जिश्म मंदिर हैं, पावन भावों से सजा लीजिये
अशेष लम्हों में ,अब आत्मदीप जला लीजियें
एक पल की वाह न बने जीवन की आह यार
जिश्म नश्वर है जनम शाश्वत बना लीजिये
©सतीश गुप्ता नरसिंहपुर
8 नवम्बर 2015
जिश्म मंदिर हैं, पावन भावों से सजा लीजिये
अशेष लम्हों में ,अब आत्मदीप जला लीजियें
एक पल की वाह न बने जीवन की आह यार
जिश्म नश्वर है जनम शाश्वत बना लीजिये
©सतीश गुप्ता नरसिंहपुर
बहुत खूब सतीश जी |
9 नवम्बर 2015