शासक बदले, झंडा बदला, तीस साल के बाद
नेहरू-शास्त्री और इन्दिरा हमें रहेंगे याद
जनता बदली, नेता बदले तीस साल के बाद
बदला समर, विजेता बदले तीस साल के बाद
कोटि-कोटि मतपत्र बन गए जादू वाले बाण
मूर्छित भारत-माँ के तन में वापस आए प्राण
प्रभुता की पीनक में नेहरू पुत्री थी बदहोश
जन गण मन में दबा पड़ा था बहुत-बहुत आक्रोश
नसबन्दी के ज़ोर-जुलुम से मचा बहुत कोहराम
किया सभी ने उस शासन को अन्तिम बार सलाम
(१९७७)