लखनऊ : समाजवादी पार्टी की सरकार के चहेते नवरत्नों में से एक कहे जाने वाले आईएएस अफसर पंधारी यादव समेत दो दर्जन से अधिक सत्ता के गलियारे में पहुँच रखने वाले अफसरों को बचाये जाने के लिए सीएम अखिलेश यादव ने मनरेगा योजना में हुए अरबों रुपये के घोटाले की जांच सीबीआई से कराने के लिए अभियोजन की अनुमति नहीं दी. जिसके चलते इस बड़े महाघोटाले में शामिल जिन आईएएस- पीसीएस अफसरों को जेल की सलाखों के पीछे होना चाहिए था. वो मौज काट रहे हैं. यहां तककि इन दोषी अफसरों को जहां सजा मिलनी चाहिए थी, उन्हें सजा तो देना दूर बल्कि राज्य सरकार ने उन्हें नियमो को ताक पर रखकर प्रोन्नति का ताज उलटे पहना दिया. फिलहाल केंद्रीय रोजगार गारंटी परिषद् के पूर्व सदस्य और कांग्रेसी नेता संजय दीक्षित ने इस बाबत यूपी के नए सीएम योगी आदित्य नाथ को बुधवार को चिट्ठी लिखकर उनसे सीबीआई को अभियोजन की अनुमति प्रदान किये जाने की मांग की है.
मनरेगा घोटाले को लेकर कांग्रेसी नेता ने सीएम योगी को लिखी चिट्ठी
सीएम योगी को लिखी गयी चिट्ठी में कांग्रेसी नेता संजय दीक्षित ने कहा है कि यह महायोजना यूपी के ग्रमीण अंचलों में लघु और सीमान्त किसान मजदूरों के लिए वरदान साबित हो सकती थी. लेकिन यह योजना सूबे के भ्रष्ट नेताओं और ठेकेदारों की सांठगांठ के चलते भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गयी. जिसके चलते परिषद् के सदस्य होने के नाते जब मैंने इस मामले की जांच शुरू की तो इस केंद्रीय रोजगार गारंटी योजना का असली सच उनके सामने आया. जिसमें 2009 - 2010 और 2011 में किये गए घोटाले उनके सामने आये. इसके साथ ही सीएम योगी को लिखी गयी चिट्ठी में कांग्रेसी नेता ने ये भी कहा है की जब उन्होंने इस मामले में सख्ती बरती तो सूबे की तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने आनन - फानन में आकर मामले को दबाये जाने के लिए ब्लॉक और जिला स्तर के तक़रीबन तीन दर्जन अधिकारियों और कर्मचारियों को निलंबित कर रिकबरी भी की.
सीबीआई को जांच के लिए अखिलेश ने अभियोजन की अनुमति क्यों नहीं दी ?
लेकिन इस घोटाले के दोषी तकरीबन दो दर्जन अधिक आईएएस और पीसीएस अफसरों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की. इसके चलते एक पीआईएल पर हाईकोर्ट ने इस घोटाले पर सुनवाई करते हुए सीबीआई की जांच के आदेश दिए. बताया जाता है कि 5 हजार करोड़ रुपये के इस घोटाले में शामिल प्रशासनिक सेवा के अफसर शासन में उच्च पदों पर तैनात हैं. बहनजी कि सरकार के बाद जब सपा कि सरकार उत्तर प्रदेश में बनी तो उसने भी इन अफसरों की जांच के लिए सीबीआई को अभियोजन की अनुमति नहीं दी. और तो और इस घोटाले के महानायक पंधारी यादव को सीएम अखिलेश यादव ने अपने चहेते इस अफसर को पंचम तल पर बैठाकर आवास और शहरी नियोजन विभाग का महत्वपूर्ण काम थमा दिया.
अब तक हो चुकी है इनके खिलाफ कार्यवाही
इस महाघोटाले में शामिल रहे अफसरों में से आईएएस अफसर राज बहादुर का नाम जैसे ही उजागर हुआ. तो घबराये आईएएस की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गयी. यही नहीं इस घोटाले में इसके अलावा जयराम लाल वर्मा, हरनारायण, लाल सिंह, आदित्य कुमार, राजेश कुरील निलंबित किये गए. कहने का मतलब महोबा के बीडीओ कार्यालय के ऊपर से लेकर नीचे तक तैनात स्टाफ निलंबित कर दिया गया. इसी तरह सुल्तानपुर में तत्कालीन डीएम आरके सिंह, बी राम, छोटे लाल कुरील और मनोज कुमार को निलंबित किये गए. इसी तरह बलरामपुर और चित्रकूट में भी कार्रवाई की गयी, जिसमें अमरेश नन्दन, भगवती प्रसाद और ब्रज किशोर लाल शामिल थे. इसी तरह चित्रकूट में ह्रदेश कुमार, प्रमोद चंद्र श्रीवास्तव, राम किशुन और मुन्नू लाल, अतुल कान्त खरे और गया प्रसाद सिंह को निलंबित किया गया. प्रमुख सचिव श्रीकृष्ण के आदेश पर की गयी इस निलंबन की कार्रवाई के बाद शासन स्तर पर योजना की गाइड लाइन को सुनिश्चित करने के भी निर्देश भी दिए गए. 69 अधिकारी और कर्मचारी अभी बचे हैं कार्यवाही से यही नहीं 118 लोगों के खिलाफ एफआरआई भी दर्ज कराने के निर्देश जारी किये गए. इतना ही नहीं कुल 42 अधिकारियों और कर्मचारियों को निलंबित करने के साथ ही 69 अन्य अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ भी कार्यवाही किये जाने के आदेश दिए गए थे. बहरहाल सूबे में हजारों करोड़ रुपये के हुए इस घोटाले में शामिल बसपा और सपा सरकार ने प्रदेश के दो दर्जन से अधिक नौकरशाहों को बचने में कोई कसर नहीं छोड़ी. यहां तक कि सीबीआई से जांच हो इसके लिए सीएम अखिलेश ने अभियोजन कि अनुमति तक प्रदान नहीं की. फिलहाल कांग्रेसी नेता संजय दीक्षित की इस चिट्ठी पर अब पंद्रह साल बाद लौटकर सत्ता में आयी बीजेपी सरकार क्या कदम उठाएगी ये तो वक्त ही बताएगा.