नई दिल्ली:योगी आदित्य नाथ के मुख्य मंत्री बनने के बाद सहारनपुर में भड़का दंगा,योगी काल का प्रथम ऐसा कांड है जिसे संम्भालने में योगी को सचिव गृह को वह कैम्प लगाकर रुकने के आदेश देने पड़े।
इस जातीय दंगे की आंच अभी भी खत्म नही हुई है।छुटपुट वारदाते आये दिन घटित हो रही है। विपक्षी दलों ने भी इसे मुद्दा बना रखा है।मायावती के जाने से दंगा भड़क उठा था वही राहुल गांधी को दंगाग्रस्त क्षेत्र में घुसने भी नही दिया गया।
दलितों और ठाकुरों के बीच जातीय संघर्ष में यूपी का सहारनपुर ऐसा फंसा कि आज तक सब कुछ ठीक नहीं हो सका है।यूपी पुलिस मान रही है कि सहारनपुर में 9 मई को हिंसा की आग में भीम आर्मी ने चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण की अगुवाई में घी डाला था। चंद्रशेखर और उसके समर्थकों पर रामनगर में एक पुलिस चौकी, कई मोटर साइकिलें-कारें जलाने और पुलिस पर हमले का आरोप है।
सहारनपुर की हिंसा के मामले में चंद्रशेखर आरोपी है लेकिन आज तक पुलिस की पकड़ में आया नहीं। अब भीम सेना के संस्थापक चन्द्रशेखर के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी हुआ है। उस पर 12000 रुपये का इनाम रखा जाएगा।यूपी पुलिस जिसे ढूंढ नहीं पा रही है वो चंद्रशेखर सूत्रों के अनुसार आजाद होकर पंजाब के जालंधर मेंघूमता देखा गया।
सहारनपुर हिंसा के बाद जिले के एसएसपी और सिटी मेजिस्ट्रेट को हटाया गया था। चंद्रशेखर इसी को भीम आर्मी की बेगुनाही का सबूत मान रहे हैं। अगर भीम आर्मी गलत थी तो अफसरों को क्यों हटाया गया। सूत्रों के अनुसार चंद्रशेखर का कहना है कि वो सरेंडर के लिए तैयार है लेकिन उसकी शर्त है कि हिंसा के मामले में बेगुनाहों की जमानत होनी चाहिए।
भीम आर्मी दलितों का संगठन है जिसकी शुरूआत चंद्रशेखर ने की। सात राज्यों में भीम आर्मी की टीम है. पेशे से वकील चंद्रशेखर ने दो साल पहले एक सामाजिक संगठन के तौर पर भीम आर्मी का गठन किया था लेकिन 2 साल के भीतर ही भीम आर्मी हिंसा करने के आरोपों में घिर गया है। इसी विवाद के बीच एक ऑडियो क्लिप भी चर्चा में है जिसमें भीम आर्मी के लोग हथियार जुटाने और लोगों को मार गिराने की बातें करते सुने जाते हैं।