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दलित संत बनाम हिन्दुवाद (संत रविदास जी के जन्मदिवस पर विशेष)

2 फरवरी 2015

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शायद आप सभी को "दलित संत" शब्द अजीब लगे लेकिन मुझे यह शब्द प्रयोग करने में कोई संकोच नहीं है. यहां पर यह शब्द उन संतों के लिए प्रयोग किया गया है जो की दलित समुदाय या दलित चिंतन के आदर्श है. कितनी बड़ी विडंबना है की हम उन्हें संत भी कहते हैं और भेदभाव भी करते हैं. मह्रिषी वाल्मीकि, संत रविदास और बहुत से अन्य जिनको सीधे तौर पर दलितों से जोड़ कर देखा जाता है लेकिन क्या हिंदुत्व उनको न्याय दे पाया है. कितनी बड़ी बात है की शिव पूजा और विष्णु पूजा में एक दूसरे को बड़ा दिखने के चककर में उस आदमी का भी चरित्र बिगाड़ दिया गया जिसने राम नाम के चरित्र को हिन्दू धर्म में जगह दी, हम राम को तो भगवान मनकर पूजते हैं और उसको बनाने वाले वाल्मीकि जी के रामायण की जगह तुलसीदास के रामचरितमानस को पवित्र मानते हैं और वालमीकि जी को हिन्दू मंदिरों में भुला दिया गया है . सिर्फ उनसे जुडी हुए तथाकथित समुदाय के लोग उनका सत्कार करते हैं. बेसक उन्हें आदिकवि माना गया लेकिन हिन्दू धर्म में उन्हें पूर्णत: स्वीकार नहीं किया गया है . तभी तो उनका भी पुनर्जन्म दिखा कर उन्हें भी ब्राह्मण की औलाद बता दिया गया है.जबकि हम रामायण से पहले किसी भी ग्रन्थ में उनका वर्णन नही मिलता तभी जो भी लिखा जाये सब हजम हो जायेगा, दूसरी तरफ संत रविदास जी हैं. श्री गुरु ग्रन्थ साहिब में उनकी वाणी को जगह मिलने के कारण वो सिख धर्म से तो जुड़ गए हैं लेकिन जब हम सिख लोगों द्वारा जट्ट सिख, मजहबी सिख , रामदासिये और रविदासिये का भेद देखते हैं तो हमे हिन्दूधर्म का प्रभाव वहां साफ दिख जाता है. गुरु नानक देव जी और गुरु गोबिंद सिंह जी जैसे महापुरुसों की शिक्षाओं के विपरीत यह विभाग दुखदायी है. तभी वहां पर गुरुद्वारों पर भी अलग अलग समुदायों का कब्जा होने लगा है. हिन्दुवाद का इतना बुरा असर हमे देखने को मिलता है की आज कुछ अवसरवादी लोग इसको ही मुद्दा बना कर आम जनता को जमीनी सच्चाइयों से विमुख कर रहे हैं और भारतीय समाज के विकास में बड़ा पहुंचा रहे हैं . ऐसे समय में स्वतः ही संत रविदास जी की बानी सार्थक हो उठती है : संत रविदास जी कहते हैं कि यह जाति पाति का रोग असल में मनुष्य जाति को हानि पहुँचा रहा है, जाति पाति के चक्र में सभी लोग उलझे रहते हैं अतः हमें जाति-पाँति के चक्र में नहीं आना चाहिए। “बाहमन खत्तरी बैस सूद, ’रविदास’ जन्त ते नाँहि। जो चाहन सुबरन कउ, पावई करमन माँहि।“ रविदास जी कहते हैं की ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र जन्म से नहीं होते अगर कोई सुवर्ण जाति का बनना चाहता है तो वह उसे अच्छे कर्मों से ही मिल सकती है अर्थात अच्छे कर्म से मनुष्य ऊँचा और बुरे कर्मों से नीचा बनता है। मात्र जन्म के कारण कोई नीच नहीं बन जाता हैं परन्तु मनुष्य को वास्तव में नीच केवल उसके कर्म बनाते हैं। “’रविदास’ जन्म के कारनै, होत न कोउ नीच। नर कूँ नीच करि डारि है, ओछे करम की कीच।“ “धन संचय दुख देत है, धन तयागे सुख होय। ’रविदास’ सीख गुरुदेव की, धन मति जोरे कोय।“ संत रविदास जी कहते हैं की मैं ऐसा राज्य चाहता हूँ जहाँ सभी को अन्न प्राप्त हो, छोटे-बड़े कोई न हों सब समान हों और सदैव प्रसन्न रहें। इसलिए अगर हिंदुसमाज किसी महापुरुष नाम लेकर अपना अपने को श्रेष्ट दिखाना चाहता है तो यह आवश्यक हैं की उनकी शिक्षाओं को समाज में व्यावहारिक भी करें. हमारे समाज की कमी यही रही है की हम महापुरुषों को “भगवान” बना देते हैं और मन्दिरों में उनकी मूर्ति रखकर मानवजीवन से उनका नाता खत्म कर देते हैं. आप सभी को संत रविदास जी के जन्मदिवस की हार्धिक बधाई और उम्मीद है की हम उनकी वाणी की वर्तमान जीवन में व्यवहारिकता को भी देखेंगे.

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हरियाणा सरकार लगातार हरियाणा को नंबर वन बताने का दावा करती है पर यह दावा तब फीका पड़ जाता है जब बात दलितों और महिलाओं की सुरक्षा की आती है। हरियाणा में हो रही दलितों पर ज्यादतियों से तो यही लगता है की आज भी हरियाणा उसी युग में जी रहा है जहाँ पर जनजातियाँ और कबीले होते थे। एक कबीला दुसरे कबीलों के

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सामाजिक एकता, सामाजिक समानता और भ्रातृत्व के पक्षधर, ज्ञान के प्रतीक, भारतीय लोकतन्त्र के प्रणेता, दलितों के मसीहा, भारत में बुद्ध धर्म के पुनरुद्धार करने वाले प्रबुद्ध विचारक, शिक्षाशास्त्री और समकालीन दार्शनिक भारत रत्न डॉ भीमराव अम्बेडकर जी के जन्मदिवस पर आप सभी को हार्दिक बधाई। बाबा साहेब का जीव

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69वें भारतीय स्वतन्त्रता दिवस-2015 की हार्दिक शुभकामनायें

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सभी साथियों को विश्व दर्शन दिवस की हार्दिक बधाई। दर्शन सिर्फ अवधारणाओं पर चिंतन नहीं है बल्कि उनको फलीभूत करने से भी जुड़ा है। जिस दिन दार्शनिक और विचारक अपने इस दायित्व को समझ जायेंगे उस दिन समझ लेना भारत सचमुच में आजाद हो गया। वरना धर्म और निम्न मुद्दों को उठाकर जनता को आपस में भिड़ाने वाले नेता औ

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27 नवम्बर 2018
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सभी भारतवासियों को संविधान दिवस (26 नवम्बर) की हार्दिक बधाई । भारत गणराज्य का संविधान 26 नवम्बर 1949 को बनकर तैयार हुआ था। संविधान सभा के निर्मात्री समिति के अध्यक्ष डॉ॰ भीमराव आंबेडकर जी ने भारत के महान संविधान को 2 वर्ष 11 माह 18 दिन में 26 नवम्बर 1949 को पूरा कर राष्ट्र को समर्पित किया। गणतंत्र

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आजकल घर से यूनिवर्सिटी पढ्ने के लिये जाना मुझे उन दिनों की याद दिलाता है कॉलेज और यूनिवर्सिटी पढ्ने जाता था । मोबाईल की जगह हाथ और बैग मे किताबें ही होती थी।काश वो आदत दोबारा पड़ जाये ।आजकल गौरव सोलंकी की पुस्तक "ग्यारहवीं A के लड़के"पढ़ रहा हुँ।इसके किरदार आपके शहर में भी होंगे तो जरूर, भले ही आपक

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