कराकस : वैसे तो लैटिन अमेरिकी देश वेनेजुएला की पहचान सबसे ज्यादा विश्व सुंदरियों के लिए है लेकिन वर्तमान में बेनेजुएला बड़े आर्थिक संकट से गुजर रहा है। यहाँ महंगाई 200 प्रतिशत से ज्यादा पहुँच चुकी है। हालात यह हैं कि कुछ समय पहले तक यहाँ दूध 13 हज़ार रुपये लीटर, एक अंडा 900 रुपये, और एक किलो आटा वहां 1350 रुपये में बेचा जा रहा है। लोग सड़ी गली सब्जियां भी उठा कर खा रहे हैं और फेंके हुए कचरे से खाना उठाकर खाने को मजबूर हैं। कहा जा रहा है कि वेनेजुएला में सरकार की ख़राब नीतियों की वजह से बेरोजगारी दर 7 से बढ़कर 17.44 प्रतिशत हो गई।
वेनेजुएला की पूरी अर्थव्यवस्था तेल पर टिकी है। यहाँ की 40%-60% आय तेल और उससे संबंधित व्यापार से होती है। वर्तमान ने तेल की लगातार गिरती कीमतों ने वेनेजुएला में महंगाई के संकट को भयावह बना दिया है। वेनेज़ुएला ने पैसो की कमी से निपटने के लिए करेंसी नोट्स छापे हैं और कहा जा रहा है यही महंगाई की प्रमुख वजह है। जब भी कोई देश अपने बजट की डेफिसिट को भरने के लिए नोट छापता है तब जनता में इफेक्टिव डिमांड बढ़ जाती है।
वेनेज़ुएला में 1 अमेरिकी डॉलर 200 बोलिवर के रेट पर था जबकि 1 US डॉलर, 1000 बोलिवर हो गया है। मुद्रा की कीमत दिन बी दिन घटती जा रही है आगे और भी घटेगी। वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो ने डेफिसिट फाइनेंसिंग के तहत सेंट्रल बैंक द्वारा करेंसी नोट्स छपवाये। यही से जीवन आवश्यक वस्तुओं के भाव आसमान छू गए। पैसो के अभाव के चलते वेनेजुएला में आयात घाट गए। देश के सभी बाजार खाली हो गए। कालाबाजारी होने लगी।