1947 में जब ब्रिटिश राज वाले भारत देश का बंटवारा हुआ तो दो नए आजाद मुल्क बने। इसका नतीजा इतिहास के सबसे बड़े माइग्रेशन के रूप में सामने आया। इस दौरान सवा करोड़ लोग विस्थापित हुए थे और इसमें सबसे ज्यादा प्रभावित महिलाएं हुई थीं। हजारों की संख्या में लड़कियां और महिलाएं रेप और टॉर्चर का शिकार हुईं।10 लाख से ज्यादा लोगों ने गंवाई थी जान । बंटवारे के वक्त जबरदस्त असमंजस और भ्रम की स्थिति थी। इसका नतीजा 10 लाख से ज्यादा लोगों ने मौत के तौर पर सामने आया। महिलाओं को तो मौत से भी बुरे वक्त का सामना करना पड़ा। वो टॉर्चर, गैंगरेप और मर्डर तक की शिकार हुईं। इस तरह के अत्याचार खासतौर पर पंजाब और बंगाल राज्यों में हुए। जिसमें हर उम्र, ग्रुप और सोशल क्लास की महिलाएं शामिल थीं। असुरक्षा के चलते महिलाएं और लड़कियां अपने ही घर में अत्याचार का शिकार होने लगीं। भारत सरकार के आंकड़ों के मुताबिक पार्टीशन के दौरान 83000 महिलाएं और लड़कियां अगवा और रेप की शिकार हुईं। . हालांकि माना जाता है कि ऐसी महिलाओं और लड़कियों की संख्या सरकार के इस आकंड़े से कहीं ज्यादा थी।
रेप और टॉर्चर के मामलों के चलते परिवार के सम्मान के नाम पर लड़कियों और महिलाओं को सुसाइड के लिए मजबूर किया जाने लगा था। महिलाओं को खुद उनके रिलेटिव्स ही मार रहे थे।