नई दिल्ली : लालकिले से प्रधानमंत्री ने यह जिक्र किया कि अब जाकर आज़ादी के 70 साल बाद उन्होंने यूपी के नगला फटेला गांव में बिजली पहुंचाई है। उसके बादग्रामीण भारत और बिजली की चर्चा जोर पकड़ने लगी है। अगले दिन देश के दो बड़े अख़बारों ने रिपोर्ट किया कि इस गांव में खम्बे तो कई साल पहले लग गए लेकिन बिजली अभी तक नहीं पहुंची। जबकि इस गांव को राज्य सरकार ने साल 2015 में विधुतीकरण घोषित कर दिया था। मार्च 2016 में जब इस गांव का GARs टीम ने दौरा किया तो उन्हें बताया गया कि 80 प्रतिशत लोगों के घरों में बिजली आ रही है। जबकि सच्चाई यह है कि वहाँ सिर्फ कुछ मीटर वाले कनेक्शन थे और अधिकारियों को घूस देकर अवैध तरीके से बिजली जल रही थी।
कितनी बिजली खर्च करता है देश
भारत अधिक आबादी के बाद भी बिजली खर्च करने में बेहद पीछे है। भारत में बिजली का पर-कैपिटा कंजम्प्शन 1000 यूनिट्स है। जबकि चीन का 5000 यूनिट और अमेरिका और ब्रिटेन जैसे विकसित देशों की पर-कैपिटा बिजली खपत 10000 से लेकर 15000 यूनिट है। भारत की वर्तमान में बिजली उत्पादन की क्षमता 3 लाख मेगावाट की है जबकि हम रोज 1178 बिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन कर रहे हैं।
कांग्रेस ने पहुंचाई रिकॉर्ड बिजली
ग्रामीण भारत में बिजली पहुंचाने की योजना साल 2005 में 'राजीव गांधी ग्राम विद्युत योजना' के नाम से कांग्रेस सरकार ने शुरू की थी। इसका तरीका यह था कि राज्य ऐसे गांवों की सूची बनाएगा जहाँ बिजली नहीं पहुंची है और इसकी अनुमानित लागत बनाकर केंद्र को देगा। उसके बाद केंद्र इन राज्यों के लिए बिजली पहुंचाने के लिए फंड देता था। इस योजना को पावर मिनिस्ट्री की रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कारपोरेशन (REC) देखती थी। एक रिपोर्ट के अनुसार गांवों में बिजली पहुंचाने का सबसे अच्छा रिकॉर्ड यूपीए सरकार के नाम रहा जिसने साल 2006 से 2007 के बीच 28000 गांवों का विधुतीकरण किया। मार्च 2014 तक देश में एक लाख गांवों का विधुतीकरण हो चुका था।
बीजेपी ने ये किया
साल 2014 में जब NDA सत्ता में आयी तो 26 जनवरी 2015 प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लाल किले से घोषणा की कि 1000 दिन में उनकी सरकार 18000 गांवों में बिजली पहुंचाएगी। सरकार ने इस योजना का नाम बदलकर दीन दयाल ग्राम ज्योति योजना (DDGUJY) रख दिया। इसकी वेबसाइट और मोबाइल एप 'GARs' लॉन्च किया और इस काम में 1000 इंजीनियर्स और विद्युत अभियंताओं को लगाया।