15 ऑगस्त " स्वतंत्रता दिवस " यानि हमारी आज़ादी का दिन .हां ,सालो गुलामी का दंस झेलने के बाद ,लाखो लोगो के कुर्बानियो के फ़लस्वरुप हमे ये दिन देखने नसीब हुए .हम हिन्दुस्तानियो के लिए हर त्यौहार से बड़ा सबसे पवन त्यौहार है ये . यकीनन होली, दिवाली ,दशहरा ,ईद ,बकरीद ये सारे त्यौहार हम कभी भी खुल के नहीं मना पाते अगर ये आज़ादी के दिन हमे नसीब नहीं होते .
वैसे तो हर त्यौहार पहले भी मनाया जाता था और अब भी मनाया जाता है और स्वतन्त्रता दिवस भी मनाया जाता है लेकिन याद कीजिये वो 80-90 के दशक के ज़माने .उफ क्या होते थे वो दिन .हां ." याद आया न ." सुबह सुबह नहा धोकर, स्कूल यूनिफार्म पहन, बिना कुछ खाये पीये स्कूल पहुंच जाते थे . क्यूकि झंडा फहराना हमारे लिए एक पूजा से कम नहीं था .झंडा फहराना, राष्ट्गान गाना, प्रधानाध्यपक के द्वारा बच्चो को शहीदों की गाथा सुना कर आज़ादी का महत्व समझाना और फिर बच्चो के द्वारा रंगारग कार्यक्रम प्रस्तुत करना जिसमे सिर्फ देशभक्ति गाने ही होते थे .फिर हमे प्रसाद की तरह बूंदी या लाडू मिलते थे .घर आने पर माँ के हाथ का अच्छे अच्छे पकवान मिलते थे जैसे माँ बाकी त्योहारों में पकवान बनती थी ठीक वैसे ही . खाना खाते- खाते माँ हमे आज़ादी के लड़ाई की किस्से सुनती और समझती की कैसे औरतो ने भी अपना बलिदान दिया था ,समझती की हमे अपनी आज़ादी की कद्र करनी चाहिए अपने देश से प्यार करना उसके लिए सब कुछ लुटा देना ही हमारा पहला धर्म है . उस दिन T.V पर एक देशभक्ति फिल्म जरूर दिखाई जाती थी जो सारा परिवार एक साथ बैठकर देखता था और अपने पूर्वजो की कुर्बानियो को देख सब की आखे नम हो जाती थी .सारा दिन दिलो - दिमाग देशभक्ति के रंग में डूबा रहता था .शायद यही कारण था कि हमारे अंदर देशभक्ति का ज़ज़्बा कायम था और 15 ऑगस्त हमारे लिए एक पवन त्यौहार था .
लेकिन क्या आज भी सबके दिलो में स्वतन्त्रता दिवस के प्रति यही जुड़ाव है ?आज ये आज़ादी का दिन हमारे लिए क्या मायने रखता है ?अगर ये सवाल हम किसी से करे तो उनका सीधा सा जबाब होगा " एक दिन की सरकारी छुटी " .आज कल की पीढ़ी क्या समझ पाती है इस आज़ादी के ज़ज़्बे को, इस स्वतंत्रता दिवस के महाव को ? कैसे समझेगी ? आज तो 15 ऑगस्त यानि छुटी का दिन ,देर तक सोना पतंगे उड़ाना ,मौज़ मस्ती करना यही है आज़ादी . क्यूकि स्कूलों में एक दिन पहले ही झंडा फेहरा लेते है ( यकीनन ये आज कल के माहौल को देख सुरक्षा की दृस्टि से होता है ) जो एक अपचारिकता भर होता है .उन्हें अपनी आज़ादी की कुर्बानियो को सुना कर ये अहसास ही नहीं दिलाया जाता कि हमे ये आज़ादी कितनी तपस्या पर मिली है .ये गाथाये बच्चे माँ बाप और शिक्षक से ही सुनते , सीखते और अपनाते है .ये आज़ादी की कद्र और देश भक्ति का ज़ज़्बा क्लास के सिलेबस के किताबो की पढ़ाई से नहीं आता .आज सोशल मिडिया के दौर में हर " day " का celebration एक अच्छा सा फोटो वाला मेसेज भेज कर कर देना और ये समझना की मैंने अपना फ़र्ज़ पूरा कर दिया .क्या बस यही है " आज़ादी का दिन "
" आज़ादी " शब्द से मुझे एक बात का और ख्याल आता है कि क्या हम सचमुच आज़ाद है .देश को आज़ाद हुए 71 साल हो गए .इन 71 सालो में हमारे देश ने काफी तरक्की की है .हर क्षेत्र में चाहे वो औधोगिकी हो ,चाहे वो टेक्नोलॉजी हो या सामाजिक हो. फैशन के क्षेत्र में तो हम सोच से ज्यादा तरक्की किये है . लेकिन क्या हम मानसिक तौर पर तरक्की किये है ? एक बार सोच के देखे क्या हम मानसिक रूप से आज़ाद हुए है ? क्या आज भी हमारी मानसिकता डरपोकों वाली ,भेड़ चालवाली ,अंधविस्वासो वाली नहीं है ?अगर ऐसा नहीं होता , अगर हम मानसिक रूप से भी आज़ाद हुए होते ,विकसित हुए होते तो आज हमारे देश में ढोंगी बाबाओ का जाल कुकुरमुत्ते की तरह नहीं फैला होता ,अगर हमारी भेड़ चाल नहीं होती तो कोई भी ऐरा- गैरा ,अनपढ़ ,भ्र्स्टाचारी ,चरित्रहीन व्यक्ति हमारा नेता बनकर हम पर राज नहीं कर रहा होता .कहने को हमारे देश में लड़कियों को बहुत आज़ादी मिली है लेकिन आज भी जब लड़कियाँ घर से बाहर निकलती है तो माँ के हाथ हर वक़्त दुआ में उठे रहते है कि -" हे प्रभु मेरी बेटी सही सलामत घर आ जाये ." और बाहर ही क्यों बेटी तो घर में भी सुरक्षित नहीं है .क्योकि अभी भी हमारे देश में वो पुख्ता कानून नहीं बना जो एक बलात्कारी को फांसी की सजा सुनाये जिससे औरतो की तरफ बुरी नज़र करने वालो की रूह कापे .
नहीं दोस्तों ,अभी भी हम पूरी तरह से आज़ाद नहीं हुए .अभी हमे बहुत सी आज़ादी हासिल करनी है खास तौर पर मानसिक आज़ादी .अभी हमे मानसिक रूप से विकसित होना है .हां ,लेकिन अपने पूर्वजो की क़ुरबानी के फलस्वरूप जिस गुलामी के ज़ंजीरो से हमे आज़ादी मिली है हमे उसकी कद्र करनी चाहिए और इस स्वतन्त्रता दिवस को हमे एक जश्न के रूप में माननी चाहिए .
कितनी गिरहे खोली हमने ,कितनी गिरहे बाकी है .
स्वतंत्रता दिवस की बहुत बहुत बधाई हो ,जय हिन्द .