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"ज़िंदगी का सबक सिखाता " - दिसम्बर और जनवरी का महीना

24 दिसम्बर 2018

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एक और साल अपने नियत अवधि को समाप्त कर जाने को है और एक नया साल दस्तक दे रहा है। बस, एक रात और कैलेंडर पर तारीखे बदल जायेगी। दिसम्बर और जनवरी महीने की कुछ अलग ही खासियत होती है। कहने को तो ये भी दो महीने

ही तो है पर साल के सारे महीनो को बंधे रखते है। दोस्तों , क्या आप को भी लगता है कि - इन दोनों के बीच एक खास रिश्ता है ?


मुझे लगता है इन दोनों के बीच एक खास रिश्ता है बिलकुल रात और दिन के जैसे। दोनों एक ही धागे के दो सिरे ही तो है ,कहने को दोनों दूर है फिर भी एक दूसरे के साथ बंधे रहते है ,दोनों के बीच कभी ना ख़त्म होने वाला एक रिश्ता होता है। जब ये दो महीने दूर जाते है तो साल बदल जाते है और जब पास आते है तो आस बदल जाते है। एक का अंत हो रहा होता है दूसरे की शुरुआत। देखने में तो ये दोनों एक से ही तो लगते है,एक सा मौसम और एक जितनी ही तारीखे ,बस दोनों के अंदाज़ अलग होते है। एक में ढेरो यादे होती है तो दूसरे में अनेको वादे।


दिसंबर जाता है जनवरी से ये वादा करते हुए फिर मिलेंगे ग्यारह महीने बाद नए साल में नये तजुर्बो के साथ और जनवरी कहती है-- मैं एक नई आस ,नई उमींद और और नये विश्वास के साथ तुम्हारे ढेरो अधूरे ख्वाबो को पूरा करने का यकीन दिलाती हूँ। वो एक रात जिसमे दिसम्बर और जनवरी का पल भर के लिए मिलन होता है और फिर वो बिछड़ जाते है। उनके मिलन और बिछुड़न के इस दिन को हम दुनियां वाले जश्न के रूप में मानते है।


सच वो एक रात जिसे 31 दिसम्बर की रात कहते है ,वो पुरे साल के यादो का पिटारा ले कर आता है। कुछ खट्टी, कुछ मीठी,कुछ कड़वी तो कुछ रुलाती। वो सारे तजुर्बे ,वो सारी परेशानियां ,वो सारी खुशियां ,वो सारे गम एक एक करके उस पिटारे से निकलते है जो थोड़ा दिल को गुदगुदाते है ,थोड़ा हँसते है तो अगले ही पल थोड़ा रुला भी देते है। और.......... फिर जैसे ही घडी की सुईया 12 :00 बजाती है ,एक नये साल का आगमन होता है और फिर एक नई उमींद ,एक नया जोश ,नई ताज़गी सा स्फुटित होता प्रतीत होता है। खुद से ही कितने वादे करते है हम ,कितने सपने सजाने लगते है, एक नये विश्वास के साथ। दिसम्बर के टूटे बिखरे सपनो को जनवरी फिर से सजोने लगता है,और ग्यारह महीनो के लिए हमारी आखो को एक नया सपना दे जाता है। दिसम्बर कहता है अतीत की गलतियों का मातम ना मनाओ उनसे सीख कर आगे बढ़ो। दिसम्बर सान्तवना देता है और जनवरी सहारा।



वो एक रात जो दिसम्बर और जनवरी के मिलने और बिछड़ने का दिन होता है वो रात हमारे भी अंदर कितने ही भावनात्मक उथल -पुथल पैदा कर जाता है।लेकिन दुःख की बात ये है कि -बहुतो के लिए रात गुजरती है और बात भी गुजर जाती है।लेकिन हमे इन दो महीनो से बहुत कुछ सिखना चाहिए। ये हमे समझते है कि -मिलन और बिछुड़न तो प्रकृति का नियम है लेकिन प्यार कभी कम नहीं होता वो अपनी जगह अटल है। वो बता जाते है कि -हर पल की कद्र करो जैसे एक पल में तारीखे बदल जाती है वैसे ही किसी दिन पल भर में तुम्हारा जीवन भी बदल सकता है। जैसे एक पल में हम दोनों (दिसम्बर और जनवरी का साथ ) का साथ छुट गया, क्या पता वेसे ही किसी पल तुम्हारी सांसे तुम्हारा साथ छोड़ दे।जाने वाले पल से सीख ले के आगे बढ़ो और आने वाले पल को गले लगावो। वो कहते है -जैसे हम दोनों तुम्हे खुश होने का, उमींद जगाने का अवसर दे रहे है वैसे ही तुम भी दुसरो के जीवन में खुशियां भरो ,ना उमींदो में उमींद जगावो...............


खुद भी खुश रहेऔर दुसरो को भी खुश रहने दे।

क्रिसमस और नए साल की ढेरो शुभकामनाये ,दोस्तों

आने वाला साल आप के जीवन में खुशियां ही खुशियां भर दे।


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रेणु

रेणु

प्रिय कामिनी -- दो महीनों के इस मिलन को कोई इस तरह भी देखता होगा सोचा ना था | बहुत ही गहराई से चिंतन करके आपने बहुत ही सुंदर निचौड़ निकाला है | सचमुच दिसंबर के खत्म होने से और नये साल की आहटसे भीतर खलबली से मच जाती है |पुरानी यादों से दमन छुडाकर नये समय में प्रवेश करना बहुत ही भावुक कर जाता है |साथ में सही कहा तुमने --मिलन और बिछुड़न तो प्रकृति का नियम है लेकिन प्यार कभी कम नहीं होता वो अपनी जगह अटल है। हर पल अनमोल है हमें समय की कद्र तो करनी ही चाहिए | सुंदर लेख के लिए हार्दिक बधाई सखी | खुश रहो और मस्त रहो 2018में तुम्हारे जैसी मन सखी का मिलना सौभाग्य है और अविस्मरनीय भी | सस्नेह |

7 जनवरी 2019

उदय पूना

उदय पूना

प्रिय कामिनी सिन्हा, प्रणाम, आपकी रचना ( "ज़िंदगी का सबक सिखाता " - दिसम्बर और जनवरी का महीना ) आज की सर्वश्रेष्ठ रचना के रूप में चयनित हुई है, बधाई| आपने साल की इस घटना को जीवन से जोड़ दिया, वो भी इस सुन्दरता से, आपको भी नए साल की ढेरो शुभकामनाएं,

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