लखनऊ : नशा पिलाकर महिला के साथ साथियो सहित सामूहिक बलात्कार के आरोपी गायत्री प्रजापति ने प्रदेशीय पुलिस व्यवस्था को चौपट साबित कर दिया है। सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों के अनुपालन में गैर जमानती वारेंट जारी होने के बाद पुलिस की पकड़ में न आने वाले अखिलेश सरकार के परिवंहन मंत्री गायत्री प्रजापति ने पुलिस को आईना दिखा दिया।
चुनावी सभाओं और प्रधानमंत्री को अपनी पुलिस सेवा के गुणगान गाने वाले अखिलेश यादव के पास इस बात का अब कोई जवाब नहीं है कि यू पी पुलिस गायत्री प्रजापति को अब तक क्यों नहीं पकड़ सकी। इस बात का पूरा असर चौथे चरण के चुनाव में पड़ेगा और पिछली बार जीती 23 सीटो को क्या सपा बचा पाएगी।
मालूम हो की एक महिला द्वारा गायत्री प्रजापति के विरुद्ध कोल्ड ड्रिंक में नशा मिलाकर सामूहिक बलात्कार करने की शिकायत की गई थी। पुलिस द्वारा इसे सं ज्ञान में नही लिया गया। पीड़िता द्वारा सर्वोच्च न्यायालय की शरण में आने पर न्यायालय के आदेशो के अनुपालन में दोषियो के विरुद्ध FIR लिखी गई।
प्रजापति अमेठी से चुनाव लड़ते रहे और उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया। इसे पुलिस की लापरवाही कहे या सरकार का दबाव।जो भी हो चुनाव खत्म होते ही प्रजापति पुलिस को धत्ता बताकर भूमिगत हो गए और पुलिस अपने हाथ मलते रह गई। पुलिस ने उनके आवासों पर छापा मारा पर प्रजापति ऐसे गुप्त स्थान पर छुपे हुए है कि तीन दिन से पुलिस के लिये चुनौती बने हुऐ है।पुलिस दवाई लखनऊ के बाहर भी कई स्थानों पर छापे बाज़ी की गई है।
100 या 1090 डायल करने से क्या सुविधा जनता को प्राप्त होती है यह बहुत बड़ा प्रश्न प्रदेश सरकार और उसकी पुलिस के सामने खड़ा होता हैं। अब सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि स्वंम अखिलेश यादव मुख्य मंत्री के अनुरोध के बाद भी गायत्री प्रजापति का सरेंडर न करना और फरार रहना सरकार की कोई साजिश है या यूपी पुलिस की नाकामी ।