिति के अध्यक्ष डॉ॰ भीमराव आंबेडकर जी ने भारत के महान संविधान को 2 वर्ष 11 माह 18 दिन में 26 नवम्बर 1949 को पूरा कर राष्ट्र को समर्पित किया। गणतंत्र

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गौरव सोलंकी की पुस्तक "ग्यारहवीं A के लड़के"

27 नवम्बर 2018
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आजकल घर से यूनिवर्सिटी पढ्ने के लिये जाना मुझे उन दिनों की याद दिलाता है कॉलेज और यूनिवर्सिटी पढ्ने जाता था । मोबाईल की जगह हाथ और बैग मे किताबें ही होती थी।काश वो आदत दोबारा पड़ जाये ।आजकल गौरव सोलंकी की पुस्तक "ग्यारहवीं A के लड़के"पढ़ रहा हुँ।इसके किरदार आपके शहर में भी होंगे तो जरूर, भले ही आपक

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पुस्तक-समीक्षा :आधुनिक युवा-मानसिकता एवम् उसके नैतिक पतन की कहानियाँ

6 दिसम्बर 2018
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पुस्तक: ग्यारहवीं –A के लड़के लेखक: गौरव सोलंकी वर्ष: दूसरा संस्करण, अप्रैल 2018प्रकाशक: राजकमल प्रकाशन प्रा. लि., नई दिल्ली.मूल्य : रू 125, पृष्ठ 144********************“ग्यारहवीं–A के लड़के” गौरव सोलंकी की छह कहानियों का संग्रह है जो व

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