नई दिल्लीः पंजाब में कुछ गलत फैसलों के चलते आम आदमी पार्टी में पगड़ी बनाम टोपी यानी स्थानीय-बाहरी नेताओं की लड़ाई छिड़ने के कारण आशुतोष-संजय सिंह, दुर्गेश पाठक की क्षमता पर सवाल खड़े हुए तो केजरीवाल का भी भरोसा इनके प्रति डोलना लगा है। बदले हालात ने कुमार पर केजरीवाल का फिर से विश्वास बढ़ा दिया है। पिछले कुछ समय पार्टी में आशुतोष-संजय के लेफ्ट धड़े का प्रभाव होने से जो कुमार विश्वास हाशिए पर चले गए थे, अब उन्हें फिर से लाइमलाइट में आने का मौका मिल गया है। पंजाब संकट के चलते आम आदमी पार्टी में कुमार विश्वास को बड़ी जिम्मेदारी मिलने जा रही। वेटिकन सिटी के समारोह में जब पोप मदर टेरेसा को संत की उपाधि से नवाज रहे थे, तब केजरीवाल अपने कुमार पर विश्वास छलकाते हुए उन्हें पार्टी का महंत बनाने का मूड बना रहे थे। कहा जा रहा है कि आने वाले वक्त में पार्टी में बड़ा उलटफेर होने जा रहा। दिल्ली से पंजाब भेजे गए नेताओं के गलत फैसलों के दलदल में फंसी आम आदमी पार्टी को बाहर निकालने के लिए केजरीवाल कुमार विश्वास के साथ आठ सितंबर से कैंपेन शुरू करने की तैयारी में हैं। उधर केजरीवाल की नजर में विश्वास के बढ़ते कद को देखकर विरोधी दल उनकी टांग खिंचाई में भी लग गया है।
इसलिए इटली यात्रा पर कुमार विश्वास को साथ ले गए केजरीवाल
वेटिकन यात्रा महज मदर टेरेसा के प्रोग्राम में शामिल होने के लिए ही नहीं केजरीवाल ने की। बल्कि इस बहाने पंजाब चुनाव से पहले संकट में फंसी पार्टी के उद्धार के लिए कुमार विश्वास से मंत्रणा करने के साथ वहां बसे पंजाबियों से मुलाकात करने का मकसद रहा। इटली में बसे पंजाबियों के साथ बैठककर जहां केजरीवाल ने उनसे पार्टी के समर्थन की अपील की वहीं पर जल्द ही अमेरिका, इंग्लैंड की तरह यहां भी पार्टी की कमेटी गठित करने की बात कही। कुमार विश्वास पर इधऱ बीच बढ़े भरोसे के कारण ही केजरीवाल उन्हें इटली यात्रा पर साथ ले गए।
कुमार विश्वास ने फोटो सार्वजनिक कर दिया विरोधी धड़े को संदेश
यूं तो केजरीवाल के साथ उनके करीबी मंत्री संत्येंद्र जैन भी इटली गए, मगर हवाई जहाज में केजरीवाल की बगल वाली सीट पर कुमार विश्वास ही बैठे। विश्वास ने अपने ट्विटर पर यह फोटो भी फॉलोवर्स के साथ साझा किया। कहा जा रहा कि पार्टी में विरोधी खेमे को यह संदेश देने के मकसद से विश्वास ने फोटो सार्वजनिक किया कि कुछ भी हो-आज भी केजरीवाल बुरे समय में उन्हें ही अपना मानेंगे।
केजरीवाल को क्यों करना पड़ रहा कुमार पर विश्वास
इंडिया अगेंस्ट करप्शन का मूवमेंट हो या फिर अन्ना आंदोलन। मनीष सिसौदिया और कुमार विश्वास शुरुआत से ही केजरीवाल का साथ निभाते रहे। खास बात है कि विश्वास व सिसौदिया की पुरानी जोड़ी ने न कभी केजरीवाल के लिए और न ही पार्टी के लिए ही मुसीबत खड़ की। अगर केजरीवाल से कोई नाराजगी भी रही तो आपस तक सीमित रखे उसे खुले मंच तक नहीं लाए। बाद में एक दूजे के साथ बैठकर ही गिले-शिकवे दूर करते आए हैं। इसे देखते हुए केजरीवाल को लगा कि पंजाब चुनाव में अब कुमार विश्वास के साथ ही कैंपेनिंग कर पार्टी को संकट से उबारा जा सकता है।
केजरीवाल से विश्वास की कब-कब और क्यों बढ़ीं थीं दूरियां
जब से केजरीवाल और कुमार विश्वास में दोस्ती हुई तो विश्वास के हर जन्मदिन पार्टी में केजरीवाल नजर आते रहे। मगर, इस साल फरवरी में जब विश्वास की पार्टी हुई तो उनके आमंत्रित करने के बाद भी केजरीवाल नहीं पहुंचे, जबकि केजरीवाल दिल्ली में ही रहे। दूसरी अहम बात पहले पार्टी ने तय किया था कि उत्तराखंड में चुनाव लड़ा जाएगा। कुमार विश्वास ने साल के शुरुआत में स्टार कैंपेनिंग शुरू की और भारी समर्थन मिलने लगा। मगर ऐन वक्त पर केजरीवा ने कहा कि पार्टी उत्तराखंड नहीं बल्कि पंजाब और गोवा में ही चुनाव लड़ेगी। पार्टी सूत्रों का उस दौरान कहना रहा कि केजरीवाल का यह फैसला कुमार विश्वास के पर कतरने के तौर पर लिया गया। क्योंकि केजरीवाल कुमार विश्वास की लोकप्रियता से घबराते हैं। क्योंकि पार्टी में अकेले दम पर भीड़ जुटाने का माद्दा या तो उनमें है या फिर कुमार विश्वास पर। कुमाश विश्वास अपने गीतों की बदौलत देश-दुनिया में लाखों प्रशंसक बनाए हैं। यही नहीं बीच में कई मीटिंग रहीं, जिसमें राष्ट्रवादी विचारधारा के कुमार विश्वास के फैसलों को या तो काट दिया गया या फिर उन्हें शामिल किए बगैर फैसले ले लिए गए। खुद कुमार विश्वास भी एक टीवी चैनल के इंटरव्यू में यह बात स्वीकार कर चुके हैं कि जब कभी केजरीवाल से उनके बीच कुछ मनमुटाव हुआ तो सिसौदिया ने मध्यस्थता कर सारे गिले-शिकवे दूर कराए।