कानपुर : कानपुर के आरटीओ ऑफिस में अक्सर अपनी नई गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन के लिए लोगों की भीड़ लगी रहती है। गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन कराने वाले लोग अक्सर यहाँ अपनी नई ऑल्टो, वेगनआर या मोटर साईकिल, स्कूटरों के रजिस्ट्रशन के लिए आते हैं लेकिन 20 अक्टूबर 2015, मंगलवार के दिन जब कानपुर के आरटीओ ऑफिस में एक नीले रंग की जगुआर कार दाखिल हुई तो वहां मौजूद लोग ठिठक गए। पता चला कि नीले रंग की चमकती ये जगुआर कानपुर के मशहूर इस्पात कारोबारी और 'रिमझिम' इस्पात के एमडी योगेश अग्रवाल की है।
ज्यादातर लोग गाडी के सामने खड़े होकर फोटो खिंचवाने लगे। फोटो खिंचवाने वालों में आम लोग ही नही बल्कि खुद आरटीओ के अधिकारी प्रभात पांडेय और आरआई जय सिंह भी शामिल थे। सभी इस कीमती कार की सुविधाओं की जानकारी ले रहे थे। एआरटीओ प्रशासन के अनुसार इसकी कीमत 'एक करोड़ तीन लाख' रुपये है थी और इस पर टैक्स दस लाख रुपये लगा।
जगुआर से अन्य टैक्स इंटेलिजेंस एजेंसियों के कान खड़े
ऐसा पहली बार हुआ था जब कानपुर जैसे शहर में किसी ने इतनी महँगी कार खरीदी। शहर में जगुआर की चर्चा इस कदर हुई कि रेवेन्यू इंटेलिजेंस की नजर में भी जगुआर कार आ गई। डायरेक्टरेट जनरल ऑफ़ सेंट्रल एक्साइज इंटेलिजेंस (DGCEI) ने पता करने की कोशिश की कि जगुआर के मालिक योगेश अग्रवाल के पास इतनी सम्पति कैसे आ रही है। इस मामले में एक्साइज इंटेलिजेंस को एक गुप्त सूचना मिली जिसमे कहा गया कि योगेश अग्रवाल की इस्पात कंपनी करोड़ों का उत्पाद शुल्क चोरी कर रही है।
योगेश की कई बोगस कंपनियां
जानकारी यह भी मिली कि अग्रवाल की दर्जन भर से ज्यादा बोगस कंपनियां हैं। सूत्र यह भी बताते हैं कि इंटेलिजेंस एजेंसी को खबर देने वाला भी योगेश का ही कोई करीबी था, जिसने मोदी सरकार के कालाधन अभियान की उस स्कीम के प्रभावित होकर यह जानकारी दी थी। इस स्कीम के तहत कालाधन की जानकारी देने वाले को इनाम की व्यवस्था है। इसी साल सितंबर में डीजीसीईआई दिल्ली ने रिझमिझ इस्पात के कानपुर, हमीरपुर व उन्नाव में एक दर्जन से अधिक ठिकानों पर छापेमारी की।
डीजीसीईआई के डिप्टी डायरेक्टर खुद आये छापेमारी करने
डीजीसीईआई के डिप्टी डायरेक्टर प्रवीन बाली 20 अधिकारियों के साथ खुद यहां आए थे। इस जांच में शहर में फजलगंज स्थित फैक्ट्री, तिलक नगर व अशोक नगर स्थित घर, कारपोरेट ऑफिस व गोदाम की जांच की गई थी। उन्नाव व हमीरपुर के भरुआासुमेरपुर स्थित फैक्ट्रियों के रिकॉर्ड भी खंगाले गए थे। उस दौरान करीब सौ करोड़ रुपये की एक्साइज ड्यूटी चोरी होने के प्रमाण मिले थे। तब सेंट्रल एक्साइज की टीम को योगेश नही मिले क्योंकि तब वह चीन में थे।
रेवेन्यू सेक्रेटरी हंसमुख अधिया ने दिया आदेश
परिणाम स्वरुप सेंट्रल एक्साइज की टीम ने यह जानकरी रेवेन्यू सेक्रेटरी हंसमुख आधिया को दी जो प्रधानमंत्री मोदी के बेहद करीबी बताये जाते हैं। आधिया ने आदेश दिया कि किसी भी तरह अब योगश अग्रवाल के कालेधन के कारोबार को बेनक़ाब किया जाए। इसके लिए एक्साइज इंटेलिजेंस की टीम दिल्ली से ट्रैन के जरिये कानपुर पहुंची और उसने इसकी सूचना खुद कानपुर सेंट्रल एक्साइज की टीम को भी नही दी।
मिला 2300 करोड़ का कालाधन
रिमझिम इस्पात के मालिक योगेश अग्रवाल के सीक्रेट दफ्तर से 2300 करोड़ के कालेधन का पता चला। इसमें से अग्रवाल की कंपनियों की एक्साइज ड्यूटी चोरी 256 करोड़ रुपये की ड्यूटी बनती है। वर्तमान में इस्पात फैक्टरियों पर 15 प्रतिशत की सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी लगती है जिसकी चोरी यहाँ कई समय से की जा रही थी। सेंट्रल एक्साइज और डीआरआई के जांच दल ने आरके पुरम ऑफिस में योगेश अग्रवाल से 8 घंटे से ज्यादा की पूछताछ की थी. इसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।