नई दिल्लीः यूपी में मायावती के शासनकाल में 2010-11 में 21 चीनी मिलों को कौड़ियों के भाव नीलाम किए जाने की जांच होगी। जरूरत पड़ने पर सीबीआई जांच भी कराई जा सकती है। गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग विभाग की बैठक के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने चीनी मिल घोटाले की जांच की बात कही। कैग ने बसपा राज में गलत तरीके से मिल सौदे से करीब 11 सौ करोड़ रुपये राजस्व के नुकसान की बात कही थी। इस मामले में बीते 29 मार्च को इंडिया संवाद ने खबर प्रकाशित की थी। शीर्षक था-योगी जी ! 'मायाराज' में नमक के भाव पोंटी चड्ढा को बेची चीनी मिलों का क्या होगा ?। बता दें कि इससे पहले इंडिया संवाद ने यूपीपीसीएल में निजी कंपनियों से बिजली खरीद में घपले का खुलासा किया था तो योगी आदित्यनाथ ने रिटायरमेंट के बाद भी विभाग में जमे एमडी एपी मिश्रा की फाइल तलब कर ली थी। कार्रवाई की डर से भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे एपी मिश्रा ने इस्तीफा दे दिया था। इस प्रकार यह दूसरा मौका है, जब यूपी की नई सरकार ने इंडिया संवाद की खबर को सं ज्ञान में लेकर कार्रवाई की है।
यही खबर बीते 29 मार्च को इंडिया संवाद ने प्रकाशित की थी, जिसे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संज्ञान में लिया
नई दिल्लीः
सहारनपुर में 300 बीघे में फैली जिस लार्ड कृष्णा चीनी मिल की औकात करीब 12 सौ करोड़ की थी, उसे बसपा मायावती ने महज 31 करोड़ 62 लाख रुपये में नीलाम किया। बुलंदशहर में 400 बीघे की सहकारी शुगर मिल को महज 29 करोड़ में बेंच दिया। इसी तरह अमरोहा, चांदपुर, शाहगंज सहित सहित सूबे की कुल 21 चीनी मिलों को नमक के भाव बहनजी की सरकार में शराब कारोबारी स्व.पोंटी चड्ढा ने 2011 में खरीद लिया।
मिलें बेचने में हुई थी बड़ी साजिश
एक साजिश के तहत कौड़ियों के भाव में बेशकीमती चीनी मिलें पोंटी चड्ढा के वेब इंडस्ट्रीज ग्रुप को सौंप दी गई। दरअसल खासमखास नसीमुद्दीन ने एक दिन बहनजी से पोंटी चड्ढा की मीटिंग कराई थी, जिसमें चीनी मिलों की नीलामी से जेबें भरने का प्लान तय हुआ। तय हुआ कि कागज पर हम चीनी मिलों की कीमत कौड़ियों के भाव रखेंगे। इसी कीमत पर नीलामी होगी तो यह पैसा सरकारी खजाने में चला जाएगा। बाकी मिलों की कीमत का पैसा हमें बिना-लिखा पढ़ी के नंबर दो से देना होगा। वही हुआ भी। चड्डा की कंपनियों को वित्तीय बिड भी पहले ही बता दी गई थी। सरकार ने शर्तें ऐसी रखीं कि नीलामी पोंटी चड्ढा के पक्ष में लुढ़क गई। जिससे नीलामी की रेस में शामिल बिरला शुगर, डालमिया, उत्तम शुगर, त्रिवेणी शुगर और मोदी शुगर घरानों के हाथ एक भी चीनी मिल नहीं लगी। मायावती के एक इशारे पर चीनी मिलों की जमीन, उसके प्लांट और मशीनरी का मूल्य बाजार भाव से भी कई गुना कम कर दिया गया। मायावती और नसीमुद्दीन की पोंटी चड्ढा से इतनी मोहब्बत थी कि उन्होंने रजिस्ट्री के लिए स्टाम्प ड्यूटी में भी भारी कटौती करा दी। इन मिलों के सामान, बिल्डिंग , मशीनरी , चीनी , शीरा और जमीनों सबको नमक के भाव नीलाम किया गया। उस वक्त चीनी मिलों की नीलामी में हुए 25 हजार करोड़ों के खेल का मुद्दा जोर-शोर से गूंजता रहा, मगर बसपा सरकार इससे बचती रही। इस बीच कैग की जांच में भी भारी घोटाले की पुष्टि हुई। जब कैग ने जवाब-तलब किया तो बसपा सरकार ने अजीब तर्क दिया। वह यह कि-मंत्रिपरिषद के निर्णय की ऑडिट सीएजी के अधिकार क्षेत्र से बाहर है। इस पर नियंत्रक एवं महा लेख ा परीक्षक ने जवाब दिया कि-कैग का अधिकार क्षेत्र 25 अप्रैल 2003 की अधिसूचना के तहत है। लिहाजा सरकार को जवाब देना होगा।
तो चोर-चोर मौसेरे भाई
जब 2012 में सत्ता परिवर्तन हुआ। अखिलेश यादव मुख्यमंत्री हुए तो उम्मीद जगी कि चीनी मिल सौदों की जांच होगी। दोषियों पर एक्शन होगा, रिकवरी होगी। उम्मीद इसलिए जगी थी कि नीलामी के समय नेता प्रतिपक्ष शिवपाल यादव सदन से लेकर सड़क तक घोटाले पर खूब हल्ला मचा रहे थे। खैर अखिलेश यादव ने जांच लोकायुक्त तक सौंप दी। अब यहां चोर-चोर, मौसेरे भाई वाली बात हुई। सेटिंग-गेटिंग हो गई तो 25 हजार करोड़ के घोटाला दबा दिया गया। अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार है। भ्रष्टाचार पर शून्य सहिष्णुता( जीरो टॉलरेंस) का दावा नई सरकार लगातार कर रही। सबसे बड़ा सवाल है कि बसपा के राज में जो घोटाले हुए और सपा के राज में सेटिंग-गेटिंग होने पर उन पर पर्दा डाल दिया गया। या फिर अखिलेश के राज में जो घोटाले हुए, क्या योगी सरकार फाइलें फिर निकलवाएगी। या फिर वही होगा जो सपा के घोटाले बसपा ने बर्दाश्त किए और बसपा के घोटाले सपा ने माफ कर दिए। अगर ऐसा नहीं हुआ तो फिर योगी जी आपके भगवा चोला पहनने का भी कोई मतलब नहीं होगा। इसलिए आदेश दीजिए, निकलवाइए चीनी मिल सौदे की फाइलें। देखिए बहनजी, बबुआ के राज में कितने पाप हुए, कितने लूट हुए।