एक 15 अगस्त का प्रोग्राम चल रहा था। प्रोग्राम का हलचल तलियों के गूंज से पता चल रहा था। कुछ आरमी के जवान भी उस प्रोग्राम मे हिस्सा ले रहे थे। कॉलेज की
लड़कियां जवानों को देख पुरा मजे कर रही थी।
एक आर्मी के जवान मुकेश ने अपने दोस्त विशाल से कहा- वो देख विशाल एक लड़की तुझे कैसे ताड रही हैं।
विशाल- अब क्या फायदा हैं यार मेरी तो सगाई हो चुकी हैं।
प्रोग्राम खत्म होने के बाद वो लड़की वैसे हि विशाल को देख रही था तब उस लड़की से उसको दोस्त सुमन ने कहा- क्या यार गूंजन उस लड़के को ऐसे क्यू देख रही हो।
गूंजन- देख ना यार इतना Handsame है। ऐसे कैसे इसको जाने दे।
तभी गूंजन विशाल के पास गई और बोली- हैलो । मेरा नाम गूंजन अपना नाम बताओ।
विशाल- क्या बताऊँ। ऐसा बोल विशाल वहाँ से चला गया।
तभी सुमन बोली- क्या बात हैं गूंजन। कोई लड़का पहली बार तेरे झांसे मे नहीं आया।
गूंजन गुस्सा कर- सुमन इस लड़के की कुंडली निकलवाओ।
गूंजन के पापा रिटायर कर्नल थे। अपने पापा की लाडली थी। गूंजन बहुत जिद्दी भी थी। गूंजन को विशाल के बारे सब पता चल गया कि कब क्या करता हैं।
एक दिन की बात विशाल मॉर्निंग वाक् के लिए रोज एक पार्क जाता था और वहाँ गूंजन भी पहुँच जाती गई।विशाल गूंजन को देख घबरा गया। लेकिन उसे अनदेखा कर दिया।रोज किसी ना किसी बहाने गूंजन विशाल से टकरा जाती थी।
विशाल की आदत थी कि वो रोज शाम मे अपने दोस्तो संग काफी सोप पर जाता। अब वहाँ गूंजन भी पहुँच गई।
एवेक दिन गूंजन ने विशाल के काफी मे दिल बना कर खुद उसको दे कर चली गई।
विशाल गुस्से से गूंजन के पास गया और बोला- ये क्या था।
गूंजन मुस्कुरा कर बोली- चलो कुछ बोले तो।
विशाल- मैं जनता हूँ तुम ये सब जान कर रही हो।
गूंजन- मैं क्या कर रही हूँ।
विशाल- देखो बोलो तुम चाहती क्या हो।
गूंजन- तुम्हें दोस्ती करना चाहती हूँ।
विशाल- मैं तुमसे दोस्ती पागल हो गई हो। तुम जैसी लड़की से दूर ही रहना चाहता हूँ।
गूंजन का गुस्सा तो मानो खत्म ही ना हो।
एक दिन गूंजन ने अपने पापा से कहा -पापा मुझे कही बाहर घूमने जाना हैं।
पापा- ठीक हैं तुम अपने दोस्त के साथ जा सकती हो।
गूंजन- पापा एक बॉडी गार्ड साथ होना चाहिए ना। पापा विशाल हैं ना उसकी को भेजो।
ऊपर से ऑर्डर था विशाल और मुकेश को जाना ही पडा। ट्रेन के सफर का सफर था। सुमन और गूंजन और एक लड़की थी जब सोने का समय आया तब सभी लोग सो गए थे। सुमन को ठंड लग रही थी तब गूंजन ने चादर से ढक दिया। ये सब विशाल देख रहा था एक अलग ही रूप गूंजन का सामने आया। तब गूंजन सो रही थी लेकिन
विशाल का गूंजन से ध्यान हट नहीं रहा था।
आधी रात को जब विशाल का नींद खुला तो गूंजन अपने जगह नहीं थी। तभी जब विशाल उठ कर इधर उधर देखने लगा तो देखा कि गूंजन एक सीट पर अकेले बैठी है।विशाल- यहाँ क्या कर रही हो।
गूंजन- बस तारों को देख रही हूँ उसमे मेरी माँ हैं।
विशाल और गूंजन दूसरे से काफी देर बाते करते रहे।
इस प्रकार बहुत मौके आये जब विशाल और गूंजन एक दूसरे से बाते करते। सभी लोग घर वापस आ गए। इसी तरह दोनों अच्छे दोस्त बन गए। रोज मैसजे फोन करते।
गूंजन को अहसास हुआ कि वो विशाल से बहुत प्यार करती हैं। एक दिन गूंजन ने विशाल से कहा- विशाल
मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ। तुमसे शादी भी करना चाहती हूँ।
तभी विशाल को याद आया कि उसकी सगाई हो गई।
तब विशाल ने अपनी सगाई वाली फोटो दिखा कर कहा
ये हैं मेरी सच्चाई।
गूंजन ये देख रोते रोते घर चली गई। अब विशाल रोज
गूंजन को फोन करता लेकिन गूंजन उसका कोई रिप्लाई नहीं करती।
विशाल गूंजन से मिलने को बेचैन लेकिन गूंजन कही नहीं दिखती। उधर गूंजन घर से बाहर ही नहीं आती। विशाल गूंजन के घर का चक्कर लगाता।
एक दिन विशाल के घर से फोन आया और बोला कि
लड़की वालों ने रिश्ता तोड़ दिया हैं ऐसा सुन विशाल
खुशी से पागल हो गया।
गूंजन को मुकेश का फोन आया और बोला विशाल
घर जा रहा हैं अब कभी वापस नहीं आएगा।
जब गूंजन पहुंची तब देखा वो जगह सिर्फ फुलों और दिल वाले 🎈balloons से सजे हैं।
विशाल हँसते हुए गूंजन के सामने आया और कहा मुझसे शादी करोगी।
गूंजन- तुम्हारी सगाई।
विशाल- रिश्ता टूट गया।
गूंजन खुश होकर- हाँ इसी पल का इंतजार था।
दोनों एक दूसरे के गले से लिपट गए।