आजकल आप देखिये प्रकृति ने भी अपना व्यवहार बदल लिया क्योंकि इन्सान ने उसे बदलने के लिये मजबूर
कर दिया है क्योंकि सिर्फ अपनी जरूरत को पूरा करने के लिये हम इन्सान लगातार प्रकृति को नुकसान पंहुचा
रहे है । अब जंगल तो नाम के ही रह गये है । शहरों का विस्तार तो एेसे भड़ रंहा है जैसे जिस स्पीड से प्रदूषण
भड़ रहा है । अपनी जरूरत के हिसाब से हम पेड़ काट रहे है प्रदूषण भड़ रहा है ।
पहले गर्मी सर्दी बरसात को मौसम बराबर-बराबर महीने का होता था पर अब प्रकृति ने अपने आप को
बदल लिया है जैसे इन्सान बदल गया है अब गर्मी 8 महीने की हो गई और 2 महीने की सर्दी और 2 महीने की
बरसात और गर्मी का प्रकोप आप देख रहे है हर जगह गर्मी से त्राहिमाम त्राहिमाम हो रही है और यही हाल
बरसात और सर्दी का है कही तो बरसात होती नहीं और कहीं बरसात लिमिट से ज्यादा होती है इन्सान ही
नहीं अब तो प्रकृति भी बदल गई है । शायद इन्सान बदल जाये तो शायद प्रकृति भी अपने आप को फिर से
बदल लें ।