आजकल एक नाम अधिकतर गाडियों पर देखेगें चाहे वो बाईक हो या कार - प्रैस
चाहे उसके दूर दूर तक उसके खानदान का रिश्ता ना हो पर गाड़ी पर लिखते है - प्रैस
ऐसे लगता है जैसे सारे ही रिपोर्टर बनकर घूम रहे है आजकल आम लोग तो शायद गिनती के होंगे जिनके
व्हीकल पर प्रैस ना लिखा हो । सोचने की बात है कि वो ऐसा क्यूं करते है और प्रशासन इस और ध्यान क्यूं
नहीं देता । बहुत से लोगों के पास तो प्रैस का आई कार्ड भी मिल जायेगा । वो ऐसा सिर्फ प्रशासन को मुर्ख
बनाने के लिये करते है जिससे उनके व्हीकल को पुलिस वाले ना रोकें और वो बिना किसी परेशानी से आजादी
से घूम सके । और उनका टोल टैक्स भी बच जायें अधिकतर लोग टोल टैक्स बचाने के लिये भी ऐसा करते है
और प्रशासन को मुर्ख बनाते है और प्रशासन मुर्ख बन रहा है और प्रैस नाम का फुल दुरूपयोग हो रहा है ।