
नई दिल्लीः हाई कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को रद करते हए एक इतिहासिक फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने कहा है कि महिला के ससुराल का घर छोड़कर चले जाने को तलाक का आधार नहीं माना जा सकता। खंडपीठ ने कहा कि ऐसा भी हो सकता है कि अपने जीवन साथी के कड़वे व्यवहार ने उसे घर छोड़ने के लिए मजबूर किया हो।
न्यायमूर्ति प्रदीप नन्दराजोग और योगेश खन्ना की खंडपीठ ने कहा कि पेश मामले में पति ने ही पत्नी को अकेला छोड़ दिया था, जिसके कारण महिला को अलग होना पड़ा। आज भी महिला गुजारा भत्ते के लिए अदालतों के चक्कर लगा रही है। अदालत ने कहा कि पत्नी के पास पर्याप्त कारण उपलब्ध हैं जिनके आधार पर वह पति से अलग रहने की हकदार है। खंडपीठ ने कहा कि फैमिली कोर्ट ने फैसला सुनाते वक्त तथ्यों को गलत तरीके से समझा है।
महिला भले ही अपने पति से अगल रह रही हो, लेकिन उसने कभी अपने पति से संबंधों को हमेशा के लिए खत्म किए जाने की इच्छा नहीं जताई। घर छोड़ने के पीछे बहुत सी परिस्थितियां व अन्य कारण भी हो सकते हैं। केवल पहले घर छोड़ने पर ही पति तलाक का हकदार नहीं है।