नई दिल्ली : मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से 225 किलोमीटर दूर अशोकनगर जिले के सिल्वान गांव में साम्प्रदायिक तनाव तब शुरू हो गया जब गांव में एक गाय घायल अवस्था में मिली। गाय के पैर पर चोट के कारण घांव हो गया था। साम्प्रदायिक तनाव तब और बढ़ गया जब गाय के मालिक घनश्याम लोधी की इस घटना का एक सप्ताह बाद मृत्यु हो गई।
इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के अनुसार, गाय के मालिक, घनश्याम लोधी और अन्य हिंदू ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि गांव के निवासी अख्तर खान ने गाय को गोली मारी है। शिकायत के आधार पर भारतीय दंड संहिता की धारा 429 (मवेशियों को मारने या मलिन करना) के तहत 28 अप्रैल को खान को गिरफ्तार किया गया और बाद में उसे जमानत पर रिहा कर दिया गया।
स्थानीय पशुचिकित्सक ने गाय की जाँच के बाद बताया कि चोट एक कुंद वस्तु के कारण लगी, गोली से नहीं। जिला प्रशासन ने विशेषज्ञों का तीन सदस्यीय पैनल भी इसकी जाँच के लिए बनाया जो स्थानीय पशुचिकित्सा की जाँच के साथ सहमत थे। लेकिन घनश्याम के रिश्तेदारों और अन्य गांववाले ने इसके लिए खान को दोषी ठहराया। उन्होंने आरोप लगाया कि अख्तर खान ने कुछ कुत्तों पर गोलीबारी की थी जो मुर्गियों पर हमला कर चुके थे। उन्होंने दावा किया कि खान दो कुत्तों पहले गोली से मार चुका है। उसने गाय को गोली मारी, उन्होंने कहा कि उनके पास एक प्रत्यक्षदर्शी भी है।
आरोप- प्रत्यारोपों के बीच पुलिस ने गाय की चोट की प्रकृति जानने के लिए उसे भोपाल ले जाकर एक्स-रे करने का निर्णय लिया। 5 मई को गाय को घनश्याम और उनके भतीजे सुनील और एक पुलिसकर्मी को भोपाल ले जाया गया। पशुचिकित्सा भोपाल के उप निदेशक डॉ पी एस पटेल ने कहा, " यह तो पहले दिन ही एक्सरे से पता चल गया था कि गाय पर गोली से चोट नहीं लगी थी।
चूंकि गाय का अस्पताल में इलाज चल रहा था इसलिए घनश्याम और सुनील भी भोपाल में रह रहे थे। फिर, 8 मई को घनश्याम अस्पताल के अंदर मृत पाया गया। कहा गया कि उसने कथित तौर पर खुद को फांसी लगाई थी।
इस घटना के कुछ घंटे बाद घनश्याम के भतीजे सुनील ने आरोप लगाया कि खान के कुछ रिश्तेदार भोपाल में घनश्याम से मिले थे और उन्हें धमकी दी थी। सुनील ने दावा किया कि उन्होंने केस वापस लेने के लिए घनश्याम को पैसे की पेशकश की। सुनील की शिकायत के आधार पर पुलिस ने खान और पांच अन्य लोगों -समद खान, सलीम खान, भूरा खान, अब्दुल हसन (सभी खान के रिश्तेदार) के खिलाफ मामला दर्ज किया।
इसके कुछ घंटों बाद जब घनश्याम के शव को गांव लाया जा रहा था, सुनील ने आरोप लगाया कि छह लोगों ने रात में अस्पताल में प्रवेश किया था। जिनमे से एक ने उसके सिर पर बंदूक रखी थी। जबकि अन्य घनश्याम को अलग ले गए और उसके अगली सुबह घनश्याम मृत पाया गया।
छह आरोपियों में से तीन- खान, समद और भूरा ने गुरुवार को पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया, जिन्हे हिरासत में लिया गया। इस घटना ने गांव में सांप्रदायिक तनाव पैदा कर दिया। हिंदुओं ने पुलिस पर आरोप लगाया है कि आरोपियों को बचाया जा रहा है। उनका आरोप है कि छह पुलिस अधिकारियों को इस मामले में दूर रखा गया है।
घनश्याम की पत्नी राधा का कहना है कि "मेरे पति ऐसा कुछ नहीं कर सकते हैं। उसने आरोप लगाया, पुलिस पहले गाय को भोपाल ले गई और साथ में उनके पति को साथ ले जाने को मजबूर किया। पुलिस ने कहा था कि वह वहां उन्हें कुछ नहीं होने देंगे। पहले गाय को गोली मार दी गई और बाद में मेरे पति की अस्पताल में हत्या की गई। घनश्याम की पत्नी राधा ने इस बात को पूरी तरह ख़ारिज कर दिया कि उसके पति ने आत्महत्या की। राधा ने सवाल किया कि उसका पति आत्महत्या क्यों करेगा।
घनश्याम के पास तीन बीघा जमीन थी, वह मजदूरी करता था। राधा ने कहा, ''उसके पति चाहते थे गाय जल्दी से जल्दी ठीक हो जाये। वह पैसे लेकर समझौता नहीं करना चाहते थे। राधा का कहना है कि घनश्याम ने उसे फोन किया था और कहा कि अगर किसी को भोपाल उसकी जगह भेजा जाए तो वह गांव लौट सकते हैं''।
वहीँ घनश्याम के भतीजे सुनील का कहना है कि "मैं उस व्यक्ति की पहचान नहीं कर सकता जिसने मेरे मेरे सिर पर बन्दूक रखी थी। मैं बहुत डर गया था। उन्होंने मुझे धमकी दी थी कि वह किसी को नहीं बताएगा कि मैंने उनको देखा था। वह इस मामले को वापस लेने के लिए ऐसा कर रहे थे। सुनील का कहना है कि उसने पुलिस के सामने ये सारी जानकारी नहीं दी क्योंकि अपनी जान की चिंता थी।
हालांकि गांव के मुसलमानों ने आरोप लगाया कि सुनील को हिंदू संगठनों द्वारा ऐसा सिखाया जा रहा है। उसके कहने पर ही 8 मई को घनश्याम का अंतिम संस्कार करने से इंकार कर दिया गया था। प्राथमिक माध्यमिक विद्यालय के हेडमास्टर अब्दुल हसन जो खुद इस मामले में एक अभियुक्त है, का कहना है कि "हम एक सरकारी अस्पताल जाकर किसी को क्यों मारेंगे, जहाँ सीसीटीवी कैमरे हैं। अब्दुल हसन का कहना है कि हमारे कॉल रिकॉर्ड्स साबित करेंगे कि हम उस दिन भोपाल में नहीं थे। रिपोर्ट के अनुसार अस्पताल में सीसीटीवी कैमरा है लेकिन रिकॉर्डिंग सिस्टम काम नहीं कर रहा है।
56 साल के हसन ने दावा किया कि ''घनश्याम से वादा किया गया था कि यदि यह साबित हो गया कि उसकी गाय को गोली लगी थी तो उसे दो लाख रूपये दिए जायेंगे, लेकिन अस्पताल के डॉक्टरों ने जब यह साबित कर दिया कि गाय का घाव गोली से नहीं हुआ था तो उसने उम्मीद खो दी। जो उसकी आत्महत्या का कारण हो सकती है। हसन का कहना है कि इसके पीछे कुछ बड़ी साजिश हो सकती है''।
एक और ग्रामीण खलील खान ने आरोप लगाया कि ''अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ नाराजगी है क्योंकि वे अच्छा कर रहे थे। गांव में सरपंच और पंचायत सचिव दोनों मुसलमान हैं''। पिपरी पुलिस स्टेशन के एएसआई अवधीश गौड़ ने बताया, "मैंने गांव का एक बार भी दौरा नहीं किया है क्योंकि ग्रामीणों ने पुलिस पर मुसलमानों से पैसा लेने और उन्हें समर्थन देने का आरोप लगाया है।"
इस बीच, भोपाल के अस्पताल को यह नहीं पता कि गाय के साथ क्या करना है "हमें यह पता नहीं है कि गाय के साथ क्या करना है क्योंकि इसकी पैर टूट गई है और इसमें सप्ताह लगेंगे। वह प्रशासन से कहेंगे कि गाय को वापस ले जाय जाये।