भाव विभोर न कोई अब हैं सूना-सूना अब वृदावन लगता
चहू ओर लूट मची अपना भी कोई अपना सा नही लगता
चरित्र की चाह नही अब दिल का भाव सूना-सूना लगता
ज्ञान-विज्ञान की चाह,आत्मा का भाव सूना-सूना लगता
©सतीश गुप्ता नरसिंहपुर
20 अक्टूबर 2015
भाव विभोर न कोई अब हैं सूना-सूना अब वृदावन लगता
चहू ओर लूट मची अपना भी कोई अपना सा नही लगता
चरित्र की चाह नही अब दिल का भाव सूना-सूना लगता
ज्ञान-विज्ञान की चाह,आत्मा का भाव सूना-सूना लगता
©सतीश गुप्ता नरसिंहपुर