मानसरोवर की
गहराइयों में बैठे
हंसों ने पाँखें दीं खोल
शांत, मूक अंबर में
हलचल मच गई
गूँज उठे त्रस्त विविध-बोल
शीष टिका हाथों पर
आँख झपीं, शंका से
बोधहीन हृदय उठा डोल।
25 मई 2022
मानसरोवर की
गहराइयों में बैठे
हंसों ने पाँखें दीं खोल
शांत, मूक अंबर में
हलचल मच गई
गूँज उठे त्रस्त विविध-बोल
शीष टिका हाथों पर
आँख झपीं, शंका से
बोधहीन हृदय उठा डोल।
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दुष्यंत कुमार हिंदी कवि एवं गजलकार थे. भारत के महान गजलकारों में उनका नाम सबसे ऊपर आता है. हिंदी गजलकार के रूप में जो लोकप्रियता दुष्यंत कुमार को मिली वो दशकों में शायद ही किसी को मिली हो. वह एक कालजयी कवि थे और ऐसे कवि समय काल मे परिवर्तन होने के बाद भी प्रासंगिक रहते हैं. इनकी कविता एवं गज़ल के स्वर आज तक संसद से सड़क तक गुंजते है. इन्होंने हिंदी साहित्य में काव्य, गीत, गज़ल, कविता, आदि अनेक विधाओं में लेखन किया. लेकिन उन्हें गज़ल में अत्यंत लोकप्रियता प्राप्त हुई. वास्तविक जन्मतिथि 27 सितंबर 1931 है. इनका जन्म उत्तर प्रदेश के बिजनौर जनपद की तहसील नजीबाबाद के ग्राम राजपुर नवादा में हुआ. इनका पूरा नाम दुष्यंत कुमार त्यागी था. उनकी प्रारम्भिक शिक्षा नहटौर, जनपद-बिजनौर में हुई. उन्होंने हाई स्कूल की परीक्षा एन.एस.एम. इन्टर कॉलेज चन्दौसी, मुरादाबाद से उत्तीर्ण की. उच्च शिक्षा के लिए 1954 में उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हिन्दी में एम.ए.की डिग्री प्राप्त की. अपनी कॉलेज की शिक्षा के समय 1949 में उनका विवाह राजेश्वरी से हुआ. वास्तविक जीवन में दुष्यंत बहुत, सहज, सरल और मनमौजी व्यक्ति थे.D