नई दिल्ली : रिलायंस जियो स्कीम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'डिजिटल इंडिया' के सपने को साकार करने का दावा करने वाले उद्योगपति मुकेश अंबानी को शाह रिपोर्ट के बाद सरकार ओएनजीसी से गैस चोरी के मामले में छोड़ देगा या झटका देगा इस पर पूरी इंडस्ट्री की नजर है। सरकारी गैस कंपनी ओएनजीसी के ब्लॉक से रिलायंस के ब्लॉक में 11,000 करोड़ रूपये की गैस गई इस बात को शाह कमेटी भी मान चुकी है। शाह कमेटी ने यह भी माना था कि इस गैस का रिलायंस इंडस्ट्रीज ने बेजा लाभ भी उठाया। इस मामले पर बारीकी से नजर रख रहे जानकारों का कहना है कि अब नजर इस बात पर होगी कि सरकार रिलायंस पर कितना जुर्माना इस मामले में लेगी।
सरकार रिलायंस पर पेनाल्टी लगाएगी ?
दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व मुख्या न्यायधीश अजित प्रकाश शाह की कमिटी ने कहा कि सरकार को रियायंस की ओर से मुवावजा मिलना चाहिए। जानकारों के अनुसार यह ऐसी पहली घटना है इसलिए देखना होगा कि सरकार इस पर क्या करती है। उनका मानना है कि पहली नजर में तो रिलायंस को मुवावजा देना चाहिए लेकिन सवाल यह है कि क्या सरकार रिलायंस से सिर्फ उतना मुवावजा मांगेगी जितनी रिलायंस के पास ओएनजीसी से गैस गई या सरकार रिलायंस पर पेनाल्टी भी लगाएगी। हालाँकि अभी यह बात तय होना अभी बाकी है कि रिलायंस के पास यह गैस कुदरती तरीके से आयी या दोनों कंपनियों की जानकारी में होते हुए भी ऐसा हुआ।
रिलायंस ने केजी बेसिन में इस प्रोजेक्ट पर 40000 करोड़ इन्वेस्ट किये थे
1 अप्रैल 2009 से लेकर 31 मार्च 2015 के बीच 11.122 बिलियन क्यूबिक मीटर गैस ओनजीसी के गोदावरी-पीएमएल और केजी डीडब्ल्यूएन-98/2से रिलायंस के केजी डी-6 में गई। इसकी जांच करने वाली स्वतंत्र एजेंसी DeG & olyer MacNughton ने यह जानकारी दी थी जिसका अध्यन शाह कमेटी ने किया था। रिलायंस ने केजी बेसिन में इस प्रोजेक्ट पर 40000 करोड़ इन्वेस्ट किये थे। जहाँ से उसका अनुमान था कि 10 ट्रिलियन क्यूबिक फुट गैस निकलेगी। हालाँकि जानकारों का यह भी मानना है कि अगर इसमें कोई मोनेटरी क्लैम आता है तो रिलायंस इसे कानूनी चुनौती भी दे सकती है।