नई दिल्ली: भारतीय हॉकी को आठ इंटरनेशनल और कई नेशनल लेवल के खिलाड़ी देने वाले गोरखपुर के मशहूर हॉकी कोच मोहम्मद इमरान बेटी की शादी के लिए पैसा जुटाने को फेरी वाले बन गए हैं। उन्हें अक्सर साइकिल पर ट्रैक सूट्स बेचते देखा जा सकता है। फर्टिलाइज़र कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के लिए खेल ते रहे इमरान फैक्ट्री बंद होने के बाद से एक हज़ार रुपये की पेंशन पर परिवार चला रहे हैं।
तैयार कर चुके हैं आठ अंतरराष्ट्रीय और 50 नेशनल खिलाड़ियों को
एक ऐसा कोच जिसने भारत की महिला हॉकी टीम की उपकप्तान निधि खुल्लर को प्रशिक्षित किया है इसके अलावा उन्होंने रीता पांडेय, रजनी चौधरी, संजीव ओझा, प्रतिमा चौधरी, जनार्दन गुप्ता और संवार अली कोचिंग दी है उन्होंने देश को आठ अंतरराष्ट्रीय खिलाडी और 50 से ज्यादा नेशनल हॉकी खिलाड़ियों को कोचिंग दी है।
उनके मार्गदर्शन में FCI बना चैंपियन
मुहम्मद इमरान ऑफ इंडिया (एफसीआई) के लिए खेलते थे। जो फिलहाल बंद है। उनके मार्गदर्शन में FCI 1975 से 1985 अंतर टूर्नामेंट के हॉकी चैंपियन बना। 1986 में भारत सरकार ने भारत ने FCI को बंद कर दिया जिसके बाद उन्होंने हॉकी के युवा खिलाड़ियों को प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया।
मेजर ध्यानचंद से सीखे हैं गुर
हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद, मुहम्मद इमरान के गुरु रहे हैं जिसने उन्होंने हॉकी के गुर सीखे थे। ध्यानचंद ने झांसी में 1972 में इमरान को हॉकी के गुर सिखाये थे। इमरान बताते हैं कि जब उन्होंने मेजर ध्यानचंद से एक महान खिलाड़ी कैसे बनते हैं ये पूछा तो उन्होंने जवाब दिया कि लगातार अभ्यास करते रहो और इससे देश को गर्व होने लगे और अगर तुम एक महान खिलाडी ना बन सको तो फिर युवा खिलाडियों को प्रशिक्षण दो।
हॉकी ही मेरा जीवन है
इमरान ने कहा, "हॉकी मेरा जीवन और मेरी दुनिया है। वर्ष 2002 में भारतीय खाद्य निगम को बंद कर दिया गया था और खिलाड़ियों को सेवानिवृत्त हुए थे। इससे उनके लिए वित्तीय संकट खड़ा हो गया उनके पास इतने भी पैसे नहीं थे कि वह बच्चों की पढ़ाई के लिए फीस का भुगतान कर सके लें उन्होंने कभी भी हार नहीं मानी है। पिछले 29 वर्षों से, बिना किसी ब्रेक, वह बच्चों को हॉकी में कोचिंगदे रहे हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान में सिर्फ 1,000 रुपये की पेंशन मिलती है और उनकी बेटी की शादी के लिए उन्हें पैसे इकट्ठा करने के लिए कपड़े बेचने पर मजबूर होना पड़ रहा है।