नई दिल्ली: जानी-मानी प्रमुख प्रौद्योगिकी कंपनी एप्पल को बड़ा झटका लगा है। यूरोपियन यूनियन ने मंगलवार को एप्पल कंपनी को आयरलैंड को 13 अरब यूरो (करीब 97,000 करोड़ रुपए) का टैक्स चुकाने को कहा है। तीन साल की जांच-पड़ताल के बाद यूरोपियन यूनियन ने यह फैसला लिया है। जांच में पाया गया कि एप्पल कंपनी को टैक्स नियमों में छूट के चलते जो फायदे मिल रहे थे, वह पूरी तरह से अवैध हैं। हालाँकि यूरोपीय संघ का यह फैसला अमेरिका के लिए निसंदेह नागवार होगा।
नहीं है कोई पैनाल्टी
कई लोगों ने कहा था कि कंपनी पर पैनाल्टी लगाई है। इस पर यूरोपियन यूनियन ने कहा है कि यह कोई पैनाल्टी नहीं है, बल्कि वह टैक्स जमा करने को कहा जा रहा जो कंपनी ने अब तक नहीं किया है। आयरलैंड के वित्त मंत्री माइकल नूनान इस फैसले से असहमत हैं। यूरोपियन यूनियन का मानना है कि ऐप्पल को मिली डील के तहत अन्य बिजनेस कंपनियों की तुलना में बहुत अधिक फायदा मिला, जबकि उसने महज एक फीसदी कॉरपोरेट टैक्स चुकाया।
कम है ये टैक्स
यूरोपीय यूनियन की कंपीटीटिव कमिश्नर मार्गरेट वेस्तागर ने कहा,‘ आयेाग की जांच का नतीजा है कि आयरलैंड ने एपल को अवैध टैक्स प्रॉफिट दिए। इसके चलते एपल को कई सालों तक दूसरी कंपनियों की तुलना में बहुत कम कर चुकाना पड़ा। आयरलैंड कंपनियों के हिसाब से उन्हें टैक्स में काफी छूट देकर अपने देश में आकर बिजनेस करने के लिए आकर्षित कर रहा था। इन डील को स्वीटहर्ट डील कहा जाता है। यूरोपियन यूनियन का मानना है कि एप्पल कंपनी ने यूरोयपियन यूनियन के नियमों का उल्लंघन किया है। यूरोपियन यूनियन ने आयरलैंड के मंत्रियों पर स्वीटहर्ट डील देने का आरोप लगाते हुए कहा कि उसने एप्पल को कई तरह की टैक्स छूट इसलिए दी थी, ताकि कंपनी आयरलैंड में नौकरियां मुहैया कराए।