नई दिल्ली : कांशीराम की पुण्यतिथि पर आये जिन कार्यकर्ताओं की भी पुण्यतिथि बसपा सुप्रीमो मायवती की रैली में हो गयी. उन घायलों के लिए भी बहनजी के पास जरा भी वक्त नहीं. जिसके चलते बसपा का कार्यकर्ता नाराज हो गया है. गौरतलब है कि चंद क़दमों की दूरी पर अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराये गए घायलों का हालचाल जानने के लिए भी मायावती नहीं पहुंची और अपनी जगह पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव नसीमुद्दीन को उनका हालचाल लेने भेज दिया.
रैली में आयी भीड़ हुई माया से नाराज
घायलों का हालचाल लेने पहुंचे बसपा नेता नसीमुद्दीन पर जिला अध्यक्षों ने जमकर अपनी भड़ास निकाली. बसपा के कार्यकर्ता रामदीन ने ' इंडिया संवाद' से बात करते हुए कहा कि मरने वाले कार्यकर्ताओं को 5 - 5 लाख रुपये देने की घोषणा तो बहनजी ने कर दी है, लेकिन इस हादसे में घायल हुए लोगों को अगर वह खुद देखने आतीं तो एक अच्छा संदेश पार्टी और बहनजी के हित में होता. लेकिन उनके यहां न आने से लोगों में आक्रोश व्याप्त हो गया है. जिसका खामियाजा चुनाव में उन्हें भुगतना पड़ सकता है.
भीड़ को देख सीएम अखिलेश ने चला ट्रंप
यूपी में बसपा की रविवार को हुई रैली देखकर सपा सरकार के होश उड़ गए हैं. रैली में हजारों की संख्या में दलित, पिछड़े और मुस्लिमों की भीड़ जुटाकर पार्टी सुप्रीमो मायावती ने अपने विरोधी खेमों में हलचल मचा दी है. जिसके चलते रैली में मची भगदड़ से मरे लोगों की खबर सुनते ही सूबे की सरकार के मुखिया अखिलेश यादव को इस भीड़ के प्रति सहानभूति दिखने में तनिक भी देर नहीं लगी और उन्होंने मृतकों के परिजनों को 2 -2 लाख रुपये मुआवजा देने की घोषणा कर दी.
सीएम ने की घोषणा तो माया भी नहीं हटीं पीछे
सूत्रों के मुताबिक जैसे ही बसपा सुप्रीमो मायावती को इस बात की भनक लगी उन्होंने 5 -5 लाख रुपये का मुआवजा मृतकों को पार्टी की तरफ से देने की घोषणा कर दी. बताया जाता है कि अगले साल होने जा रहे विधानसभा चुनाव को लेकर सपा और बसपा इस भीड़ में मारने वालों को लेकर अपनी राजनीति क रोटियां सेकनी शुरू कर दी हैं. दरअसल माया कि रैली में भीड़ इतनी अधिक जुट गयी थी, जितनी किसी को उम्मीद भी नहीं थी. जिसके चलते प्रशासन भी इस बेकाबू भीड़ को नियंत्रित करने में असफल हो गया. और जरा सी भूलचूक के चलते तीन लोग मर गए. इतना ही नहीं 22 लोग बुरी तरह से लोगों के रौंदने के कारण घायल हो गए. जबकि 15 बच्चे अभी भी लापता हैं.
रैली के लिए नसीमुद्दीन ने जुटाई थी भीड़
सूत्रों के मुताबिक मायावती की दांव पर लगी प्रतिष्ठा के चलते उनके सबसे करीबी बने पार्टी के वरिष्ठ नेता नसीमुद्दीन ने अपने सारे घोड़े इस रैली में भीड़ जुटाने के लिए खोल दिए थे. जिसके चलते उम्मीद से अधिक लोगों की भीड़ इस रैली में बसपा सुप्रीमो का भाषण सुनने के लिए जमा हुई. बताया जाता है की स्थानीय एलआईयू की रिपोर्ट जैसे ही लखनऊ के डीएम को मिली उन्होंने तत्काल इस बात की जानकारी सीएम को फोन पर दी. जिसको सुनते ही सीएम अखिलेश के होश उड़ गए.
बसपा के वोट बैंक में सपा की सेंध
सूत्रों के मुताबिक इस रिपोर्ट में यह बात सामने आयी है कि सपा का मुस्लिम वोट खिसक कर बसपा में जा रहा है. इसको सुनते ही अखिलेश भौचक्के रह गए. इस बीच जैसे ही रैली में भगदड़ से हुई मौत की खबर अखिलेश को दी गयी उन्होंने तत्काल अपनी सहानभूति मरने वालों को लेकर दिखाते जरा भी वक्त उन्हें मुआवजा की घोषणा करने में नहीं लगा. समझा जाता है कि यह सब अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर इसलिए किया जा रहा है ताकि लोग यूपी के सीएम के प्रति अपनी अपनी सहानभूति दिखने केन कोई कसर बाकि नहीं रखें और उन्हें मायावती के इस रैली में आये वोट बैंक का लाभ मिल सके. बहरहाल भले ही बसपा के पुराने नेताओं को तोड़कर सपा और बीजेपी उसे खोखला समझ रही हों, लेकिन हकीकत यह है की रविवार को मायावती ने लखनऊ में अपनी इस रैली में हजारों की भीड़ जमा कर अपने विरोधी दलों की रातों की नींद उड़ा दी है.