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धर्मचर्चा

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*सनातन धर्म में उपासना एवं साधना का विशेष महत्व है | जिस प्रकार यात्रा दो पैरों के सहारे करनी पड़ती है और गाड़ी दो पहियों के आधार पर लुढ़कती है उसी प्रकार आत्मिक प्रगति के लक्ष्य तक पहुंचने के लिए उपासना एवं साधना नामक दोनों पैरों के सहारे ही चलना पड़ता है | जिस प्रकार एक किसान अपने खेत में बीज बोन

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*मानव जीवन मे धर्म और अधर्म का बहुत बड़ा महत्व है | धर्म का पालन करके मनुष्य समाज में सम्मान तो प्राप्त करता ही है अन्त में वह उत्तम गति को भी प्राप्त हो जाता है वहीं अधार्मिक मनुष्य समाज में उपेक्षित रहकर अधोगति को प्राप्त होता है | वैसे तो धर्म करने के अनेक साधन हैं परंतु धर्म के मुख्यत: चार प्रका

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*सनातन धर्म के अनुसार इस महान सृष्टि का संचालन करने के लिए भिन्न-भिन्न जिम्मेदारियों के साथ ब्रह्मा , विष्णु , महेश एवं तैंतीस करोड़ देवी - देवताओं की मान्यताएं दी गई हैं | जहां ब्रह्मा जी को सृष्टि का सृजनकर्ता तो विष्णु जी को पालनकर्ता एवं भगवान शिव को संहारकर्ता कहा गया है | उत्पत्ति , पालन एवं स

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*सनातन हिन्दू धर्म के चरित्रों का यदि अवलोकन करके आत्मसात करने का प्रयास कर लिया जाय तो शायद इस संसार में न तो कोई समस्या रहे और न ही कोई संशय | हमारे महान आदर्शों में पवनपुत्र , रामदूत , भगवत्कथाओं के परम रसिया अनन्त बलवन्त हनुमन्तलाल जी का जीवन दर्शन दर्शनीय है | हनुमान जी का जन्मोत्सव मनाने में य

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🌸🌞🌸🌞🌸🌞🌸🌞🌸🌞🌸 *‼ भगवत्कृपा हि केवलम् ‼* 🌻☘🌻☘🌻☘🌻☘🌻☘🌻 *भारतीय सनातन की मान्यतायें एवं परम्परायें सदैव से अलौकिक एवं अद्भुत होने के साथ ही मानव मात्र के लिए सहयोगी व उपयोगी सिद्ध हुई हैं | जिस प्रकार सनातन की सभी मान्यतायें दिव्य रही हैं उसी प्रकार

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*चौरासी लाख योनियों में सर्वश्रेष्ठ मानव योनि कही गयी है | मनुष्य का जन्म मिलना है स्वयं में सौभाग्य है | देवताओं की कृपा एवं पूर्वजन्म में ऋषियों के द्वारा दिए गए सत्संग के फलस्वरूप जीव को माता पिता के माध्यम से इस धरती पर मानव रूप में आने का सौभाग्य प्राप्त होता है | इस प्रकार जन्म लेकर के मनुष्य

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*सनातन धर्म में यह बताया जाता है कि सृष्टि की रचना करने वाले परम पिता परमात्मा जिन्हें ईश्वर कहा जाता है वे सृष्टि के कण-कण में व्याप्त हैं | कोई भी ऐसा स्थान नहीं है जहां परमात्मा की उपस्थिति न हो | उस परमात्मा का कोई स्वरूप नहीं है | गोस्वामी तुलसीदास जी अपने मानस में लिखते हैं :-- "बिनु पग चलइ सु

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*आदिकाल से इस धरा धाम सनातन धर्म अपनी दिव्यता एवं स्थिरता के कारण समस्त विश्व में अग्रगण्य एवं पूज्य रहा है | सनातन धर्म की मान्यतायें एवं इसके विधान का पालन करके मनुष्य ने समस्त विश्व में सनातन धर्म की धर्म ध्वजा फहरायी | सनातन के सारे सिद्धांत सनातन धर्म के धर्मग्रंथों में उद्धृत हुए हैं , जिनका

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