देहरादून: मैग्सेसे पुरुस्कार विजेता और इंडियान फॉरेस्ट सर्विस के चर्चित अधिकारी संजीव चतुर्वेदी ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री का OSD बनने से इनक़ार कर दिया है। ईमानदार छवि वाले संजीव चतुर्वेदी केन्द्रिय स्वास्थय मंत्री जेपी नड्डा से झगड़े के बाद उत्तरखंड कार्डर में स्थानांत्रित कर दिये गए थे। सूत्रों के मुताबिक़ संजीव के मोदी सरकार विरोधी मूड को भुनाने के लिए मुख्यमंत्री हरीश रावत ने उन्हें आनन-फ़ानन में अपना ओएसडी बनाने का फ़ैसला कर लिया।
अधिकारी ने किया CM का OSD बनने से इनक़ार
मुख्यमंत्री के आदेश पर संजीव चतुर्वेदी की OSD पर नियुक्ति के आदेश चीफ सेकरेट्री एस रामास्वामी को पहुंच गए थे। सूत्रों के मुताबिक़ जब चीफ सेकरेट्री ने संजीव चतुर्वेदी को सीएम के ओएसडी बनाने की जानकारी दी तो उन्हें पता लगा कि चतुर्वेदी इस कुर्सी पर बैठना ही नहीं चाहते। फ़िलहाल संजीव चतुर्वेदी की नियुक्ति अभी भई नहीं हो पाई है। ऐसा कहा जा रहा है कि संजीव चतुर्वेदी उत्तराखंड में जंगल माफियाओं के ख़िलाफ जंग छेड़ना चाहते हैं और ऐसी कुर्सी पर बैठना चाहते हैं जिससे वह लूट खोरों और भ्रष्टाचारियों से दो दो हांथ कर सकें।चुनाव के मौसम के चलते सीएम हरीश रावत अभी यह रिस्क लेने को तैयार नहीं है उन्हें डर है कि कहीं ऐसा न हो कि यह अफ़सर उन्ही के किसी मंत्री के ख़िलाफ़ कोई मोर्चा खोल दे।
मोदी कैबिनेट ने खारिज किया प्रस्ताव
ग़ौरतलब है कि संजीव चतुर्वेदी उत्तराखंड कैडर के 2002 बैच के भारतीय वन सेवा (आईएफएस) अधिकारी हैं और बीते तीन महीनों से अधिक समय से वह अपनी नियुक्ति का इंतज़ार कर रहे हैं। दरअसर पिछले साल उन्होंने दिल्ली सरकार में इंटर कैडर डेप्युटेशन की मांग की थी। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई वाली कैबिनेट समिति ने दिल्ली के सीएम के ओएसडी के तौर पर उनकी नियुक्ति का प्रस्ताव खारिज कर दिया था।
अफ़सर से घबराते क्यों हैं मंत्री
दरअसल संजीव चतुर्वेदी एम्स के चीफ विजिलेंस ऑफिसर के पद पर तैनात रहे हैं उनको पद से हटाए जाने और उनसे काम वापस लिए जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस भी जारी किया था. संजीव 2012 में केंद्र सरकार में डेप्युटेशन पर आए और एम्स में सीवीओ के पद पर उनकी तैनाती हुई. एम्स में भ्रष्टाचार के कई मामलों को उजागर करने के लिए चतुर्वेदी तुरंत चर्चा में आ गए, लेकिन अगस्त 2014 में स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने उन्हें सीवीओ के पद से हटा दिया जिसे लेकर काफी विवाद हुआ. उसके बाद नवंबर 2014 में जब बीजेपी नेता जेपी नड्डा स्वास्थ्य मंत्री बने को चतुर्वेदी से सभी काम वापस ले लिया गया. जिसको लेकर चतुर्वेदी ने केंद्रीय प्रशासनिक ट्रिब्यूनल में गुहार भी लगाई थी कि उन्हें काम नहीं दिया जा रहा. ट्रिब्यूनल ने बहुमत से उनके केस को यह कहकर खारिज कर दिया था कि काम देना या न देना सरकार का विशेषाधिकार है. उसके बाद हाइकोर्ट ने भी चतुर्वेदी की याचिका खारिज कर दी थी. चतुर्वेदी इस बीच अपने मूल काडर उत्तराखंड वापस चले गए थे।