*सनातन हिन्दू
धर्म के चरित्रों का यदि अवलोकन करके आत्मसात करने का प्रयास कर लिया जाय तो शायद इस संसार में न तो कोई समस्या रहे और न ही कोई संशय | हमारे महान आदर्शों में पवनपुत्र , रामदूत , भगवत्कथाओं के परम रसिया अनन्त बलवन्त हनुमन्तलाल जी का जीवन दर्शन दर्शनीय है | हनुमान जी का जन्मोत्सव मनाने में यद्यपि पुराणों में विरोधाभास है तथापि पूरे श्रद्धाभाव से यह पर्व आज चैत्र शुक्ल पूर्णिमा को पूरे
देश में मनाया जा रहा है | हनुमान जी के सम्पूर्ण जीवन का यदि अवलोकन किया जाय तो हमें यह देखने को मिलता है कि अतुलित बल का भण्डार , पर्वताकार शरीर , पापियों के विनाशक , ज्ञानियों में अग्रगण्य , सभी गुणों के निधान , वानरों के अधिपति होने के बाद भी भगवान श्रीराम के प्रिय भक्त , दास एवं दूत बनकर ही सम्पूर्ण जीवन व्यतीत किया | समस्त गुणों की खान होने के बाद भी अभिमानरहित जीवन कैसे जिया जाता है यह हमें हनुमान जी के जीवन से सीखने को मिलता है | भगवान शिव के अंशावतार , ग्यारहवें रुद्र हनुमान जी का जीवन सेवा एवं समर्पण का अद्भुत उदाहरण है | यदि इनके सम्पूर्ण जीवन का दर्शन किया जाय तो कहीं भी अभिमान के दर्शन नहीं होते हैं | भक्तों को अभय प्रदान करने वाले , स्वामिभक्त हनुमान जी को मैया जानकी ने अजर , अमर होने का वरदान दिया | युग युगान्तर तक हनुमान जी इस धराधाम पर रहकर भगवत्कीर्तिपताका को फहराते हुए भक्तों की रक्षा करते रहेंगे | आवश्यकता है श्रद्धा एवं विश्वास की |* *आज के युग में अनेक लोग स्वयं को हनुमान जी का परम भक्त मानते हैं एवं समाज में दिखाने का प्रयास करते हैं , परंतु आज के मनुष्य में थोड़ी सी भी प्रमुखता गुणों में यदि आ जाती है उसका अहंकार प्रबल हो जाता है , और उनके इस अहंकार का प्रत्यक्ष दर्शन पूरा समाज करता है | किसी भी प्रकार का बल यदि मनुष्य को मिल जाता है , भगवान की कृपा से यदि बलिष्ठ शरीर मिल गया , थोड़ा सा
ज्ञान प्राप्त कर लिया तो मनुष्य अपने समक्ष शेष सभी को तिनके के समान समझता है और दावा करता है मैं हनुमान जी के भक्त बनने का | हनुमान जी का भक्त यदि बनना तो हनुमान जी के आदर्शों का भी पालन करना होगा , कि किस प्रकार सभी गुण होने के बाद भी हनुमान जी को अभिमान किंचितमात्र भी नहीं था | देवताओं ने हनुमान जी को कलयुग का प्रत्यक्ष देवता माना है परंतु आज कुछ लोग प्रश्न करते हैं कि हनुमान जी आज रहते कहां हैं ? कभी दिखाई नहीं पड़ते ! ऐसे सभी लोगों से मैं "आचार्य अर्जुन तिवारी" बताना चाहूंगा कि जहां-जहां भगवान की कथाएं होती है , जहाँ प्रेम से भगवान का नाम लिया जाता है हनुमान जी वही उपस्थित होकरके प्रेम से भगवान नाम स्मरण का रसपान करते रहते हैं | मनुष्य को हर प्रकार से अभयदान देने वाले अंजनी पुत्र का ध्यान श्रद्धा भक्ति के साथ करने से हनुमान जी प्रसन्न हो जाते हैं | आज देशभर में उनका जन्मोत्सव मनाया जा रहा है परंतु उनके आदर्शों पर आज लोग कदापि नहीं चलना चाहते | आज समाज में सेवक के द्वारा स्वामी के साथ , पुत्र के द्वारा पिता के साथ एवं शिष्य के द्वारा गुरु के साथ विश्वासघात करना साधारण सी बात हो गई है | ऐसे लोग हनुमान जी का जन्मोत्सव मनायें या ना मनायें इससे कोई लाभ नहीं मिलने वाला है | यदि वास्तव में हनुमान जी का जन्मोत्सव मनाना है तो उनके आदर्शों पर चलने का प्रयास किया जाय |* *पुत्र का पिता के प्रति , शिष्य का गुरु के प्रति एवं सेवक का स्वामी के प्रति क्या दायित्व होता है यह हमें हनुमान जी से सीखने का प्रयास करना चाहिए |*