चाहत ,अंधेरे में भी दीप बनके आती है
चाहत बेगानों को अपना बना लेती .हैं
चाहत,वंदन मीठे भावों का शैलाब यारों
चाहत यू सच्ची हो भगवान बना देती है
©सतीश गुप्ता नरसिंहपुर
11 नवम्बर 2015
चाहत ,अंधेरे में भी दीप बनके आती है
चाहत बेगानों को अपना बना लेती .हैं
चाहत,वंदन मीठे भावों का शैलाब यारों
चाहत यू सच्ची हो भगवान बना देती है
©सतीश गुप्ता नरसिंहपुर