नई दिल्लीः केरल के बहुचर्चित सौम्या मर्डर केस में आरोपी को कोर्ट से रियायत मिलने पर रिटायर्ड जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने ब्लॉग लिखकर जजमेंट की चूक पर गंभीर सवाल खड़े किए। जिससे हड़कंप मच गया। यह शायद पहला मौका है जब उनके ब्लॉग को ही सुप्रीम कोर्ट ने रिव्यू पिटीशन मानते हुए केस की सुनवाई में बयान लेने का फैसला किया। ताकि सही जजमेंट हो सका। अब सुप्रीम कोर्ट ने काटजू को नोटिस जारी कर पक्ष रखने को तलब किया है। सौम्या मर्डर केस की अगली सुनवाई 18 नवंबर को होनी है।
क्या कहा कोर्ट ने
सुप्रीम कोर्ट ने कहा जस्टिस काटजू मामले में अपना पक्ष रखें और उसके बाद हम सौम्या की मां और केरल की पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करेंगे। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने केरल के इस चर्चित मामले में आरोपी गोविंदाचामी को केवल रेप का दोषी माना और मर्डर केस से बरी करते हुए फांसी की सजा रद्द कर दी थी। जिससे उसकी फांसी की सजा उम्रकैद में बदल गई थी। इसके पीछे कोर्ट ने सुबूत का अभाव दिया।
काटजू ने क्या उठाया था सवाल
काटजू ने बेबाकी से कोर्ट के फैसले में गड़बड़ी की ओर इशारा किया था। कहा था कि जजमेंट में गंभीर खामी है। सूबूत के आधार पर देखा जाए तो सौम्या के शरीर पर दो तरह की चोट थी। उसे ट्रेन के अंदर सिर में चोट पहुंचाई गई। फिर ट्रेन से बाहर फेंका गया। पहले सुबूत के आधार पर ही आरोपी हत्या का दोषी सिद्ध हो जाता है। किसी के सिर पर चोट पहुंचने से उसकी आसानी से मौत हो जाती है।
क्या है सौम्या मर्डर केस
केरल के मंजक्कड़ निवासी 22 साल की सौम्या का वर्ष 2011 में बेरहमी से रेप के बाद कत्ल कर दिया गया था। वह एक फरवरी को एर्णाकुलम से शोरनूर जा रही थी। सुनसान लेडीज कंपार्टमेंट में ले जाकर गोविंदाचामी नामक व्यक्ति ने गंभीर रूप से चोटिल कर ट्रेन से बाहर फेंक दिया और खुद कूद गया। फिर दुष्कर्म कर दिया। गंभीर रूप से घायल होने के बाद सौम्या ने दम तोड़ दिया था। इस मामले में आरोपी को फांसी की सजा दिए जाने का आदेश हुआ। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने रेप और मर्डर में सिर्फ रेप का दोषी मानते हुए आरोपी की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया। जिस पर काटजू से नहीं रहा गया तो उन्होंने सवाल उठाया.