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हाय अलीगढ़ / नागार्जुन

26 अप्रैल 2023

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हाय, अलीगढ़!
हाय, अलीगढ़!
बोल, बोल, तू ये कैसे दंगे हैं
हाय, अलीगढ़!
हाय, अलीगढ़!
शान्ति चाहते, सभी रहम के भिखमंगे हैं
सच बतलाऊँ?
मुझको तो लगता है, प्यारे,
हुए इकट्ठे इत्तिफ़ाक से, सारे हो नंगे हैं
सच बतलाऊँ?
तेरे उर के दुख-दरपन में
हुए उजागर
सब कोढ़ी-भिखमंगे हैं
फ़िकर पड़ी, बस, अपनी-अपनी
बड़े बोल हैं
ढमक ढोल हैं
पाँच स्वार्थ हैं पाँच दलों के
हदें न दिखतीं कुटिल चालाकी
ओर-छोर दिखते न छलों के
बत्तिस-चौंसठ मनसूबे हैं आठ दलों के

(रचनाकाल : 1978) 

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रचनाएँ
खिचड़ी विप्लव देखा हमने
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नागार्जुन के काव्य संग्रह खिचड़ी विप्लव देखा हमने का संकलन।
1

इन्दु जी क्या हुआ आपको / नागार्जुन

22 अप्रैल 2023
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क्या हुआ आपको? क्या हुआ आपको? सत्ता की मस्ती में भूल गई बाप को? इन्दु जी, इन्दु जी, क्या हुआ आपको? बेटे को तार दिया, बोर दिया बाप को! क्या हुआ आपको? क्या हुआ आपको? आपकी चाल-ढाल देख- देख लोग

2

लाइए,मैं चरण चूमूं आपके / नागार्जुन

22 अप्रैल 2023
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देवि, अब तो कटें बंधन पाप के लाइए, मैं चरण चूमूँ आपके जिद निभाई, डग बढ़ाए नाप के लाइए, मैं चरण चूमूँ आपके सौ नमूने बने इनकी छाप के लाइए, मैं चरण चूमूँ आपके किए पूरे सभी सपने बाप के लाइए,

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बाघिन / नागार्जुन

22 अप्रैल 2023
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लम्बी जिह्वा, मदमाते दृग झपक रहे हैं बूँद लहू के उन जबड़ों से टपक रहे हैं चबा चुकी है ताजे शिशुमुंडों को गिन-गिन गुर्राती है, टीले पर बैठी है बाघिन पकड़ो, पकड़ो, अपना ही मुँह आप न नोचे! पगलाई ह

4

फिसल रही चांदनी / नागार्जुन

22 अप्रैल 2023
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पीपल के पत्तों पर फिसल रही चाँदनी नालियों के भीगे हुए पेट पर, पास ही जम रही, घुल रही, पिघल रही चाँदनी पिछवाड़े बोतल के टुकड़ों पर-- चमक रही, दमक रही, मचल रही चाँदनी दूर उधर, बुर्जों पर उछल रही चा

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जाने, तुम कैसी डायन हो / नागार्जुन

22 अप्रैल 2023
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जाने, तुम कैसी डायन हो ! अपने ही वाहन को गुप-चुप लील गई हो ! शंका-कातर भक्तजनों के सौ-सौ मृदु उर छील गई हो ! क्या कसूर था बेचारे का ? नाम ललित था, काम ललित थे तन-मन-धन श्रद्धा-विगलित थे आह, तुम्

6

इस लेखे संसद-फंसद सब फिजूल है / नागार्जुन

22 अप्रैल 2023
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इसके लेखे संसद=फंसद सब फ़िजूल है इसके लेखे संविधान काग़ज़ी फूल है इसके लेखे सत्य-अंहिसा-क्षमा-शांति-करुणा-मानवता बूढ़ों की बकवास मात्र है इसके लेखे गांधी-नेहरू-तिलक आदि परिहास-पात्र हैं इसके लेख

7

सत्य / नागार्जुन

22 अप्रैल 2023
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सत्य को लकवा मार गया है वह लंबे काठ की तरह पड़ा रहता है सारा दिन, सारी रात वह फटी–फटी आँखों से टुकुर–टुकुर ताकता रहता है सारा दिन, सारी रात कोई भी सामने से आए–जाए सत्य की सूनी निगाहों में जरा भी

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अहिंसा / नागार्जुन

22 अप्रैल 2023
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105 साल की उम्र होगी उसकी जाने किस दुर्घटना में आधी-आधी कटी थीं बाँहें झुर्रियों भरा गन्दुमी सूरत का चेहरा धँसी-धँसी आँखें... राजघाट पर गाँधी समाधि के बाहर वह सबेरे-सबेरे नज़र आती है जाने कब कि

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चंदू, मैंने सपना देखा / नागार्जुन

22 अप्रैल 2023
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चंदू, मैंने सपना देखा, उछल रहे तुम ज्यों हिरनौटा चंदू, मैंने सपना देखा, अमुआ से हूँ पटना लौटा चंदू, मैंने सपना देखा, तुम्हें खोजते बद्री बाबू चंदू,मैंने सपना देखा, खेल-कूद में हो बेकाबू मैंने सप

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लालू साहू / नागार्जुन

22 अप्रैल 2023
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शोक विह्वल लालू साहू आपनी पत्नी की चिता में कूद गया लाख मना किया लोगों ने लाख-लाख मिन्नतें कीं अनुरोध किया लाख-लाख लालू ने एक न सुनी... 63 वर्षीय लालू 60 वर्षीया पत्नी की चिता में अपने को डालक

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हाथ लगे आज पहली बार / नागार्जुन

22 अप्रैल 2023
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हाथ लगे आज पहली बार तीन सर्कुलर, साइक्लोस्टाइलवाले UNA द्वारा प्रचारित पहली बार आज लगे हाथ अहसास हुआ पहली बार आज... गत वर्ष की प्रज्वलित अग्निशिखा जल रही है कहीं-न-कहीं, देश के किसी कोने में सु

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सुबह-सुबह / नागार्जुन

22 अप्रैल 2023
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सुबह-सुबह तालाब के दो फेरे लगाए सुबह-सुबह रात्रि शेष की भीगी दूबों पर नंगे पाँव चहलकदमी की सुबह-सुबह हाथ-पैर ठिठुरे, सुन्न हुए माघ की कड़ी सर्दी के मारे सुबह-सुबह अधसूखी पतइयों का कौड़ा

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वसन्त की अगवानी / नागार्जुन

22 अप्रैल 2023
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रंग-बिरंगी खिली-अधखिली किसिम-किसिम की गंधों-स्वादों वाली ये मंजरियाँ तरुण आम की डाल-डाल टहनी-टहनी पर झूम रही हैं... चूम रही हैं-- कुसुमाकर को! ऋतुओं के राजाधिराज को !! इनकी इठलाहट अर्पित है छुई-

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इन सलाखों से टिकाकर भाल / नागार्जुन

22 अप्रैल 2023
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इन सलाखों से टिकाकर भाल सोचता ही रहूँगा चिरकाल और भी तो पकेंगे कुछ बाल जाने किस की / जाने किस की और भी तो गलेगी कुछ दाल न टपकेगी कि उनकी राल चाँद पूछेगा न दिल का हाल सामने आकर करेगा वो न एक सवा

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फिसल रही चांदनी / नागार्जुन

22 अप्रैल 2023
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पीपल के पत्तों पर फिसल रही चाँदनी नालियों के भीगे हुए पेट पर, पास ही जम रही, घुल रही, पिघल रही चाँदनी पिछवाड़े बोतल के टुकड़ों पर-- चमक रही, दमक रही, मचल रही चाँदनी दूर उधर, बुर्जों पर उछल रही चा

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होते रहेंगे बहरे ये कान जाने कब तक / नागार्जुन

22 अप्रैल 2023
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होते रहेंगे बहरे ये कान जाने कब तक ताम-झाम वाले नकली मेघों की दहाड़ में अभी तो करुणामय हमदर्द बादल दूर, बहुत दूर, छिपे हैं ऊपर आड़ में यों ही गुजरेंगे हमेशा नहीं दिन बेहोशी में, खीझ में, घुटन म

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हरे-हरे नए-नए पात / नागार्जुन

26 अप्रैल 2023
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हरे-हरे नए-नए पात... पकड़ी ने ढक लिए अपने सब गात पोर-पोर, डाल-डाल पेट-पीठ और दायरा विशाल ऋतुपति ने कर लिए खूब आत्मसात हरे-हरे नए-नए पात ढक लिए अपने सब गात पकड़ी सयाना वो पेड़ कर रहा गुप-चुप ही

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तीस साल के बाद... / नागार्जुन

26 अप्रैल 2023
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शासक बदले, झंडा बदला, तीस साल के बाद नेहरू-शास्त्री और इन्दिरा हमें रहेंगे याद जनता बदली, नेता बदले तीस साल के बाद बदला समर, विजेता बदले तीस साल के बाद कोटि-कोटि मतपत्र बन गए जादू वाले बाण मू

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तुनुक मिजाजी नही चलेगी / नागार्जुन

26 अप्रैल 2023
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तुनुक मिजाजी नहीं चलेगी नहीं चलेगा जी यह नाटक सुन लो जी भाई मुरार जी बन्द करो अब अपने त्राटक तुम पर बोझ न होगी जनता ख़ुद अपने दुख-दैन्य हरेगी हां, हां, तुम बूढी मशीन हो जनता तुमको ठीक करेगी

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नए सिरे से / नागार्जुन

26 अप्रैल 2023
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नए सिरे से घिरे-घिरे से हमने झेले तानाशाही के वे हमले आगे भी झेलें हम शायद तानाशाही के वे हमले... नए सिरे से घिरे-घिरे से "बदल-बदल कर चखा करे तू दुख-दर्दों का स्वाद" "शुद्ध स्वदेशी तानाशाही आए

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धोखे में डाल सकते हैं / नागार्जुन

26 अप्रैल 2023
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हम कुछ नहीं हैं कुछ नहीं हैं हम हाँ, हम ढोंगी हैं प्रथम श्रेणी के आत्मवंचक... पर-प्रतारक... बगुला-धर्मी यानी धोखेबाज़ जी हाँ, हम धोखेबाज़ हैं जी हाँ, हम ठग हैं... झुट्ठे हैं न अहिंसा में हमारा

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ख़ूब सज रहे / नागार्जुन

26 अप्रैल 2023
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ख़ूब सज रहे आगे-आगे पंडे सरों पर लिए गैस के हंडे बड़े-बड़े रथ, बड़ी गाड़ियाँ, बड़े-बड़े हैं झंडे बाँहों में ताबीज़ें चमकीं, चमके काले गंडे सौ-सौ ग्राम वज़न है, कछुओं ने डाले हैं अण्डे बढ़े आ रहे,

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हाय अलीगढ़ / नागार्जुन

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हाय, अलीगढ़! हाय, अलीगढ़! बोल, बोल, तू ये कैसे दंगे हैं हाय, अलीगढ़! हाय, अलीगढ़! शान्ति चाहते, सभी रहम के भिखमंगे हैं सच बतलाऊँ? मुझको तो लगता है, प्यारे, हुए इकट्ठे इत्तिफ़ाक से, सारे हो नंग

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देवरस-दानवरस / नागार्जुन

26 अप्रैल 2023
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देवरस-दानवरस पी लेगा मानव रस होंगे सब विकृत-विरस क्या षटरस, क्या नवरस होंगे सब विजित-विवश क्या तो तीव्र क्या तो ठस देवरस- दानवरस पी लेगा मानव रस सर्वग्रास-सर्वत्रास होगा अब इतिहास फैलाएगा

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हरिजन गाथा / नागार्जुन

26 अप्रैल 2023
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(एक) ऐसा तो कभी नहीं हुआ था ! महसूस करने लगीं वे एक अनोखी बेचैनी एक अपूर्व आकुलता उनकी गर्भकुक्षियों के अन्दर बार-बार उठने लगी टीसें लगाने लगे दौड़ उनके भ्रूण अंदर ही अंदर ऐसा तो कभी नहीं ह

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तीस साल के बाद... / नागार्जुन

26 अप्रैल 2023
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शासक बदले, झंडा बदला, तीस साल के बाद नेहरू-शास्त्री और इन्दिरा हमें रहेंगे याद जनता बदली, नेता बदले तीस साल के बाद बदला समर, विजेता बदले तीस साल के बाद कोटि-कोटि मतपत्र बन गए जादू वाले बाण मू

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