देहरादून: मिशन 2020 में, एशिया, यूरोप और अमेरिका को पीछे छोड़ने की शपथ लेने वाले चीन ने 2016 की उपलब्धियों पर चौंकाने वाली रिपोर्ट जारी की है। कुछ अरसे से चीन की सरकार देशवासियों को देश की उपलब्धियों का रिपोर्ट कार्ड दे रही है। 2016 का रिपोर्ट कार्ड जारी करते हुए सरकार ने सबसे बड़ी उलब्धी के रूप में अपना नया युद्धक विमान J-20 स्टेल्थ फाइटर को बताया। J-20 दुनिया का अधिकतम गति का वो विमान है जिसे भारत क्या अमेरिका की रडार भी नहीं पकड़ सकती। सरकार ने देशवासियों को उपलब्धी की दूसरी सौगात लिथियम बैटरी से चलने वाली ट्रेन पेश की है। जिसे देखकर नासा भी चकरा गया है। लिथियम बैटरी से चलने वाली इस ट्रेन को दुनिया में वि ज्ञान का चमत्कार माना जा रहा है।
सबसे बड़ा टेलिस्कोप
2016 के रिपोर्ट कार्ड में तीसरी उपलब्धि चीन द्वारा निर्मित दुनिया का अबतक का सबसे बड़ा रेडियो टेलिस्कोप है जो चीन के आसमान में दुश्मन की मिसाइल क्या एक छोटी सी चीटी को भी अपनी आँखों में आसानी से क़ैद कर सकता है। साल भर की उपलब्धियों में चीन के उन दो अंतरिक्ष यात्रियों की भी तस्वीर है, जो तीस दिन की सुरक्षित यात्रा के बाद 18 तारीख़ को चीन पहुँचे। अंतरिक्ष विज्ञान में कभी भारत से पीछे रहने वाला चीन आज भारत से इतना ज़्यादा आगे निकल चुका है कि मानों दोनो देशों में स्पर्धा ही ख़त्म हो गई है।
चीन का सुपर कंप्युटर
हाई स्पीड ट्रेन के क्षेत्र में चीन ने देशवासियों को बताया की इस साल चीन ने 20,000 किलोमीटर की पटरियां बिठाई जा चुकी है। ध्यान रहे कि भारत में हाई स्पीड रेल की पटरी क्या अभी तो क़ागज़ पर योजना तैयार की जा रही है। 2016 की रिपोर्ट में चीन की कम्युनिस्ट सरकार ने अपने देश को यह भी बताया कि 20 जून 2016 को चीन में वह सुपर कंप्यूटर भी बना लिया है जिसे अबतक का सबसे गतिशील सुपर कंप्युटर माना जा रहा है।
चीन का सुपरलेस ट्रक
चीनी स्वाभिमान और दुनिया में सपने को सच में बदलने की एक और तस्वीर 14 नवंबर 2016 शंघाई में तब पेश किया जब बीजिंग की फोटोन मोटर कंपनी में स्वाचालित यानी ड्राईवरलेस सुपरलेस ट्रक सड़कों पर उतार दिया है। यह पहला भारी भरकम ट्रक है जो बिना ड्राईवर के सड़कों पर चल सकता है। चाईना के रिपोर्ट कार्ड में इतनी अधक उपलब्धियां है कि कोरिया, जापान जैसे देश भी सख़्ते में आ गए हैं। ज़ाहिर है कि चीन का चमत्कार विज्ञान कि दुनिया में सर चढ़कर बोल रहा है और सभी को आगाह भी कर रहा है। 21वीं शताब्दी अमेरिका, ब्राज़ील या भारत नहीं बल्कि चीन की मुट्ठी में क़ैद होती जा रही है।