पटियाला: जिस ड्रग नेटवर्क को इन्फोर्समेंट डायरेक्टरेट(ईडी) ने 6,000 करोड़ रु. का समझा-बताया, पुलिस की स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) उसे सिर्फ 60 करोड़ रु. का मान चुकी है. दो हफ्ते बाद वोटिंग है, एसआईटी ने भी जांच रिपोर्ट सबमिट कर दी है। फतेहगढ़ साहिब कोर्ट में 10 जनवरी को दी गई इस रिपोर्ट में भी वही सब बातें हैं, जो पंजाब पुलिस अलग-अलग अदालतों में कहती रही है। इसीलिए हाईकोर्ट ने एसआईटी बनाने के आदेश दिए थे.
जिन तीन तस्करों की वजह से पूरे ड्रग रैकेट में कैबिनेट मिनिस्टर बिक्रम मजीठिया का नाम आया, एसआईटी रिपोर्ट में उन तीनों का कहीं कोई जिक्र नहीं है। ये नाम हैं सतप्रीत सिंह सत्ता, परमिंदर सिंह पिंदी और अमरिंदर लाडी। बताया गया कि इनके संबंध मजीठिया से हैं। मजीठिया का नाम आते ही विपक्ष ने इसे सबसे बड़ा मुद्दा बना दिया। अब चुनाव से ठीक पहले आई एसआईटी की रिपोर्ट के बारे में मजीठिया ने कहा- ये विपक्ष में मुंह पर तमाचे की तरह है.
एसआईटी में आईजी ईश्वर सिंह, आईजी नागेश्वर राव, आईजी वी. नीरजा हैं। आईजी राव ने कहा कि हमने रिपोर्ट सौंप दी है। केस अदालत में पेंडिंग है, इसलिए कोई कमेंट करना ठीक नहीं है। भोला और अन्यों ने पूछताछ के दौरान कबूल किया था कि चहल की बद्दी (हिमाचल) में फैक्टरी है। उसी फैक्टरी से नशा बनाने के लिए इस्तेमाल होने का कैमिकल इन तीन लोगों के जरिए विदेश भेजे गए। सब एक कड़ी से जुड़े थे। इसकी जानकारी आरोपियों ने याचिकाओं के जरिए हाईकोर्ट में दी। इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने तीन बार सतप्रीत सत्ता और परमिंदर पिंदी का भूमिका की जांच करने को कहा था।
एसआईटी ने इस रैकेट के किंगपिन बताए गए जगदीश भोला को भी क्लीनचिट दी है। एफआईआर के अनुसार, एक केस में भोला के बाद 5 किलोग्राम सूडोएफड्रिन पकड़ी गई थी। सूडोएफड्रिन से पार्टी ड्रग बनती है। एसआईटी ने जांच में पाया कि हेरोइन मिली और ही कैमिकल। ऐसी ही पुलिस की पहली रिपोर्ट को आधार बनाकर भेला एक केस दूसरी केस से बरी हो चुका है। अब एक और केस में हो जाएगा। हैरानी की बात तो यह है कि एक तरफ एसआईटी भोला को क्लीनचिट देते हुए रिपोर्ट में यह लिख रही है- 'जगदीश भोला पर लगे आरोपों के सबूत नहीं मिले।' वहीं, इसी केस में एसआईटी पुलिस चार्जशिट को जायज मान रही है। पुलिस ने उसे ही दोषी बताया था।
कोर्ट में थानेदार सच बोल बैठे: एडवोकेट
अनूपसिंह काहलों और मनप्रीत मन्नी की एडवोकेट शैली शर्मा ने कहा- हमने वो सारा रिकाॅर्ड एसआईटी को सौंपा था, लेकिन रिपोर्ट से वो बातें गायब हैं। एक केस की सुनवाई के दौरान तो थानेदार बलविंदर सिंह खुद मान चुके हैं कि सत्ता और उसके साथी रैकेट में इन्वॉल्व हैं। हमने ये रिकॉर्ड भी एसआईटी को दिया था।
जैसी रिपोर्ट पुलिस की, वैसी एसआईटी की
पुलिस ने पहले जो रिपोर्ट दी थी, उसके खिलाफ आरोपी अनूप काहलों, बिट्टू औलख, जगजीत चहल, मनप्रीत मन्नी ही कोर्ट पहुंच गए थे। मांग भी कि पूरी जांच पंजाब पुलिस के बजाए सीबीआई से कराई जाए। इसी मांग पर हाईकोर्ट ने एसआईटी बनाई थी। लेकिन, जांच में निकला वही, जो पुलिस बताती रही है.
रैकेट के खुलासा में सबसे पहले एनआरआई अनूप सिंह काहलों पकड़ा गया था। उसके बयान में एसआईटी ो सौंपे गए, जिनका जांच रिपोर्ट में अब कहीं जिक्र नहीं है। पिंदा और लाडी के नाम के रेड कॉर्नर नोटिस जारी हुए, इसके बावजूद भी एसआईटी ने उन्हें जांच में शामिल नहीं किया। एसआईटी ने इन लोगों के मोबाइल फोन रिकॉर्ड भी नहीं खंगाले। भारत आने-जाने का रिकॉर्ड नहीं लिया। ये भी नहीं जानना चाहा कि सत्ता को गनमैन किस नेता की सिफारिश पर दिए गए थे।
ऐसे ही कुछ बयानों के बाद जारी हुए थे रेड कॉर्नर नोटिस
कैबिनेट मिनिस्टर बिक्रम मजीठिया ने कहा- 'मैं पहले ही कह रहा था कि इन मामलों से मेरा कोई लेना-देना नहीं है। यह सिर्फ सियासी रंजिश के चलते प्लांट किया गया है। ये रिपोर्ट आरोप लगाने वाले लोगों के मुंह पर तमाचा है।