नई दिल्ली : बसपा के नीले रंग के कपडे पहन कर समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता आज़म खान ने अपनी ही पार्टी को डूबता हुआ जहाज कह डाला. उनके इस बयान के बाद इस तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं की वह अपनी 100 करोड़ की जौहर यूनिवर्सिटी को बचाने के लिए सपा को छोड़कर बसपा में शामिल हो सकते हैं. दरअसल बीजेपी नेता की शिकायत पर जौहर यूनिवर्सिटी की जाँच प्रवर्तन निदेशालय 'ED' में लंबित है.
जया और अमर को लेकर आज़म का जख्म हुआ हरा
सूत्रों के मुताबिक उनके गृह जनपद रामपुर से सपा के टिकट पर दो बार सांसद चुनी जा चुकीं जयाप्रदा को लेकर अमर सिंह से चल रहा पुराना विवाद फिर गहराता हुआ दिख रहा है. दरअसल अमर सिंह से उनकी जो अंदरूनी लड़ाई चल रही है. सही मायनों में वह लड़ाई अमर सिंह से नहीं बल्कि जयाप्रदा से है. बताया जाता है कि इस लड़ाई के चलते ही पूर्व में आज़म खान पार्टी छोड़कर चले गए थे. लेकिन जब उनकी दाल किसी और पार्टी में नहीं गली तो वह फिर से सपा में शामिल हो गए. यही हाल सपा छोड़कर गए अमर सिंह और जयाप्रदा का भी हुआ.
अमर और जया से चिड़े बैठे हैं आज़म खान
सपा में जब आज़म खान कि वापसी हुई तो कुछ समय बाद अमर सिंह और जयाप्रदा भी पार्टी में अपनी एंट्री को लेकर चक्कर काटने लगे. पिछले दिनों जब सपा में अमर सिंह कि लंबे समय बाद एंट्री हुई तो आज़म खान खामोश रहे, लेकिन जैसे ही उनका नाम राज्यसभा भेजे जाने के लिए मुलायम सिंह यादव ने पार्टी मुख्यालय में बैठक बुलाई और अमर सिंह का नाम आया. वैसे ही सपा सांसद रामगोपाल और आज़म खान ने उनके नाम का विरोध कर दिया. और तो और नेताजी कि इस बैठक में खफा होकर आज़म खान अपने गृह जनपद रामपुर लौट गए.
जया को मंत्री बनने से नहीं रोक सके आज़म
सूत्रों के मुताबिक सपा से अमर सिंह को राज्यसभा सांसद बनने से आज़म खान नहीं रोक सके. इतना ही नहीं पार्टी में दोबारा से शामिल हुई जयाप्रदा को भी यूपी के सीएम अखिलेश यादव ने अमर सिंह के कहने पर उत्तर प्रदेश फिल्म विकास परिषद् का उपाध्यक्ष बनाकर उन्हें केबिनेट मंत्री का दर्जा दे दिया. इस दौरान भी आज़म खान कुछ नहीं कर सके. सपा में फिर से अमर सिंह और जयाप्रदा के बढ़ते कद को लेकर काफी दिनों से परेशां चल रहे आज़म खान के सब्र का बांध चुप रहते- रहते सोमवार को टूट गया और वह अपने गृह जनपद के पत्रकारों से बात ही बात में यह बोल गए कि सपा डूबता हुआ जहाज है.
आज़म छोड़ सकते हैं सपा
हालाँकि यह बात उन्होंने अमर सिंह और जयाप्रदा के बढ़ते कद को लेकर बोली है. लेकिन आज़म के कुछ करीबी लोगों का कहना है कि उन्होंने सपा को छोड़ने का मन बना लिया है. उधर सपा के नेताओं का कहना है कि आज़म बड़े तेवर वाले नेता है. इसलिए अक्सर उनकी जुबान फिसल जाती है. ऐसा कुछ भी नहीं है. जबकि रामपुर में आज़म खान के करीबियों कि मानें तो 100 करोड़ कि लगत से बनी आज़म खान कि जौहर यूनिवर्सिटी को बचाने के लिए मंत्रीजी बसपा में जा सकते हैं. मालूम हो कि जौहर यूनिवर्सिटी कि जाँच प्रवर्तन निदेशालय 'ईडी' कर रही है.
आज़म के पास बसपा के अलावा कोई और विकल्प नहीं
ऐसे में अगर यूपी में सपा कि सरकार फिर से नहीं बनती है तो आज़म खान नियमों को ताक पर रखकर बनायीं गयी जौहर यूनिवर्सिटी फिर से विवादों के घेरे में फंस जाएगी. बताया जाता है कि यूपी में बीजेपी कि सरकार तो आज़म का मानना है कि दोबारा से बनने वाली नहीं. इसलिए वह अपनी यूनिवर्सिटी बचाने को लेकर साल 2017 में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में बसपा में शामिल हो सकते हैं. दरअसल आज़म खान को अपनी लाज बचाने के लिए इसके अलावा और कोई रास्ता भी नहीं दिख रहा है.