देहरादून: देवभूमि उत्तराखण्ड में सत्ता में आते ही NH 74 ज़मीन मुआवजा घोटाले पर सीएम त्रिवेंद्र ने तत्काल कार्रवाई करते हुए 7 बड़े अधिकारियों को सस्पेंड कर अपने एक्शन मोड का परिचय दिया था। लेकिन अब इसी कड़ी में नौ और कर्मचारियों को निलंबित किया गया है। ज़िलाधिकारी नीरज खैरवाल ने कुमांऊ कमिश्नर सैंथिल पांडियन की अनुमति मिलने के बाद ये एक्शन लिया गया। इंडिया संवाद ने इस ख़बर को प्रमुखता के साथ बताया था और इसके बाद मामले से जुड़ी फाईल के गायब होने की बात भी बताई थी, लेकिन आज टीएसआर ने जिस तरह से तत्काल कार्रवाई करते हुये बड़े अधिकारियों को सस्पेंड किया उससे उनकी मंशा बेहद साफ नज़र आने लगी कि भ्रष्टाचार किसी भी क़ीमत पर बर्दाशत नहीं किया जाएगा।
सस्पेंड होने वालों में तीन राजिस्ट्रार-कानूनगो, दो पेशकार, एक राजस्व निरीक्षक, दो राजस्व अहलमद और एक संग्रह अमीन है। साथ ही चार संविदा पर तैनात डाटा एंट्री ऑपरेटरों की सेवा समाप्त कर दी गई है जबकि 3 रिटायर्ड अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। गौर हो कि इस घोटाले को लेकर जनता के सामने आए सीएम त्रिवेंद्र ने बताया था कि साल 2011 से लेकर 2016 तक जिस कृषि भूमि को सरकार ने अधिग्रहण किया है उसमें लगभग 240 करोड़ रुपये का राज्य को घाटा हुआ है। इंडिया संवाद के रिपोर्टर सुनील रावत ने इस ख़बर की न केवल पड़ताल की बल्कि लगातार ख़बर से जुड़ी प्रमाणिक जानकारी आप तक पहुंचाने का काम किया। हालांकि आने वाले वक़्त में कुछ और बड़े अधिकारियों का नपना तय माना जा रहा है और इस ख़बर पर इंडिया संवाद आपको पल पल की जानकारी देगा।
सीएम टीआरएस ने कहा बताया कि इस मामले में कई तहसीलों से लेकर रजिस्ट्रार स्तर और उपजिलाधिकारी स्तर के अधिकारी शामिल हैं। इसके साथ ही कई ऐसे भी विभाग हैं जो राज्य सरकार के अधीन नहीं आते हैं इसलिए इस मामले की जांच सरकार सीबीआई से कराने जा रही है। सीएम त्रिवेंद्र ने कहा है कि हम चाहते है कि अंतिम दोषी तक सीबीआई पहुंचे। फिर चाहे इसमें कोई राजनेता हो या बड़ा अधिकारी। कार्यवाई के वक़्त अपना पराया नहीं देखा जाएगा।
कैसे हुआ घोटाला
एनएच -74 में हुए इस घोटाले में ऊधमसिंह नगर से गुजरने वाले नेशनल हाईवे-74 के चौड़ीकरण के लिए किए गए भूमि अधिग्रहण में बड़ा घोटाला पकड़ा था। कुछ दलालों से मिलीभगत कर चौड़ीकरण के लिए आवश्यक कृषि भूमि को खरीदा गया और उसे व्यावसायिक भूमि दिखाकर घोटाला किया था।
इसके बाद कागजों में हेरफेर करके गैर कृषि में परिवर्तित करके करीब आठ से दस गुना ज्यादा मुआवजा ले लिया। कमिश्नर ने इस मामले की प्राथमिक जांच की तो पता चला कि वर्ष 2011 से 2014 के बीच यहां तैनात रहे करीब दस अधिकारियों ने इस घपले को अंजाम दिया।
इंडिया संवाद ने बताई फाईलों के गायब होने की बात
नेशनल हाईवे 74 के भूमि अधिग्रहण घोटाला तकरीबन 300 करोड़ से ज्यादा का है। कुमाऊं कमिश्नर डी. सेंथिल पांडियन की ओर से शासन को सौंपी गई तथ्यात्मक रिपोर्ट में यह बात साफ हुई थी। जिसको इंडिया संवाद ने बेहद प्रमुखता के साथ दिखाया था।