नई दिल्ली : रियो ओलंपिक में पदक दिलाकर देश का मान बढ़ाने वाली साक्षी मालिक और पीएस सिंधु की हौसला हफजाई पर सरकार ने करोड़ों रुपये के तोहफों की बौछार कर दी. लेकिन भारत की सबसे पहली महिला स्टार ओलंपियन एथलीट मैरी डिसूज़ा सेकुएरा की सुध तक उसी सरकार ने लेने की जरुरत नहीं समझी है, जिसने लगातार 7 साल तक अपनी बराबरी किसी भी देश के खिलाडी को करने नहीं दी.
एशिया की सबसे तेज धावक का कोई पुरसाहाल नहीं
वह भी एक नहीं दो खेल ों में जिसने देश का नाम रोशन किया हो. विश्वस्तरीय एथलीट रहीं मैरी डिसूजा भारत की पहली ऐसी महिला एथलीट खिलाडी रही हैं, जिन्होंने एक समय में एशिया भर के खिलाडियों को कभी अपने से आगे फटकने नहीं दिया. मसलन वह एशिया की सबसे तेज धावक रहीं हैं. उनका मुकाबला करने का दम किसी देश की अन्य महिला खिलाडी में भी नहीं रहा.
सात सालों तक भारत का कब्जा बनाये रखा
85 वर्षीय बुजुर्ग देश की इस एथलीट खिलाडी ने साल 1950 से लेकर साल 1957 तक एशियाई खेलों में भारत का कब्जा बरक़रार रखा. 100 हो या 200 मीटर की रिले दौड़. उनका मुकाबला करने की क्षमता दूसरे देशों की महिलाओं में नहीं दिखी. मैरी ने केवल ओलंपिक खेलों में ही नहीं बल्कि एशियाई खेलों में भी देश की झोली में दर्जन भर से अधिक पदक जिताकर देश का मान बढ़ाया. और तो और उन्होंने देश का मान केवल एथलीट में ही नहीं बल्कि भारतीय हॉकी टीम का भी उन्होंने प्रतिनिधित्व किया.
एथलीट ही नहीं हॉकी में भी किया देश का नाम रोशन
फिलहाल देश का एक नहीं बल्कि दो खेलों में मान बढ़ाने वाली मैरी डिसूजा ने 1952 हेलसिंकी ओलंपिक में भारतीय टीम की ओर से भी प्रतिनिधित्व कर चुकी है. इसके बावजूद देश में रही तत्कालीन सरकार ने उन पर कोई ध्यान नहीं दिया. इतना ही नहीं गुमनामी की जिंदगी जी रहीं मैरी डिसूजा की कोई मदद नहीं की. साल 1952 के मेलबोर्न ओलंपिक में जब देश की ओर से उन्हें टीम में शामिल किया गया तो उनके पास मेलबोर्न जाने के लिए पसे ही नहीं थे ओर न ही सरकार ने उनकी कोई मदद की.
गुमनामी की जिंदगी गुजरने को विवश
जिसके चलते मुबई की बांद्रा स्थित एक क्रिश्चियन कमेटी ने एक डांस का प्रोग्राम आयोजित कर उनके लिए 5 हजार रुपये बटोर चंदा जमा किया, लेकिन उनके 12 सदस्यों वाले उनके परिवार की माली हालत ठीक न होने के कारण वह मेलबोर्न खेलों में हिस्सा लेने नहीं जा सकीं. बहरहाल देश के प्रधानमंत्री आज जहाँ बेटी लाओ देश बचाओ का नारा देकर महिलाओं को बढ़ावा दे रहे हैं वहीँ मुम्बई और केंद्र में बीजेपी की सरकार होने के बावजूद देश की नमी गिरामी खिलाडी रहीं मैरी डिसूजा आज अपनी आर्थिक तंगहाली के दौर से गुजरने के बाद भी गुमनामी की जिंदगी जीने को मजबूर हैं.