shabd-logo

दहेज की आग

20 मई 2022

21 बार देखा गया 21
empty-viewयह लेख अभी आपके लिए उपलब्ध नहीं है कृपया इस पुस्तक को खरीदिये ताकि आप यह लेख को पढ़ सकें
46
रचनाएँ
नारी जीवन दर्पण
5.0
नारी जीवन दर्पण सूना क्यों नारी मन शदियों से रीत रिवाज़ के दायरों में जीवन जीती है नारी वक्त बदला सोच बदली नारी जीवन अब भी कायदे है जारी अब भी कहीं बाल विवाह से बचपन मुरझाता कहीं अबला समझ अपना ज़ोर आजमाता कोई विधवा जीवन जीने को मजबूर कोई घरेलू हिंसा को शिकार विवश है अनचाहे रिश्ते निभाना को चाहे ना हो मंजूर कहीं वासना की होती शिकार हर मोड़ पर नारी सहती अत्याचार सिर्फ शब्दो में नहीं लाओं बदलाव सच मे हालत बदलने का करो चाव सोच बदलो विचार बदलो शब्दो पर रहो कायम बदलो समाज के जरा नियम सहज बने तब ही नारी जीवन।
1

हर रूप में औरत ढल जाए

14 मई 2022
60
34
6

दिल में बस जाती बनकर मुहब्बतहर रूप में औरत प्यार ममता की मूरतरिश्तों को संजोती मन मेंबनाकर जैसे आंचल हो चांद सितारेसहेजे हर लम्हे को जैसे मिलेउसे जन्नत के नज़ारेहर दर्द ओ ग़म को दिल में छुपाकरचेहरे पर

2

क्यों चला ये चलन

14 मई 2022
21
9
1

क्यों लिंग परीक्षण का चला ये चलनक्यों भूर्ण हत्या से करे नष्ट जीवनवंश की लालसा में बने नारी ही नारी की दुश्मनकैसे एक मासूम की कर हत्या संतुष्ट होता उसका मनभुर्ण हत्या के ना बनो भागीदारना बनना इस पाप क

3

भयानक वो रात

14 मई 2022
15
8
1

भयानक वो रात डर का था साया उन दरिंदों की नज़र मेंआ गई मेरी कायाहाल अपना अब जो बता रही हूंलम्हा लम्हा जीकर भी घुट घुट मरती है रही हूंकिया मुझे बर्बाद वो इंसान की शक्ल में थे हैवानमेरी अस्मिता

4

जीवन का रंग सफेद

14 मई 2022
12
8
1

जाने क्यों ये रीत बनाईविधवा जीवन में एक औरत कोमिले सिर्फ रुसवाईईश्वर ने रंग बनाए अनेकजीवन का रंग दे दिया जाताक्यों उनको सफेदसजने का छीन जाता अधिकारजीवन जीती है जैसे मिला कोई श्रापबेरंग जीवन जीने की हो

5

औरत की दशा

14 मई 2022
9
6
1

शदियों से औरत के लिए ही सारी प्रथाऔरत की क्यों है ऐसा दशासदा औरत को किया गया कुर्बानकुचले गए हर औरत के हीअरमानकभी सती बन जिंदा जलीकभी अग्निपरीक्षा मिलीकभी हुआ भरे दरबार मे अपमानचीरहरण का सहा

6

क्यों कोई मेरा हो हकदार

15 मई 2022
7
5
0

क्यों कोई मेरा हो हकदारमेरी जंदगी पर क्यों हो किसीऔर का अधिकारना साथ निभाए , ना छोड़ना चाहेजो मेरा दिल चाहे ना करने देरोज नया गम देता ना जीने दे ना मरने देख्वाबों की दुनिया मेरी उजाड़ीखुशियां छीन ली स

7

क्यों सिर्फ लड़कियों के लिए जाल है

15 मई 2022
6
4
1

कैसा ये मंज़र सारा है ऐसा क्यों आस पास नज़ारा हैक्यों दुनिया ऐसी सारी हैलडको पर ना कोई बंदिशेलड़कियों पर पाबन्दी जारी हैएक तरफ रूप देवी धारी हैहर तरफ मिलती सिर्फ लाचारी हैना कुछ करने क

8

नारी जीवन

15 मई 2022
8
5
1

नारी को परिभाषित करने के लिएकोई नाम की नहीं जरूरतनारी तो है प्रेम त्याग की मूरतआपनेआप मे नारी है सम्पूर्णअधिकार बस मिल नहीं पाते पूर्णजहा हर कामयाबी को छु जातीपर अपनो के आगे हार जातीतरस जाती जरा से सम

9

दहेज के भेंट चढ़ी एक लाड़ली

15 मई 2022
4
2
0

आंगन में खिली एक मासूम कलीक्या कहूं कितनी खुशी मिलीउसकी किलकारी से दिल की सुकून मिलामानो हो कोयल सी मीठी बोलीप्यारी इतनी सूरत की भोलीपरिवार खुशी से झूमने लगामेरे भी पैर मारे खुशी से नाच उठेजब देखा प्य

10

औरत का मन

15 मई 2022
3
2
0

जब औरत का मन किसी को चाहे पूरे समर्पण से फिर वो प्यार का रिश्ता निभाएं किसी संग अब मोहब्बत का आशियाना बसाए झोपडी में भी खुशी से रह जाए जो औरत के मन को साथी ना भाए तो महलों को भी ठुकरा जाए ऐश ओ आराम

11

औरत के जीवन का सफर

15 मई 2022
1
1
0

एक औरत के सफर की कहानीपूरी जिंदगी अपनी मर्जी के इंतजारमें है बितानीबचपन में जब अपनी मर्जी बतलाएनासमझ हो अभी तुम में है नादानीजीती है फिर हूं पिता और भाई की जुबानीसपनों की दहलीज पर जो कदम बढ़ाए हैएक अन

12

निशब्द नहीं हू मै

15 मई 2022
1
1
1

चुप रहना मेरी मर्जी है मजबूरी नहीं क्योकि मै नही चाहती रिश्ता में दरार निशब्द नहीं हू मै मेरे पास भी है शब्दो का भंडार मौन हूं क्योंकि नही चाहती मै फीका पड़े रंग प्यार का दुख मुझे भी होता मै भी तो नही

13

ना कोई प्रमाण दूंगी

15 मई 2022
1
1
0

मै नहीं सीता चरित्र है पवित्र ना कोई प्रमाण दूंगी ना अग्नि परीक्षा दूंगी जो उठाए उंगली उसको ना मै छोड़ूंगी अपने हर इल्जाम का मुंह तोड़ जवाब दूंगी वो क्या मुझे छोड़ेगा मै ही उसे त्याग दूंगी ना अपने सर

14

औरत का मन

15 मई 2022
1
1
0

मोम सा औरत का मन सिर्फ उसके लिए जो उसके मन को भाए जो दिल औरत का पत्थर हो जाए कर लो कितने ही जतन वार सारे खाली जाए औरत का दिल बस प्यार से जीता जाए ज़ोर जबरदस्ती से बस उसे कैद कर पाए वो चाहे टूट जाए पर

15

मन की चाहत

15 मई 2022
2
1
1

औरत एक सुनहरी किरणशुरू होता उससे रोशन जीवनऔरत एक घनेरी रातउसके मन में जाने कितनी दबी सी बातमुस्कुराकर कर गम पितीखामोशी से जीवन जीतीऔरत का जीवन लगता जितना सरलनहीं होता इतना आसानऔरत की छोटी सी अपनों की

16

नादान है औरत बातो में उलझ जाती है

15 मई 2022
1
1
0

औरत है नादान लच्छे दार बातो मे उलझा देते हैखूबसूरती की कर तारीफ बातो से बहला देते हैना कोई अधिकार मिला ना घर अपना अपना जहां मिलातुम ही हो पूरे घर की मालकिन बस नाम का खिताब मिलापति परमेश्वर है जो

17

काला रंग

15 मई 2022
1
1
1

नैन काले लगे बड़े प्यारेभाए केश काले घनहरेकाला तिल सुंदरता की बढ़ाए शानजब सुंदरता के जगत मेंकाले रंग की बड़ी है पहचानतो क्यों तन का रंग काला क्यों ठुकराएकाली काया क्यों नहीं किसी को भाएक्यों मन क

18

भयानक वो बाल विवाह की लहर

15 मई 2022
1
1
0

भयानक वो बाल विवाह की लहरबचपन पर बरसाए कहरजिसमे मासूम का बचपन जलाखिलने से पहले तोड़ करबचपन की कली कोक्या तुम्हे मिलाइस कुरीति के भेंट बचपन चढ़ाअभी अभी तो किया आगाज़सजाए कुछ बन जाने ख्वाबडोली के रूप मे

19

शादी के बाद

15 मई 2022
1
1
0

कल तक थी जो अल्हड़ वो नादानएक रिश्ते से जुड़करबदल जाती क्यों पहचानकहने को तो कह देतेजैसे चाहे तुम रहनापढ़ना लिखना पहचान बनाते तुम रहनारिश्ता ये ना होगा बंधनपूरे कर लेना अरमानआखिर है तो तुम्ह

20

आखिर क्या है उनकी खता

16 मई 2022
2
1
2

आखिर ऐसी भी क्या होती हैउन मासूम की खताजो जन्म से पहले ही मिल जातीउन्हे मौत की सज़ाखिलने से पहले ही कलियां ये मुरझा दी जाती हैबेटियां नहीं बोझ जोकोख में ही मार दी जाती हैउनको भी मिले जीने का अधिक

21

आखरी बार देखा गया

16 मई 2022
1
1
0

आखरी बार देखा गयाऐसा हुआ ना हो पायाएक औरत ने अपनों के खातिरअपनी ख्वाहिशों को ना हो दफनायाअपनो के खातिर ही जीती हैअपनो को खुशी में उसकी खुशियां होती हैकब आखरी बार देखा गया स्वतंत्रता से अपना जीवन

22

सच्चा प्रेम??

16 मई 2022
2
2
2

औरत की सुंदर देह पर जो दिल आया प्रेम नहीं ये तो वासना का होता साया सुंदरता देख जो दिल लगाया प्रेम न उसे समझ आया सुंदरता से प्रेम का जब होता आगाज़ बिस्तर तक पहुंचते खत्म हो जाता ऐसा प्यार नज़रे जो दे

23

बेखौफ होकर क्या कभी जी पाऊं????

16 मई 2022
1
2
0

ख्वाहिश है बन जाऊं तितलीफूलो कलियो से मिल आऊंपर डरती हू अनजानी निगाहोंकिसी हाथ आकर किताबो दब करबंद हो जाऊंचाह बड़ी पंछी बन जाऊखुले आसमन की सैर कर आऊं परतुम्हारे मे पिंजरा मै देख पाऊंकैद हो जाने से डर

24

औरत से उम्मीद

16 मई 2022
1
1
1

औरत से उम्मीद सदा ही सीता होने कीबुद्ध औरत ना हो पाएजो बुद्ध होने की राह औरत जाएपति को सोता छोड़ बच्चे का मोह ना रोक पाएघर गृहस्थी छोड़ जाएतो कुटुंब परिवार ये समाजपूरा ये संसार सच जाने बिना ही घोषित क

25

आखिर तुम दिनभर करती क्या हो

17 मई 2022
1
1
1

मै आखिर करती ही क्या हूंये उन बातो का जवाबसुन लो जो करते है ये रोज सवालमै अगर देर से एक दिन भी उठ जातीतो किसी को नस्ता ना मिल पाताचाय कॉफी के लिए फिर कोई चिल्लाताकिसी होगी काम पर जाने में देरीनींद से

26

एक औरत

17 मई 2022
1
1
0

कितनी बुरी नज़रों की शिकार होती हैऔरत क्यों ताउम्र लाचार होती हैकितनी ही बार बेवजह सरेआम वो बेजार होती हैक्यों होता उसके साथ ऐसा क्या वो कोई अखबार होती हैएक मां कभी बहन कब पत्नी कभी बेटीकितने किर

27

मैं चाहती तो

17 मई 2022
2
2
0

मैं चाहती तो सुना देती मै भीबेपरवाही सेकुछ बातजता देती मै भीबेरुखी का अंदाजपर मेरी तरहतुम सह ना पाओगेटूट कर तुम बिखरजाओगेनहीं तुम में सहपाने सी बातक्यों भी अपनेभीतर तुमनेबसा रखा हैअहंकारइसलिए तो

28

एक लड़की/अनगिनत ख्वाब

19 मई 2022
1
1
0

एक लड़की अनगिनत ख्वाब बुनती है ख़यालो की गलियों से गुजरती है ख्वाहिश होती उसकी आसमां के चांद को पाने की सितारों को आंचल में सजाने की देखना चाहती है दुनिया के रंगो को पाना चाहती ऊंचाइयों को उसके हिस्स

29

वो ऐसा कैसे कर सकती है

19 मई 2022
1
1
0

क्यों कहते है वो ऐसा कैसे कर सकती है किसी चले जाने के बाद भी वो है जिंदा तो जीवन में आगे बढ़ क्यों भी फिर जी सकती है जो गम के बादल छंट जाए उसे साथी कोई मिल जाए तो क्यों उसे नहीं अपना सकती क्यों दकि

30

वो ऐसा कैसे कर सकती है (दहेज)

19 मई 2022
2
1
0

किसी ने अपने बेटे की बोली लगाई सर झुकाकर बेटी के पिता ने किया स्वीकार दहेज से गूंजी शहनाई बेटी की खुशी खरीदने मजबूर पिता क्या कुछ नहीं करता दहेज वो कुआं को कभी नहीं भरता मांग दहेज की कर स्वीकार खुशिय

31

सिर्फ नहीं मै प्रेमिका

19 मई 2022
1
1
0

कहता है वो सनम मेरा वो ऐसा कैसे कर सकती थी प्यार उसे भी था मेरे बिन जी नहीं सकती वो कहा करती थी क्यों बेवफा हो गई दिल तोड़ा मेरा क्यों मुझसे जुदा हो गई वो ना जाने मै सिर्फ नहीं उसकी प्रेमिका बेटी भी

32

अहंकार का शोर

19 मई 2022
1
1
0

अहंकार का भी कैसा है शोर एक स्त्री पर जब चले ना पुरुष का जोर जब पुरुष किसी स्त्री को जीत ना पाए जब जाए पुरुष स्त्री से हार सुध बुध अपनी खो जाए करते स्त्री के चरित्र पर सीधे प्रहार चरित्रहीन उसे फिर बत

33

कैसा जमाना बेरहम है

19 मई 2022
1
1
0

लूट रही आज भी नारी की अस्मतकैसा जमाना बेरहम हैबेटी बहू बहन नहीं सुरक्षितखिलौना समझे इज्जतकैसा जमाना बेरहम हैबंधन में रहे कैद मिलेनारी कोक्या नहीं कोई जमाने की जिम्मेदारी हैनज़रबंद रहना मज़बूरीकैसा जम

34

इतना आसान अपना वजूद खोना

19 मई 2022
1
1
1

एक नवजात शिशु जन्म लेकरदुनिया में आता हैपुनर्जन्म वो पाता हैपिछला जन्म याद शायद रहताइसलिए शायद यादें वो अहसास करता हैकभी मुस्कुराता हैकभी आंसू बहाता हैकिसी पल डर जाता हैधीरे धीरे यादें मिट जाती हैइस

35

एक उलझन

19 मई 2022
3
2
2

एक उलझन मन को बड़ा ही सताएकोई जरा मन की उलझन कोसुलझाएंसवाल जो ये हल करेजवाब पाकर दिल भी करार पाएजो वंश बेल बेटा ही बढ़ा पाएजरूरत बेटे की जरूरी हो जाएतो किसी की बेटी को बहु बनाकर क्यों लाएजो

36

क्यों फिर से जीवन में रंग भर नहीं सकती

19 मई 2022
2
1
0

क्यों कहते हैवो ऐसा कैसे कर सकती हैकिसी चले जाने के बाद भीवो है जिंदा तोजीवन में आगे बढ़ क्यों नहीं सकती फिर जी सकती हैजो गम के बादल छंट जाएउसे साथी कोई मिल जाएतो क्यों उसे नहीं अपना सकतीक्यों दक

37

नारी का हर बार ही अपमान हुआ

19 मई 2022
1
1
1

हर इतिहास सबक सिखाता हैना करना भूल बतलाता हैगलती तुम ना दोहरानाजो राह नई हो पानाअन्धकार रावण का जब सीमा सेपार हुआमिटाने अहम को राम का अवतार हुआछल से सीता हरण कियाअंत हुआ अहंकार कातब रावण मरण हुआसीता अ

38

दहेज की आग

20 मई 2022
2
1
0

भयानक वो मंज़र खुद ही ना मिला पाओगे नजर एक निर्दोष का देख हाल खा गया दहेज का भंवर उसे निगल उसे अपनी का बिछाया हुआ जाल किसी ने कीमत लगाकर बेटे को बोली लगाई किसी बेटी की खुशियां खरीदनी चाही भूल गया क्यो

39

एक लड़की की जिंदगानी

20 मई 2022
2
1
0

एक लड़की की भी क्या खूब जिंदगानीदो घरों की इज्ज़त तो है पर दोनों घरों में है बेगानीबचपन जहां बितानाएक दिन घर बने वो बेगानासात फेरे लेकर जहां रौनक बनजिसकी दुनिया सजाईउस घर में भी रहे सदा ही पराईबच

40

झूठी हंसी लबों पर सजाती है

20 मई 2022
3
1
0

हर दर्द मुस्कुराकर से सहती हैखामोश रहती कुछ न लब से कहती हैअपनी ख्वाहिशों से मुंह मोड़ लेतीअपनो के ख्वाबों को बनती हैना देखे कोई उसकी तड़प ना दर्द की चीख कोई सुनेखामोशी से हर गम पीती हैयू तो मुस्

41

मैं रहूंगी अपने हालत की जिम्मेदार

20 मई 2022
3
1
0

कोई कहे घमंडी किसी को लगती मै नकचढ़ीमैं तो सुनतीअपने दिल कीअपने दिल की राहआगे बढ़ीख्वाहिशें मैं ही बुनुमंजिले खुद मै चुनूंमैं रहूंगी अपने हालत कीजिम्मेदारचाहे जीत मिले चाहे मिले हारमैं

42

अकेली औरत (available नहीं होती)

21 मई 2022
2
1
0

देखे औरत अकेलीहमदर्द बन चले आते हैमन में रखते नियत बुरीसामने परवाह जताते हैसमझे औरत को वी नासमझऔर नादानजाने ना औरत तो नज़र से हीनियत जाती है पहचानमाना अकेली है हालत से भी है मजबूरसंघर्ष भरी हो सकती है

43

औरत कमसिन है कमजोर नहीं

21 मई 2022
2
2
1

औरत कमसिन हो सकती है नहीं वो कमज़ोरतन्हा अकेली समझ ना जमाओ तुम जोरहालत से अगर है लाचारउस नहीं बन सकते तुम हकदारबुरी नज़र डालने का नही मिल जाता किसी को अधिकारसंघर्ष भरा जीवन को डगर पर पहले से चल रही है

44

दोस्ती वाला प्यार

25 मई 2022
2
2
1

एक लड़के और लड़की की यारी चाहे क्यों ना हो दोस्ती ये प्यारी समझे कहां ये संसार ये दोस्ती वाला प्यार नासमझ लोग क्या सच में है इतने बड़ा क्यों या बनते यू अनजान पाकीज़ा होता ये दोस्ती वाला प्यार जानते सब

45

अपने वजूद में मै मौजूद रहती

26 मई 2022
1
1
0

मैं कलियों सी महकना चाहती थीतितली बन भरनी थी उड़ाननापना चाहती थी अपने हिस्से का आसमानरचना चाहती थी अपने ख्वाबों का संसारपर हर बार मुझे रोका गयापग पग पर मुझे टोका गयारौंदा गया पैरों तले मेरा

46

अखरती हूं सबकी नजरों में खटकती हूं

27 मई 2022
4
1
1

हां सबकी नजरों में अखरती हूंजब अपनी मनमर्जीयां करती हुजब राहें अपनी खुद चुनती हूंजब अपने दिल की सुनती हूंखटकता है मेरा ये अंदाजअखरता हुनर मेरा जाने क्या है बातहां अड़ जाती हुगलत पर लड़ जाती हुअपन

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए