नई दिल्ली: हरियाणा में सरकारी स्कूलो में पढ़ाई की हालत खस्ता होती जा रही है। राज्यशैक्षिक अनुसंधान प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) की रिपोर्ट में कुछ चौकाने वाले खुलासे हुए हैं। हरियाणा सरकार ने 3 साल में शिक्षा पर 1,921 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। फिर भी 17 जिलों में 50 फीसदी बच्चे 50% अंक भी नहीं ले पा रहे।
सरकारी स्कूलों मे शिक्षकों की कमी
हरियाणा में सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी भी है। पिछले चार साल में सरकार भर्ती पूरी नहीं कर पाई है। जो भर्तियां हुईं हैं उन पर विवादों का साया रहा है। 12 हजार से ज्यादा जेबीटी चयन के बावजूद भी शिक्षक नियुक्ति के लिए भटक रहे हैं। प्रदेश में राज्य सरकार और सर्व शिक्षा अभियान के तहत स्वीकृत प्राइमरी शिक्षकों के 70,090 पदों पर केवल 58,159 ही कार्यरत है। शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव पीके दास भी मानते हैं कि स्कूलों में शिक्षकों के कुल मिलाकर 40 हजार पद खाली पड़े हैं।
एससीईआरटी की ओर से सितंबर, 2016 में कक्षा एक से आठ तक के किए गए अर्द्ध वार्षिक मूल्यांकन की तुलना यदि 2015 के समकालीन आंकड़ों से की जाए तो सिर्फ 7 फीसदी परफॉर्मेंस सुधरी है। बता दें कि एससीईआरटी की ओर से प्रदेश के 14,094 स्कूलों के 17 लाख 61 हजार 41 बच्चों की ओर से दी गई अर्द्ध वार्षिक परीक्षा में आए नंबरों का आंकलन किया गया है।
एससीईआरटी ने अपनी रिपोर्ट में उन जिलों को सबसे बुरी स्थिति में रखा है, जिनमें 40 फीसदी या इससे कम बच्चे ही 50 फीसदी से अधिक अंक ले पाए हैं। इनमें मुख्यमंत्री का निर्वाचन जिला करनाल भी शामिल है। इसके अलावा अलावा कुरुक्षेत्र, पंचकूला, यमुनानगर और मेवात भी इसी श्रेणी में शामिल है। हालांकि यहां पिछले साल की अपेक्षा 6 से 9 फीसदी तक सुधार हुआ है, लेकिन पहले ही खराब स्थिति में चल रहे इन जिलों के 31 से 40 फीसदी बच्चे ही 50 फीसदी या इससे अधिक अंक हासिल कर पाए।
50 फीसदी या इससे अधिक अंक हासिल कर पाए।
जिला 2016 में 2015 में
सोनीपत 61 51
महेंद्रगढ़ 54 50
गुड़गांव 53 46
झज्जर 53 47
रेवाड़ी 51 45
रोहतक 49 42
भिवानी 45 40
पानीपत 45 36
फरीदाबाद 44 36
जींद 43 37
हिसार 43 35
कैथल 42 34
सिरसा 41 33
अम्बाला 41 38
फतेहाबाद 41 33
पलवल 41 32
करनाल 40 34
कुरुक्षेत्र 40 33
पंचकूला 40 33
यमुनानगर 36 30
मेवात 31 22