नई दिल्लीः हाईकोर्ट के जजों के लंबित ट्रांसफर को लेकर सुप्रीम कोर्ट और केंद्र सरकार आमने-सामने हैं। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र के रवैये पर नाराजगी जाहिर करते हुए तीन हफ्ते में स्पष्टीकरण मांगा है। कोर्ट ने कहा कि अटॉर्नी जनरल बताएं ि कोर्ट के आदेश के बाद भी हाई कोर्ट के जजों के ट्रांसफर आदेश क्यों नहीं जारी हुए।
साल भर से लंबित है ट्रांसफर केस
मुख्य न्यायधीश टीएस ठाकुर ने कहा कि ट्रांसफर केस लगभग एक साल से लंबित चल रहा है। इसलिए सरकार को जवाब देना चाहिए। अगर सरकार को कोई परेशानी है तो वह फाइलें वापस भेजे। मामले को लटकाकर देरी लगाना गलत है। गौरतलब है कि जस्टिस केएम जोजफ को उतराखंड से तेलंगाना, जस्टिस एमआर शाह को गुजरात से मध्य प्रदेश, जस्टिस मुखर्जी को कर्नाटक से उतराखंड और जस्टिस बाल्मिकी मेहता को दिल्ली से मद्रास हाईकोर्ट में ट्रांसफर करने के लिए कोलेजियम ने केंद्र को सिफारिशें भेजी थीं जो फरवरी से अभी तक लंबित हैं. वहीं गुजरात के वकील यतिन ओझा ने कोर्ट में कहा कि गुजरात में हालात खराब हैं और हाईकोर्ट के जज के ट्रांसफर की फाइल पिछले साल फरवरी से लंबित है। इससे पहले 18 नवंबर को सुनवाई में हाई कोर्ट जजों की नियुक्ति के मामले में सुप्रीम कोर्ट और केंद्र सरकार के बीच तकरार और बढ़ गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को हाईकोर्ट के जजों की नियुक्ति के लिए 43 प्रत्याशियों को नियुक्ति देने के आदेश दिए थे और कहा था कि तीन हफ्ते में केंद्र नियुक्ति दे. कोर्ट ने केंद्र की इन लोगों की नियुक्ति पर विचार करने की दलील खारिज कर दी गई थी. केंद्र ने इस सूची को वापस भेजा था.