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धर्मचर्चा

hindi articles, stories and books related to Dharmcharcha


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🔥🌳🔥🌳🔥🌳🔥🌳🔥🌳🔥 ‼️ *भगवत्कृपा हि केवलम्* ‼️ 🟣 *श्री हनुमान चालीसा* 🟣 *!! तात्त्विक अनुशीलन !!* 🩸 *तेइसवाँ - भाग* 🩸🏵️💧🏵️💧🏵️💧🏵️💧🏵️💧🏵️*गतांक से आगे :--*➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖*बाईसवें भाग* में आपने पढ़ा :*कानन कुंडल कुंचित केशा*अब आगे:--*हाथ

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🔥🌳🔥🌳🔥🌳🔥🌳🔥🌳🔥 ‼️ *भगवत्कृपा हि केवलम्* ‼️ 🟣 *श्री हनुमान चालीसा* 🟣 *!! तात्त्विक अनुशीलन !!* 🩸 *बाईसवाँ - भाग* 🩸🏵️💧🏵️💧🏵️💧🏵️💧🏵️💧🏵️*गतांक से आगे :--*➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖*इक्कीसवें भाग* में आपने पढ़ा :*कंचन वर्ण विराज सुवेशा*अब आगे :----

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🔥🌳🔥🌳🔥🌳🔥🌳🔥🌳🔥 ‼️ *भगवत्कृपा हि केवलम्* ‼️ 🟣 *श्री हनुमान चालीसा* 🟣 *!! तात्त्विक अनुशीलन !!* 🩸 *इक्कीसवाँ - भाग* 🩸🏵️💧🏵️💧🏵️💧🏵️💧🏵️💧🏵️*गतांक से आगे :--*➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖*बीसवें भाग* में आपने पढ़ा :*कुमति निवार सुमति के संगी*अब आगे :--

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🔥🌳🔥🌳🔥🌳🔥🌳🔥🌳🔥 ‼️ *भगवत्कृपा हि केवलम्* ‼️ 🟣 *श्री हनुमान चालीसा* 🟣 *!! तात्त्विक अनुशीलन !!* 🩸 *बीसवाँ - भाग* 🩸🏵️💧🏵️💧🏵️💧🏵️💧🏵️💧🏵️*गतांक से आगे :--*➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖*उन्नीसवें भाग* में आपने पढ़ा :*महाव

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🔥🌳🔥🌳🔥🌳🔥🌳🔥🌳🔥 ‼️ *भगवत्कृपा हि केवलम्* ‼️ 🟣 *श्री हनुमान चालीसा* 🟣 *!! तात्त्विक अनुशीलन !!* 🩸 *उन्नीसवाँ - भाग* 🩸🏵️💧🏵️💧🏵️💧🏵️💧🏵️💧🏵️*गतांक से आगे :--*➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖*अठारहवें भाग* में आपने पढ़ा :*महावीर विक्रम बजरंगी* के अंतर्गत *

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🔥🌳🔥🌳🔥🌳🔥🌳🔥🌳🔥 ‼️ *भगवत्कृपा हि केवलम्* ‼️ 🟣 *श्री हनुमान चालीसा* 🟣 *!! तात्त्विक अनुशीलन !!* 🩸 *सोलहवाँ - भाग* 🩸🏵️💧🏵️💧🏵️💧🏵️💧🏵️💧🏵️*गतांक से आगे :--*➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖*पन्द्रहवें भाग* में आपने पढ़ा :--*जय कपीश तिहुँ लोक उजागर*अब आगे :

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🔥🌳🔥🌳🔥🌳🔥🌳🔥🌳🔥 ‼️ *भगवत्कृपा हि केवलम्* ‼️ 🟣 *श्री हनुमान चालीसा* 🟣 *!! तात्त्विक अनुशीलन !!* 🩸 *पन्द्रहवाँ - भाग* 🩸🏵️💧🏵️💧🏵️💧🏵️💧🏵️💧🏵️*गतांक से आगे :--*➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖*चौदहवें भाग* में आपने पढ़ा :--*जय हनुमान ज्ञान गुण सागर*अब आगे

🔥🌳🔥🌳🔥🌳🔥🌳🔥🌳🔥 ‼️ *भगवत्कृपा हि केवलम्* ‼️ 🟣 *श्री हनुमान चालीसा* 🟣 *!! तात्त्विक अनुशीलन !!* 🩸 *ग्यारहवाँ - भाग* 🩸🏵️💧🏵️💧🏵️💧🏵️💧🏵️💧🏵️*गतांक से आगे :--*➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖*दसवें भाग* में आपने पढ़ा :--*"हरहुँ कलेश विकार"* के अन्तर्गत *हर

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🔥🌳🔥🌳🔥🌳🔥🌳🔥🌳🔥 ‼️ *भगवत्कृपा हि केवलम्* ‼️ 🟣 *श्री हनुमान चालीसा* 🟣 *!! तात्त्विक अनुशीलन !!* 🩸 *सातवाँ - भाग* 🩸🏵️💧🏵️💧🏵️💧🏵️💧🏵️💧🏵️*गतांक से आगे :--*➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖*छठवें भाग* में आपने पढ़ा :---*"बुद

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🌺🌲🌺🌲🌺🌲🌺🌲🌺🌲🌺 ‼️ *भगवत्कृपा हि केवलम्* ‼️ 🐍🏹 *लक्ष्मण* 🏹🐍 🌹 *भाग - ४३* 🌹🩸🍏🩸🍏🩸🍏🩸🍏🩸🍏🩸*➖➖➖ गतांक से आगे ➖➖➖*पुत्र मेघनाद एवं पुत्रवधू सुलोचना की सद्गति के बाद रावण स्वयं युद्ध क्षेत्र में आ गया और श्रीराम से उसका घनघोर युद्ध हुआ | अ

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🌺🌲🌺🌲🌺🌲🌺🌲🌺🌲🌺 ‼️ *भगवत्कृपा हि केवलम्* ‼️ 🐍🏹 *लक्ष्मण* 🏹🐍 🌹 *भाग - ४१* 🌹🩸🍏🩸🍏🩸🍏🩸🍏🩸🍏🩸*➖➖➖ गतांक से आगे ➖➖➖*मेघनाद जब रावण से विदा लेकर युद्ध भूमि की ओर चला तो मार्ग में माता मंदोदरी का महल मिला | मेघनाद में माता को प्रणाम किया | मं

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🌺🌲🌺🌲🌺🌲🌺🌲🌺🌲🌺 ‼️ *भगवत्कृपा हि केवलम्* ‼️ 🐍🏹 *लक्ष्मण* 🏹🐍 🌹 *भाग - ४०* 🌹🩸🍏🩸🍏🩸🍏🩸🍏🩸🍏🩸*➖➖➖ गतांक से आगे ➖➖➖*कपिसेना ने जब मेघनाद की उस गुप्त गुफा में प्रवेश किया तो वहां का दृश्य देखकर उनकी आंखें फटी रह गई | मेघनाद यजमानवेदी पर बैठकर

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🌺🌲🌺🌲🌺🌲🌺🌲🌺🌲🌺 ‼️ *भगवत्कृपा हि केवलम्* ‼️ 🐍🏹 *लक्ष्मण* 🏹🐍 🌹 *भाग - ३३* 🌹🩸🍏🩸🍏🩸🍏🩸🍏🩸🍏🩸*➖➖➖ गतांक से आगे ➖➖➖*मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम विशाल बानर सेना के साथ दुर्गम रास्तों को पार करते ही समुद्र तट पर पहुंचे | उस विशाल सेना में *लक्

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🌺🌲🌺🌲🌺🌲🌺🌲🌺🌲🌺 ‼️ *भगवत्कृपा हि केवलम्* ‼️ 🐍🏹 *लक्ष्मण* 🏹🐍 🌹 *भाग - ३२* 🌹🩸🍏🩸🍏🩸🍏🩸🍏🩸🍏🩸*➖➖➖ गतांक से आगे ➖➖➖*श्री राम एवं *लक्ष्मण जी* शबरी के बताएं पंपा सरोवर की ओर चले , हनुमान जी ने उनकी मित्रता सुग्

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🌺🌲🌺🌲🌺🌲🌺🌲🌺🌲🌺 ‼️ *भगवत्कृपा हि केवलम्* ‼️ 🐍🏹 *लक्ष्मण* 🏹🐍 🌹 *भाग - ३१* 🌹🩸🍏🩸🍏🩸🍏🩸🍏🩸🍏🩸*➖➖➖ गतांक से आगे ➖➖➖*दुर्वासा के श्राप से श्रापित कबंध राक्षस का वध करके श्री राम एवं *लक्ष्मण जी* मतंग ऋषि के आश्रम पहुंचे जहां परम भक्ता शबरी जी

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🌺🌲🌺🌲🌺🌲🌺🌲🌺🌲🌺 ‼️ *भगवत्कृपा हि केवलम्* ‼️ 🐍🏹 *लक्ष्मण* 🏹🐍🩸🍏🩸🍏🩸🍏🩸🍏🩸🍏🩸*सनातन धर्म में रामायण महाभारत दो महान ग्रंथ है , जहां महाभारत कुछ पाने के लिए युद्ध की घोषणा करता है वही रामायण त्याग का आदर्श प्रस्तुत करती है | मनुष्य का आदर्श क्या होता है ? मर

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*हमारे देश भारत में समय-समय पर अनेकों त्योहार मनाए जाते हैं | भारतीय सनातन परंपरा में प्रत्येक त्योहारों का एक वैज्ञानिक महत्व होता है इन्हीं त्योहारों में से एक है "नववर्ष संवत्सर" जो कि आज चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को माना जाता है | आदिकाल से यदि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को नववर्ष माना जा रहा है तो इसका का

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*भारतीय संस्कृति इतनी दिव्य व विशाल रही है कि यहाँ वर्ष के प्रति दिन, कोई न कोई उत्सव / त्यौहार मनाया जाता रहा है | ये त्योहार विविध कारणों तथा जीवन के विविध उद्देश्यों से जुड़े थे | इन्हें विविध ऐतिहासिक घटनाओं, विजय श्री तथा जीवन की कुछ अवस्थाओं जैसे फसल की बुआई, रोपाई और कटाई आदि से जोड़ा गया था |

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*आदिकाल से ही इस धरती पर अनेकों भक्त हुए हैं जिन्होंने भगवान की भक्ति करके उनको प्राप्त करने का अनुभव किया है | अनेकों भक्तों तो ऐसे भी हुए जिन्होंने साक्षात भगवान का दर्शन भी किया है | भक्ति की महत्ता का विस्तृत वर्णन हमारे शास्त्र एवं पुराणों में देखने को मिलता है | भक्ति क्या होती है ? इसको बता

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*सनातन धर्म में नित्य पूजन एवं त्रिकाल संध्या का विधान आदिकाल से चला आ रहा है | त्रिकाल संध्या करके मनुष्य स्वयं में ऊर्जा प्राप्त करता चला आया है | किसी भी पूजन / अनुष्ठान का मुख्य अंग है तिलक धारण करना क्योंकि बिना तिलक लगाये किया जाने वाला कोई भी पूजा / पाठ - शुभकार्य फलीभूत नहीं होता है | हमारे

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