नई दिल्ली : अपराधियों और खाकी के किस्से तो आपने खूब सुने होंगे. लेकिन बिहार की पुलिस राज्य के गुंडे माफियों से निपटने के साथ -साथ कुछ ऐसे काम भी कर रहे हैं, जो समाज के लिए चौकानें वाली बात लगती है. यहां के गया जिले के प्रवीण कुमार कूड़ा बीनने वाले बच्चों का भविष्य सुधारने के लिए उनके जीवन में मास्टर साहब का अवतार लेकर आये हैं.
बच्चों के लिए पुलिस से बने मास्टर साहब
जिसके चलते वो इन बच्चों के लिए पुलिसवाले नहीं बल्कि उनके मास्टर हैं. वह इन बच्चों को शिक्षित करके उनका जीवन संवारना चाहते हैं. प्रवीण कुमार ने बताया कि मुझे इन बच्चों को शिक्षित करने का निर्देश मिला है. इसके अलावा डीएसपी और इंस्पेक्टर भी बच्चों को पढ़ा रहे हैं. वहीं प्रवीण की ‘स्टूडेंट’ सुमन ने कहा कि हम कूड़ा बीनने वाले हैं. लेकिन हम अब यहां पढ़ाई कर रहे हैं. मैं भी एक दिन पुलिस सेवा में जाना चाहती हूं.
पुलिस के कई बड़े अफसर भी बच्चों को दे रहे हैं शिक्षा
ऐसी ही एक पहल बिहार के पूर्णिया जिले में भी सामने आई है. बिहार के पूर्णिया जिला में अपनी ड्यूटी से फुर्सत पाने के बाद पुलिसकर्मी दूरदराज इलाके में अशिक्षित बच्चों और व्यस्कों को पढाने के लिए ‘शाम की पाठशाला’ लगाते हैं. पूर्णिया के पुलिस अधीक्षक निशांत तिवारी और अन्य पुलिसकर्मी द्वारा हरदा, बायसी और अन्य गांवों में अशिक्षित बच्चों और व्यस्कों को बुनियादी तालीम देने के लिए शाम की पाठशाला लगायी जाती है. तिवारी ने बताया कि जब भी उन्हें अपने काम से फुर्सत मिलती है तो अशिक्षित बच्चों और व्यस्कों को बुनियादी तालीम देने के लिए ऐसी शाम में चलाए जाने वाले स्कूल में भाग लेते हैं, जिसका मुख्य उद्देश्य उन्हें मुख्यधारा से जोडना है.
समाज को दे रहे हैं निशुल्क योगदान
पूर्णिया जिला मुख्यालय से करीब 10 किलोमीटर दूरी पर स्थित हरदा गांव में लगायी गयी ऐसी ही एक शाम की पाठशाला में कल निशांत तिवारी और पुलिस उपमहानिरीक्षक उपेंद्र सिन्हा ने भाग लिया. तिवारी ने बताया कि प्रदेश में शराबबंदी का असर दिख रहा है. कई व्यस्क जो कि शराब छोडने के बाद ऐसे स्कूलों में एक छात्र के तौर पर अपना समय दे रहे हैं. वहीं कई शिक्षक के तौर पर भी अपना योगदान दे रहे हैं.
गरीबों को शिक्षित करने में जुटी बिहार पुलिस
पुलिस उपमहानिरीक्षक ने बताया कि कुछ स्वयं सेवी संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं को इस तरह के स्कूल के स्थायी संचालन के लिए लगाया गया है. उन्होंने बताया कि हरदा गांव में दरभंगा, मधुबनी और अन्य स्थानों के करीब 100 मजदूर परिवार मखाना की खेती में लगे हुए हैं जिनके बच्चों को शाम की इन पाठशालों में आने के लिए प्रेरित किया जाता है. उपेंद्र ने बताया कि इस नेक काम के प्रति जो पुलिसकर्मी इच्छुक हैं. वे मुफ्त अपना योगदान दे रहे हैं तथा बच्चों को पढा रहे हैं. पुलिस अधीक्षक ने बताया कि इन पाठशालों में पढने वाले बच्चों और व्यस्कों को मुफ्त किताब, कापी, पेंसिल और खेल की सामग्री उपलब्ध करायी जा रही है. उन्होंने बताया कि पुलिसकमिर्यों के लोगों के करीब आने से पुलिसिंग के कार्य में मदद मिलती है.