रांची : तेज धूप, 39 डिग्री सेल्सियस यानी की बदन को झुलसा देने वाली गर्मी से बेखबर कांके डैम किनारे बसे सरोवर नगर में सिर्फ प्रशासन के बुल्डोजर की आवाज सुनाई दे रही थी। पाई-पाई जोड़कर बड़ी मुद्दत से बनाए आशियाने पर बुल्डोजर के धक्के से भर-भराकर गिरती ईंटें देख लोगों के आंसू थम नहीं रहे थे। कइयों को तो मानो काठ मार गया। कभी टूटे घर को देखते, तो कभी बीवी-बच्चों को। चार घंटे में 45 मकान मलबे में तब्दील हो गए। चूल्हा-चौकी सब बंद। पीने का पानी तक मयस्सर नहीं।
इन सबके परे जय राय की बेटी खुश्बू मकान के मलबे से अपनी किताब-कॉपी खोजने में मशगूल थी। उनकी पत्नी अपने कलेजे के टुकड़े (दूसरे बच्चे) को आंचल में छुपा धूप से बचाने का प्रयास कर रही थीं। कुरेदने पर उनकी आखों से आंसू बह चले। उन्होंने बताया कि काफी जुगाड़कर मुश्किल से दो कमरे का मकान बनाए थे। अब कहां रहेंगे। कमोबेश यही हाल सभी पीड़ितों का था। लोगों को भविष्य की चिंता भी सता रही थी। आखिर बच्चे अब पढ़ेंगे कहां? महिलाओं और बच्चों के आंसू थम नहीं रही थे। कई महिलाएं हाथ जोड़कर अफसरों से विनती कर रही थीं कि उनका घर छोड़ दिया जाए। अब बेटियों को कैसे रखेंगी। खुली जगह पूरी
अतिक्रमण हटाने गई टीम के साथ बुल्डोजर देख कई लोगों ने खुद से ही अपने-अपने मकानों को खाली कर दिया। जितना हो सकता था, खिड़कियां, गेट, ग्रिल और एसबेस्टस शीट को निकाल लिया। लोगों ने प्रशासन पर दबंग लोगों का घर नहीं तोड़ने का आरोप भी लगाया। कहा कि गरीबाें को उजाड़ने में देरी नहीं और जो बड़े लोग हैं उनका घर अतिक्रमण में रहने के बावजूद छोड़ाजा रहा है।