प्रेम अपनी प्रेमिका वर्षा से बहुत प्यार करता था। प्रेम वर्षा के बिना रहना सोच भी नहीं सकता था। लेकिन वर्षा प्रेम से प्यार करती तो थी लेकिन प्रेम जैसा नहीं।
एक दिन की बात हैं दोनों एक पार्क मे बैठे हुए थे तो वर्षा ने कहा- प्रेम ये मैसजे और फोन से मैं बोर हो गई हूँ। तुम मुझे एक रोज खत लिखा करो।
प्रेम- अरे यार। अब इस मोबाईल के जमाने मे खत का क्या करना। वैसे भी पोस्ट करने का झमेला कौन करें।
वर्षा- क्या यार तुम मेरे लिए इतना भी नहीं कर सकते।
प्रेम- ठीक हैं। तुम जिसमे खुश रहो।
वर्षा 😇- Thanku 🌹🌹.
पोस्टबॉक्स प्रेम के घर से 35 km पर था। रोज
वर्षा को खत देने आने जाने मे ही प्रेम का काफी समय निकल जाता। लेकिन खत पढ़ कर वर्षा को बहुत मजा आता।
इस तरह 5 साल बीत गए। प्रेम का अब जॉब लेने का टाइम नहीं था। प्रेम अपना गुजारा के लिए छोटा
काम करने लगा।
एक दिन प्रेम ने कहा- वर्षा अब हमे शादी कर लेनी चाहिए।
वर्षा- प्रेम तुम जिस तरह काम करते हो। हम अच्छी तरह गुजारा भी नहीं कर पायेगे।
प्रेम- तब क्या करोगी।
वर्षा- मेरी शादी तय हो गई है। तुम देख लो अपना। शादी 3 महीने बाद हैं।
ये सुन जैसे प्रेम शून्य हो गया। बिना कुछ बोले वहाँ से चला गया।
अब वर्षा अपने मंगेतर संजय के साथ घूमने लगी। संजय हमेशा अपने बारे मे ही मे ही सोचता और वर्षा की बातो को अनसुना करता।
एक दिन संजय को अपने एक पार्टी मे वर्षा को साथ ले गया। वहाँ वर्षा एक कोने मे अकेली थी बोर हो रही थी लेकिन संजय उसपर ध्यान भी नहीं दे रहा था।
और वर्षा को छोड़ संजय वहाँ से चला गया।
आधी रात वर्षा अकेले सड़क पर डर भी रही थी।
तभी एक ऑटो वहाँ आकर रुक गई। उस ऑटो मे और कोई नहीं प्रेम था। वर्षा प्रेम को देख घबरा गई और बोली
वर्षा- प्रेम तुम यहाँ।
प्रेम- तुम्हे क्या लग रहा है कि मैं तुम्हें छोड़ दूंगा। तुम जहाँ जाती हो। साये के तरह पीछे जाता हूँ।
वर्षा रोकर बोली- माफ कर दो मुझे प्रेम। उस इन्सान से शादी नहीं करनी मुझे।
वर्षा भागे भागे प्रेम के गले लग गई।
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