नई दिल्ली : बिहार में जेडीयू और बीजेपी के नए गठबंधन को कल अपना विश्वासमत हासिल करना है। लेकिन जेडीयू के कई नेता नीतीश कुमार के इस फैसले से नाराज बताये जा रहे हैं। जीडीयू के दो बड़े नेता शरद यादव और अली अनवर का नाम भी इसमें शामिल है। इस बीच शरद यादव आज नीतीश कुमार के शपथ समारोह में भी शामिल नहीं हुए। शरद यादव के राहुल गाँधी से मुलाकात करने की खबर ने यह साफ़ कर दिया है कि आने वाले वक़्त में जेडीयू में आंतरिक कलह बढ़ सकती है।
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सूत्रों की माने तो अली अनवर और शरद यादव अगर कोई फैसला लेते हैं तो जेडीयू के 16 विधायक पार्टी का साथ छोड़ सकते हैं। जिसमें से 11 यादव और 5 मुस्लिम विधायक हैं। अगर ये विधायक बागी हो जाते हैं, तो शुक्रवार को होने वाले फ्लोर टेस्ट में जेडीयू के सामने मुश्किल पैदा हो सकती है। हालाँकि बीजेपी की ओर से शरद यादव को मनाने का जिम्मा अरुण जेटली को दिया गया है।
बिहार के राजनीति क गणित पर नजर डालें तो यहाँ कुल 243 विधानसभा सीटें हैं। बहुमत के लिए 122 विधायकों का समर्थन जरूरी है। हालांकि, नीतीश (71) और बीजेपी (53) विधायकों को मिला दिया जाए तो इस आकंड़े से दो सीटें अधिक हैं।
वहीँ अगर लालू की बात करें तो लालू के 80 विधायक हैं और कांग्रेस के पास बिहार में 27 विधायक हैं। अगर लालू और कांग्रेस का गठबंधन बनता है और जेडीयू के 16 विधायक पाला बदलते हैं तो बिहार में फिर से लालू की सरकार बन सकती है।
नीतीश कुमार के इस फैसले से जेडीयू की केरल इकाई नाराज बतायी जा रही है। वह गठबंधन का विरोध कर रही है। जदयू की केरल इकाई के प्रमुख व राज्यसभा के सदस्य वीरेंद्र कुमार ने कहा कि वह फासीवादी शक्तियों के खिलाफ लड़ाई में उच्च सदन से इस्तीफा देने के लिए भी तैयार हैं।
क्या कहा शरद यादव और अली अनवर ने
शरद यादव ने कहा, 'नीतीश कुमार ने सरकार बनाने का फैसला बहुत जल्दबाजी में लिया है। गठबंधन तोड़कर इतनी जल्दी बीजेपी के समर्थन से सरकार बनाने के फैसले का मैं समर्थन नहीं करता हूं।'
जेडीयू सांसद अली अनवर ने कहा कि नीतीश जी ने अपनी आत्मा की आवाज पर बीजेपी के साथ जाने का फैसला किया, पर मेरा जमीर बीजेपी के साथ जाने के बिल्कुल खिलाफ है। अली अनवर ने यह भी कहा कि 'बीजेपी की जिन बातों से हमें परहेज था, बीजेपी अब उस तरफ और उग्रता के साथ बढ़ रही है।'