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भूकम्प

27 अक्टूबर 2015

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भाव,कुभाव की आस जगी 

तब-तब कुदरत की बातजगी

भावो का भाव न हुआ रतनार

जभी फिरू, धरती ढोलन लगी 

सतीश गुप्ता

सतीश गुप्ता की अन्य किताबें

1

आदमी

18 सितम्बर 2015
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जो झुकता नही ,टूट जाता है जो महकता नही,छूट जाता है©सतीश गुप्ता नरसिंहपुर

2

आदमी

18 सितम्बर 2015
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देखकर, अनदेखा कर दिया बिन नश्तर ,कांटा चुभो दिया ©सतीश गुप्ता

3

हिन्दी

18 सितम्बर 2015
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*हिंदी गर है बजूद महकता है* *हिंदी गर है बचपन मचलता है* *हिंदी गर नही कुछ भी नही दोस्तों**हिंदी गर है हिन्दोस्तान महकता है*©सतीश गुप्ता नरसिहपुर

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नजर

19 सितम्बर 2015
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नजर- नजर का शबाब है गर गिरा,अलग अंदाज है न अब शीतल आभास है न वो नजर का शबाब है ©सतीश गुप्ता

5

अंतर्नाद

24 सितम्बर 2015
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तेरा अपना कौन है , जान सके तो जानस्वारथ का बस खेल है,मान सके तो मानमान सके तो मान ,छोड़ माया के चक्कर अब दर्द उधारी का ले,छोड़ जन्मों के चक्कर कह सतीश कविराय ,भाव तू पावन कर ले जन जन से हो प्रेम,जनम मनभावन कर ले ©सतीश गुप्ता नरसिंहपुर

6

आरक्षण

25 सितम्बर 2015
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पूत कपूत, तो का आरक्षण पूत सपूत, तो का आरक्षण कब लो गूंजे ये वोट कथा वोट के खातिर का आरक्षण©सतीश गुप्ता नरसिंहपुर

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बंदगी

25 सितम्बर 2015
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वो पहले निशब्द थी पर भावों में महक थी मंदिर में मिल गई हैं उसकी बंदगी महक हैं

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भारती

28 सितम्बर 2015
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यो आज फिर अक्स तिरंगा हो गए भावमय अंतरमन से भारती हो गए © सतीश गुप्ता

9

हिन्दी

28 सितम्बर 2015
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प्रेम गर हो शब्द महकता हैं हिंदी गर हो वतन महकता हैं

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रिश्वत

1 अक्टूबर 2015
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आजरिश्वत..... (हास्य) ..........................बिन रिश्वत जो रहे ,हर आफिस में ठुकरायकाम बिगाड़े आपनो, कट -पागल कहलाय कट -पागल कहलाय,यार रिश्वत दे ही देना होगे फिर सब काम ,यार न अब पीछे रहना घर में हो त्यौहार, यार अब मुनिया भी नाचे यू बिन होली त्यौहार,साली भी फगुआ माँगे@सतीश गुप्ता*******************

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जिश्म

3 अक्टूबर 2015
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कुबेर का खजाना पाकर भी गरीब यो हो गए उसका प्यार पाकर,अहसान फरामोश हो गए यो खेलते रहे हर पल जिश्म के गुलाम हो गए जब तराशे गए यार,फिर दिल से फकीर हो गए @सतीश गुप्ता

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शोरगुल

14 अक्टूबर 2015
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पंडालों,जुलूस में होने वाले शोरगुल पर लगे अंकुश**************************************************यू अपनी विकृतइयों का इजहार पर्व न बनेमाँ की चेतावनी बार-बार शंखनाद कर रही आपके भावों की महक फिर जिश्म न बने हर दूषित भावों का शमन करने का पर्व हैं क्या शोरगुल कुण्डली जागरण का पर्व है? जय महाकाली ©सतीश ग

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प्रीत

15 अक्टूबर 2015
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सहज नहीं हैं तड़फन मेरी हर पल सदियों का खेल यहा प्रेम प्रीत उनको मिलती है जिसका जितना त्याग बड़ा©सतीश गुप्ता नरसिंहपुर म.प्र.

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बेटे मेरे

15 अक्टूबर 2015
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आज किसकी अंगुली थाम के, चलूँ बेटे मेरे आज गिर रहा हूँ, कौन? संभालेगा बेटे मेरे तेरी वचपन की यादें, आज फिर खुश्बू बनी काँटों भरें पथ में,यादों की गंध बस बेटे मेरे @सतीश गुप्ता नरसिंहपुर म.प्र.

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आदमी

15 अक्टूबर 2015
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हर युग में तराशा गया होगा आदमी का जनम पाया होगा न आ पाया विकृत भाव कभी तब आदमी को बनाया होगा @सतीश गुप्ता

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जीवन

15 अक्टूबर 2015
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वो बचपन ,ये जवानी वो महक , ये कहानी कालजयी ,तो नुरानी नहीं ,जीवन तूफानी@सतीश गुप्ता

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वाप

15 अक्टूबर 2015
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वाप की मंहक आज तलकमाँ की लोरी है आज तलकवे जब थे कुबेर का खजानाअब नहीं गरीबी आज तलकजब तलक चेहरे पर नूर है इठला लीजियेजब नूर अलविदा होने लगें याद. कीजिये©सतीश गुप्ता नरसिहपुर 

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इश्क़

15 अक्टूबर 2015
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धरती घूम- घूम प्रेम गीत गाती हैंयो तब तो सूरज के चक्कर लगाती हैंइश्क का उजाला फैला हैं चारो तरफहर किरण धरा पर प्रेम गीत गाती हैं© सतीश गुप्ता, नरसिंहपुर, मप्र, भारत

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घर

15 अक्टूबर 2015
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घर बोलता हैं कभी चिख्खारता हैं बिन मेहनत की कमाई परदिल को छार-छार करता हैं......केवल प्यार पल पल होबस मनुहार पल पल होंघर ईंट पत्थर का नहींबस भाव का मधुमास हो©सतीश गुप्ता          

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भाव

18 अक्टूबर 2015
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भीतर बाहर एक सा , जो बन जाये आज नाथ कृपा होके रहे ,महक उठे फिर आज@सतीश गुप्ता

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भाव

18 अक्टूबर 2015
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भाव कुभाव भये जब लो,फिर कैसे कृपा होई जावे तन,मन ,धन , पाक हुए देवी कृपा उस पल आवे@सतीश गुप्ता

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उधारी

20 अक्टूबर 2015
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उधारी युग की अभिशाप हैं यू देना-लेना हुआ बेकार है कभी मूँछ का बाल रखते थे आज बिन मूँछो का बाजार हैं@सतीश गुप्ता 

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भाव

20 अक्टूबर 2015
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भाव विभोर न कोई अब हैं सूना-सूना अब वृदावन लगताचहू ओर लूट मची अपना भी कोई अपना सा नही लगताचरित्र की चाह नही अब दिल का भाव सूना-सूना लगताज्ञान-विज्ञान की चाह,आत्मा का भाव सूना-सूना लगता ©सतीश गुप्ता नरसिंहपुर

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प्रिय मित्र

20 अक्टूबर 2015
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शब्दिका,,,,,,###########प्रिय मित्रफेसबुक पर कितने प्यारेलगते होजब मिलते होअहं के खजानेलगते हो©सतीश गुप्ता

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आजकल

20 अक्टूबर 2015
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खूटी से यार जिश्म टांगते हैं आजकलमेरे प्रभु से मिलन चाहते हैं आजकल ©S.C. GUPTA

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रावण

22 अक्टूबर 2015
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*शब्दिका*कलयुग कारावण त्रेतायुग केरावण सेसबल है बार-बार जलकर भी आज अजर-अमरहै©सतीश गुप्ता नरसिंहपुर

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भाईचारा

24 अक्टूबर 2015
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अब छोड़ दो,छोड़ दो,नफरत के दायरे प्यार दो,प्यार दो, भाईचारे के वास्ते भरत भाव आज महक जाये अगर महक लो,महक लो,,राम के आसरे©सतीश गुप्ता नरसिंहपुर

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रिश्ते

27 अक्टूबर 2015
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शब्दिका रिश्तेहिटलर के बोल हो गयेंजबतराशे गये ढोल में पोल हो गयें सतीश गुप्ता

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भूकम्प

27 अक्टूबर 2015
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भाव,कुभाव की आस जगी तब-तब कुदरत की बातजगीभावो का भाव न हुआ रतनारजभी फिरू, धरती ढोलन लगी सतीश गुप्ता

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अक्स

27 अक्टूबर 2015
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जब भी देखते है चेहरा तमतमाया लगता हैन देते है न लेते है दर्पण पराया सा लगता है

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करवां चौथ

30 अक्टूबर 2015
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करवां चौथ के अनमोल वचनकरवाचौथ की ढेर सारी मंगलकामनाएं******************************तुम हमारी सुनो हम तुम्हारी सुनेतुम हमारी कहो हम तुम्हारी कहे निशब्द भावों का प्रेम यू मचल उठे करवां चौथ का चाँद इश्क़ इश्क़ कहे ©सतीश गुप्ता नरसिंहपुर

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happy birthday to मध्यप्रदेश

1 नवम्बर 2015
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happy birthday to मध्यप्रदेशमेरी जमी मेरा प्रदेशमेरी साँस मेरा बजूद इसको पावन बना ले उनका दर्द हो मेरा दर्द दर्द मनभावन बना लेआरक्षण भूल फिर हो दूरजन्मदिन फिर मना ले सतीश गुप्ता नरसिहपुर मध्यप्रदेश

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जिश्म

8 नवम्बर 2015
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जिश्म मंदिर हैं, पावन भावों से सजा लीजियेअशेष लम्हों में ,अब आत्मदीप जला लीजियें एक पल की वाह न बने जीवन की आह यार जिश्म नश्वर है जनम शाश्वत बना लीजिये©सतीश गुप्ता नरसिंहपुर

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चाहत

11 नवम्बर 2015
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चाहत ,अंधेरे में भी दीप बनके आती है चाहत बेगानों को अपना  बना लेती .हैं चाहत,वंदन मीठे भावों का शैलाब यारों चाहत यू सच्ची हो भगवान बना देती है©सतीश गुप्ता नरसिंहपुर

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दीप

11 नवम्बर 2015
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यू अंधेरों के दीप जलाते रहे विकृति के जश्न मनाते रहे क्या खोया,क्या हश्र फिर क्यों अंधेरों के दीप हँसाते रहे ©सतीश गुप्ता नरसिंहपुर11-11-2015

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दीवाली

12 नवम्बर 2015
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1

अन्नकूट,गोवर्धन पूजा की शुभकामनायेंयू इस दीवाली का दिवाला जब तक रहेगा काम क्रोध लोभ मोह, अहं तब तक रहेगा ध्यान,योग से मन को थामों ,दीप भाव मनुहार रहे कलुष भाव फिर मिट जाएँ जब तक धरती चाँद रहे सतीश गुप्ता

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भाई दूज

13 नवम्बर 2015
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भाई दूज पर अतीत का अहसास १३/११/१५----------------------------------------- आज प्यारी बहना का अहसास आया हैं आज अम्रृत- कलस का प्याला आया है आज जब आती हवाएं मनुहार करती थी आज फिर भाई दूज का उपहार आया है©सतीश गुप्ता नरसिंहपुर

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शादी

15 नवम्बर 2015
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सूरत देखकर, शादी कर .लीजिये यू सीरत जुदा मिले क्या कीजिये ?©सतीश गुप्ता नरसिंहपुर

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भाव

17 नवम्बर 2015
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कर्मभाव जब बने अंतरात्मा से पूछिये गर अच्छा न कर सको बुरा न कीजिये©सतीश गुप्ता नरसिंहपुर

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मोह

28 नवम्बर 2015
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जब जब मोह जादुई चमत्कार दिखाता हैतब तब वाप बेटे की विकृति भूल जाता है सतीश गुप्ता

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शाश्वत

29 नवम्बर 2015
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अब न प्रेम  शाश्वत है न नफ़रत शाश्वत .हैं जो निष्काम हो गया बस वो ही शाश्वत है सतीश गुप्ता

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मंदिर

4 दिसम्बर 2015
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मान से परे गाँव हम बनावे विकृति से परे गाँव हम बसावे उस गाँव में पावन मंदिर हो उस मंदिर को घर हम बनावे©सतीश गुप्ता नरसिंहपुर

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पैसा

13 दिसम्बर 2015
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पैसा पैसा जो कहे , जन जन ऊपर जाये जन जन जो कहे ,पैसा न ले ऊपर जाये©सतीश गुप्ता नरसिंहपुर

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विश्व हिन्दी दिवस २०१६

10 जनवरी 2016
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विश्व हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनायेंहिंदी गर है हिन्दोस्थान महकता है हिंदी गर है इश्क़ -ए-नूर बनता है विश्व भौतिकता को परे कर फिर जन-जन अंतरतम भाव कहता है©सतीश गुप्ता नरसिंहपुर

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प्रेमगली

15 जनवरी 2016
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प्यार का सन्देश देती है यू नेह का पैगाम देती है वो रास्ता भूल नही पाता वो पथ प्रेमगली होती है सतीश गुप्ता

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क्रोध

17 जनवरी 2016
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धरम भाव की चाकरी, विनय रहे दिन . रैनदुष्ट भाव माने नही फिर क्रोध भाव ही चैन सतीश गुप्ता

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प्यार

4 फरवरी 2016
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न हार से, न तलवार से जगह बनाओ, प्यार से स्वरचित©सतीशगुप्ता

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शांति

4 फरवरी 2016
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संतोष है जहाँ जहाँ शांति है वहाँ वहाँ तृष्णा है जहाँ जहाँ अशांति है वहाँ वहाँ काम क्रोध लोभ मोह जिसने भी परे किया फिर नाथ है वहाँ वहाँ अमन है वहाँ वहाँ स्वरचित©सतीश गुप्त

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बदला

9 मार्च 2016
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बदले का भाव दिल का दुश्मन बना,दोस्ती की दास्तान लिखा कीजियेंअगर देर आओ दुरूस्त आओं फिरमेरे यार ये अल्फाज मान लीजियें   सतीश गुप्ता 

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माँ तेरा ही सहारा...

8 अप्रैल 2016
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...नवरात्रि की शुभ कामनायेंध्यान पथ की शुरूआत हैआज शैलपुत्री का भाव है यू कलुष भाव फिर दूर होआज दिल में तेरी आस है©सतीश गुप्ता

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करनी कथनी

8 अप्रैल 2016
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3

१- चलती चक्की देखकर,चक्की दियो भुलाय .दो पाटन के बीच में ,डी जे दियो चलाय२- करनी कथनी देखकर दिया मुल्क है रोय .स्वारथ ही स्वारथ रहे वचन रहा है खोय३-प्रेम प्रेम कहता फिरे प्रेम न मिलया कोय .स्वारथ स्वारथ साथ हो,प्रेम कहा से होय सतीश गुप्ता

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